×

पाकिस्तान से संबंध सुधारती सरकार, क्या बलूचिस्तान और कश्मीर पर नई राह

भारत इस साल के अंत में खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा जिले के पाब्बी में पाकिस्तान द्वारा आयोजित बहु-राष्ट्र अभ्यास में भाग ले सकता है।

Vidushi Mishra
Published on: 25 March 2021 10:38 AM IST (Updated on: 25 March 2021 10:39 AM IST)
भारत और पाकिस्तान के बीच नाटकीय अंदाज में बढ़ते दोस्ताना संबंधों के पीछे एक रहस्य गहराया हुआ है।
X

भारत पाकिस्तान के बीच नाटकीय अंदाज में बढ़ते दोस्ताना संबंधों के पीछे एक रहस्य गहराया हुआ है।

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली। हाल में एक खबर आई थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच नाटकीय अंदाज में बढ़ते दोस्ताना संबंधों के पीछे एक रहस्य गहराया हुआ है। ये भी कहा गया था कि इस घटनाक्रम के पीछे भारत के करीबी मित्र संयुक्त अरब अमीरात ने इस शांति को लाने में अहम भूमिका अदा की है। अब ये खबर है कि भारत इस साल के अंत में खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा जिले के पाब्बी में पाकिस्तान द्वारा आयोजित बपाकिस्तान से संबंध सुधार रही सरकार, क्या बलूचिस्तान और कश्मीर पर निकलेगी नई राहहु-राष्ट्र अभ्यास में भाग ले सकता है। महत्वपूर्ण यह है कि यह अभ्यास शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तत्वावधान में आयोजित होना है। ये दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ छंटने के साफ संकेत हैं।

अतीत को दफनाने और आगे बढ़ने की आवश्यकता

खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि यूएई की मध्यस्थता में भारत पाक के बीच गुप्त वार्ता के बाद ही दुनिया को आश्चर्यचकित करते हुए दोनों कट्टर प्रतिद्वंद्वियों भारत-पाक के सैन्य प्रमुखों ने 2003 के संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी और उसके 24 घंटे के भीतर यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद दिल्ली रवाना हो गए थे।

26 फरवरी को, जायद ने सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ चर्चा की थी। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ था कि वे औपचारिक रूप से किस बारे में बात कर रहे हैं, ये सारी बातचीत गुप्त रूप से हुई थी। लेकिन अब अगर भारतीय सेना इस अभ्यास में शामिल होने पाकिस्तान जाती है तो ये ऐतिहासिक क्षण पहली बार लोगों को दिखाई देगा।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा भारत और पाकिस्तान को "अतीत को दफनाने और आगे बढ़ने की आवश्यकता" पर जोर दे चुके हैं। इससे कुछ हफ्ते पहले, दोनों देश नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास संघर्ष विराम का पालन करने पर सहमत हुए थे।





हालांकि संयुक्त अभ्यास "पाब्बी-एंटिटेरोर -2021" में भारतीय सैनिकों की वास्तविक भागीदारी पर एक अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। यह प्रस्ताव राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) के विचाराधीन है। हालांकि, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि भारत इस साल के अंत में रूस में एससीओ के तहत एक संयुक्त सेना अभ्यास में भाग लेगा।

दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से शुरू

भारत और पाकिस्तान का संघर्ष विराम के सम्मान पर प्रतिबद्धता जताना, दोनों के बीच रिश्तों में जमी बर्फ का छंटना, संयुक्त सैन्य अभ्यास के लिए राजी होना निसंदेह दोनों देशों के बीच स्थाई शांति के एक बड़े रोडमैप की शुरुआत है। इसके अगले चरण में दोनों देशों में राजदूतों को बहाल करने का कदम उठाये जाने की संभावना है। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से शुरू करने की बात आएगी।

सूत्रों का कहना है कि दोनों देशों के बीच स्थाई शांति का सबसे कठिन हिस्सा कश्मीर और बलूचिस्तान पर पाकिस्तान के स्टैंड पर निर्भर करेगा। कश्मीर दोनों देशों के बीच तीन युद्ध का विषय बन चुका है। और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध भी कश्मीर के शांति बहाली के भारत के प्रयासों के बाद ही खत्म हुए थे।

विशेषज्ञ पाकिस्तान के रुख में बदलाव की वजह पाकिस्तान के वर्तमान हालात को भी मानते हैं। पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन को लेकर विश्व में अलग थलग पड़ चुका है। आर्थिक रूप से पाकिस्तान टूटने के कगार पर है। ऐसे में उसके पास एक ही विकल्प है कि कोरोना महामारी के इस दौर में अपने नागरिकों की हिफाजत के लिए शांति के मंच पर आगे आए।





प्रयासों का सकारात्मक नतीजा

इसके अलावा यह पहल ऐसे समय में हुई है जब बिडेन प्रशासन अफगानिस्तान पर व्यापक शांति वार्ता की मांग कर रहा है। भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ सीमा पर विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं और सैन्य संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं, जबकि पाकिस्तान के नेता भी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं और अमेरिका और अन्य शक्तियों के साथ एक अच्छी धारणा बनाना चाहते हैं। इसलिए इस समय इस तरह के प्रयासों का सकारात्मक नतीजा निकल सकता है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि संघर्ष विराम का सम्मान करने की दोनों देशों की घोषणा कश्मीर मसले से निकलकर आगे बढ़ने की शुरुआत है। जो कि दोनों देशों के बीच संबंधों के सामान्यीकरण में एक अवरोध बना हुआ था।

पाकिस्तान की नीति में "उल्लेखनीय" बदलाव





विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि भू-रणनीतिक से लेकर भू-आर्थिक रणनीति तक पाकिस्तान की नीति में "उल्लेखनीय" बदलाव का विवरण प्रस्तुत करता है। पाकिस्तान की प्राथमिकताएं इन दिनों शांति, कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास के आसपास घूम रही हैं।

इसकी वजह अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया का समर्थन करना और ऐतिहासिक समझौते के लिए यूएस-तालिबान वार्ता को सुविधाजनक बनाना, अपने पड़ोसियों के प्रति पाकिस्तान के नए दृष्टिकोण की स्पष्ट अभिव्यक्ति मानी जा रही है। अफगानिस्तान में शांति के महत्व को मंजूरी पाकिस्तान को पूरी तरह से भू-आर्थिक केंद्र में बदल देती है।

ऐसे में यह बात बेमानी है कि दोनों देशों के बीच शांति बहाली की प्रक्रिया कैसे शुरू हुई किसने मध्यस्थता की। दोनों देशों का एक बड़ा तबका इसका समर्थन करता है कि दोनों देशों को अब एक साथ आगे बढ़ना चाहिए।



Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story
अतीत को दफनाने और आगे बढ़ने की आवश्यकता