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शहीद की विधवा को 56 साल बाद मिला न्याय, HC का आदेश- 6% ब्याज के करें पेंशन का भुगतान
भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए की विधवा को 60 साल पहले पेंशन दी गई थी, जिसे चार साल बाद ही बंद कर दिया गया था। उसके बाद शुरू हुई एक लंबी कानूनी लड़ाई।
भारत में कोर्ट के फैसले आने में सालों-साल लग जाते हैं। कई बार तो पीढ़ियां बीत जाती है एक फैसले के इंतजार में। ऐसा ही एक मामला है साल 1962 में भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए एक सैनिक की पत्नी का। इस केस को अगर 'असाधारण' की श्रेणी में रखा जाए तो किसी को आपत्ति नहीं होगी। क्योंकि, इस मामले में पारिवारिक पेंशन 56 सालों तक चली कानूनी लड़ाई के बाद बहाल किया गया।
बता दें, कि भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए की विधवा को 60 साल पहले पेंशन दी गई थी, जिसे चार साल बाद ही बंद कर दिया गया था। उसके बाद शुरू हुई एक लंबी कानूनी लड़ाई। जिसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने ने केंद्र सरकार को शहीद सैनिक की पत्नी को पेंशन का भुगतान करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं, कोर्ट ने केंद्र सरकार को साल 1966 से वर्तमान वर्ष यानी 2022 तक 6 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज के साथ पेंशन का भुगतान करने को कहा है।
क्या है मामला?
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की पीठ ने शहीद सैनिक की पत्नी धर्मो देवी की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए कहा, इनके पति प्रताप सिंह (9वीं बटालियन सीआरपीएफ) वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए थे। धर्मो देवी के ने इस मामले में अपने वकील आर.ए. श्योराण के जरिए कोर्ट को तर्क दिया था, कि उनके पति की मृत्यु के बाद उन्हें असाधारण पारिवारिक पेंशन दी गई थी। मगर, केंद्र और अन्य संबंधित अधिकारियों द्वारा बिना किसी वैध वजह के 3 अगस्त, 1966 से इसे बंद कर दिया गया। यहां आपको बता दें कि असाधारण पारिवारिक पेंशन का भुगतान सरकारी कर्मचारी या उसके परिवार को किया जाता है। यदि उनकी विकलांगता या मृत्यु का कारण सरकारी सेवा हो तो।
सुनवाई में क्या-क्या?
हालांकि, पिछली सुनवाई के दौरान ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने केंद्र तथा सीआरपीएफ (CRPF) को नोटिस जारी किया था। साथ ही, उत्तरदाताओं को सुनने के बाद पुनर्विचार में यह पाया था, कि धर्मो देवी को दी गई असाधारण पेंशन को गलत तरीके से बंद किया गया था। सुनवाई के दौरान अधिकारियों ने कहा, '3 अगस्त 1966 से शुरू होने वाला उक्त लाभ, उन्हें 15 मार्च, 2022 के एक आदेश के माध्यम से दिया जा रहा है। साथ ही, सामान्य पेंशन के बकाया की गणना की गई। जिसका भुगतान 2020 में धर्मो देवी को किया गया। असाधारण पारिवारिक पेंशन की बकाया राशि की गणना की जा रही थी और उसका भुगतान किया जाएगा।
शहीद की पत्नी का क्या था कहना?
इस बीच याचिकाकर्ता धर्मो देवी के वकील ने कोर्ट के सामने ये तर्क दिया, कि 56 वर्षों के लिए उन्हें उनके वैध लाभ से वंचित कर दिया गया। इस प्रकार वह असाधारण पारिवारिक पेंशन के बकाया पर ब्याज की भी हकदार हैं। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील का यह तर्क माना। साथ ही, केंद्र सरकार को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 56 वर्षों से बकाया पेंशन का भुगतान करने का आदेश जारी किया।