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चीन के साथ सीमा विवाद खत्म करना चाहता है भारत, सरकार ने शुरू की ये तैयारी
भारत औऱ चीन अपने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सैन्य स्तर की वार्ता कर रहे हैं, जिसमें सीमा विवाद का हल निकलने कि संभावना है..
Lucknow: मोदी सरकार ने चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर अपने रुख को स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर सभी प्रकार के सीमा विवाद को सुलझाना चाहता है, लेकिन उसकी शुरूआत लद्दाख से होगी। उसके बाद अन्य स्थानों पर होने वाले विवादों को सुलझाया जाएगा। हाल हीं में दोनों देशों ने साझा बयान जारी कर गोगरा से अपने-अपने सेना के जवानों को पीछे हटा लिया है। वहीं दूसरी ओर 12 वीं दौर के वार्ता के बाद चीन के तेवर ढीले पड़ते नजर आ रहे हैं।
आपको बता दें की पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) को लेकर भारत (India) और चीन (China) की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। चीन के अड़ियल रवैये और पूर्वी लद्दाख को लेकर कोई ठोस नतीजा निकलने तक मोदी सरकार भी इस मुद्दे को हल्का पड़ने नहीं देना चाहती है। यही कारण है कि 31 जुलाई को चुशुल में 12वें दौर की सैन्य वार्ता के बाद भारत ने आगे भी बात जारी रखने की बात कही है।
12वें दौर की वार्ता के बाद चीन के तेवर ढीले पड़ गए हैं
बता दें कि 12वें दौर की वार्ता के बाद चीन के तेवर ढीले पड़ गए हैं और दोनों देश पूर्वी लद्दाख स्थित पेट्रोलिंग प्वाइंट 17ए से अपनी-अपनी सेना को पीछे हटाने के लिए राजी हो गए हैं। दोनों देशों के बीच विवादित स्थल 17ए को गोगरा के नाम से जाना जाता है। यह देखते हुए कि अरुणाचल प्रदेश में 1986 के सुमदोरोंग चू सैन्य गतिरोध को हल करने में लगभग आठ साल लग गए, मोदी सरकार पूर्वी लद्दाख में वर्तमान गतिरोध पर भारतीय स्थिति को एकतरफा कमजोर किए बिना सैन्य वार्ता के आगे के दौर के लिए तैयार है।
भारतीय सेना पूर्वी क्षेत्र पर पैनी नजर बनाए हुए है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह एक ऐसी रात है जिसकी सुबह कब होगी इसका अभी कुछ पता नहीं है।'लद्दाख के लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने कहा, 'दोनों सेनाओं के बीच सभी विवादास्पद बिंदुओं को हल किया जाना जरूरी है। इसमें डेपसांग बुलगे और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स शामिल हैं, जहां चीनी सेना आक्रामक रूप अपनाए हुए है।' मोदी सरकार ने स्पष्ट किया है कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बहाली का रास्ता पहले कदम के रूप में लद्दाख एलएसी के प्रस्ताव से होकर जाता है।
दोनों सेनाओं के बीच सभी विवादास्पद बिंदुओं को हल किया जाना जरूरी है
बता दें कि इससे पहले फरवरी में दोनों देशों ने पैंगोंग झील के पास अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाया था। वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चुशुल-मोल्डो में 31 जुलाई को दोनों देशों की सैन्य वार्ता के बाद 2 अगस्त को एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। संयुक्त बयान के बाद गोगरा से दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटा लिया था। उस दौरान ही दोनों पक्षों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट-15 हॉट स्प्रिंग और डेपसांग का हल निकालने के लिए वार्ता जारी रखने की बात कही थी। दोनों पक्ष इस बात को लेकर भी सहमत हुए कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता जरूरी है।