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International Democracy Day 2021: भारत में वैदिक काल से सजीव है लोकतंत्र

विश्व लोकतंत्र दिवस (world democracy day) के अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष, ओम बिरला ने पीठासीन अधिकारियों के 81वें अखिल भारतीय सम्मलेन की वर्चुअल बैठक आहूत की।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 15 Sep 2021 4:48 PM GMT
International Democracy Day 2021: भारत में वैदिक काल से सजीव है लोकतंत्र
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International Day of Democracy 2021: दुनिया के अन्य देशों में लोकतंत्र ( Democracy) का विकास बाद में हुआ है। हमारे लोकतंत्र की संस्थाएं सभा और समितियां वैदिक ग्रन्थों और उसके बाद उत्तर वैदिक काल के गन्थों में मिलती है। महर्षि बाल्मीकि (Maharishi Valmiki) द्वारा रचित रामायण में भी एक जगह पर मंत्री परिषद (council of ministers) का उल्लेख है।

भारत का लोकमन, भारत की प्रज्ञा, भारत का अपना शिष्टाचार, अपना व्यवहार, अपनी संस्कृति, अपना दर्शन, अपनी प्रीति, अपनी रीति, अपनी नीति यह सब देश में प्राचीनकाल से ही है। भारत का संसदीय जीवन लोकतांत्रिक है। हमारे डीएनए में ही लोकतंत्र और संसदीय परिपाटी है।

यह बात आज यहाँ लोकतंत्र दिवस पर विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ( Hriday Narayan Dixit) ने पीठासीन अधिकारियों के वर्चुअल संवाद (virtual dialogue) में कहीं। संविधान सभा में डॉ. आम्बेडकर (Dr. Ambedkar) के भाषण का उद्घरण देते हुए उन्होंने ज़िक्र किया कि डॉ. आम्बेडकर ने कहा था भारत में लोकतंत्र और गणतंत्र बहुत पहले ही था। भारत में लोकतांत्रिक एवं गणतांत्रिक संस्थाएं पहले से मौजूद थीं।

वैदिककाल में सभा शक्तिशाली संस्था थी

श्री दीक्षित ने कहा कि जब संसदीय संस्थाएं शक्तिशाली रहती है, उनका आदर होता है। वह तेजस्वी रहती है। वह अपने निर्णयों को आम जनता और तंत्र के सदस्यों से मनवाने में सक्षम रहते है। महाभारत गवाह है कि जब सभा की शक्ति घटी तो युद्ध हो गया। वैदिककाल में सभा बहुत ताकतवर और शक्तिशाली संस्था थी।

संसदीय संस्थाओं में उपवेशनों की संख्या घटी है। अगर बैठकें घटती है तो उसका प्रभाव सदन की कार्यवाही के संचालन में भी पड़ता है। जब सत्र छोटा होता है तो सदस्यों को ऐसा प्रतीत होता है कि अपनी बात कहने का समय प्राप्त नहीं कर सकेंगे। कभी-कभी इस कारण भी सदन में शोरशराबा होता है।

श्री दीक्षित ने कहा कि संसद और विधान मण्डल के सदस्यों से यह अपेक्षा है कि हमारा आचरण, हमारा व्यवहार, हमारा आदर्श बहुत सुन्दर बना रहे। राज्य सभा, लोकसभा एवं विधान सभा में इस तरह की समितियां है जो सदस्यों से आचरण और व्यवहार सुन्दर रखने की अपेक्षा रखती है।

विश्व लोकतंत्र दिवस

लोकसभा के अध्यक्ष, ओम बिरला ने विश्व लोकतंत्र दिवस (world democracy day) के अवसर पर पीठासीन अधिकारियों के 81वें अखिल भारतीय सम्मलेन की वर्चुअल बैठक आहूत की थी। बैठक में ऑस्ट्रिया, गयाना, मालदीव, मंगोलिया, नामीबिया, श्रीलंका, मॉरीशस एवं जिम्बाब्वे आदि देशों के प्रतिनिधियों एवं देश के सभी विधान सभाओं के अध्यक्षों तथा विधान परिषदों के सभापतियों ने भाग लिया। सम्मेलन में प्रभावी और सार्थक लोकतंत्र को बढ़ावा देने में विधायिका की भूमिका पर चर्चा हुई।

उत्तर प्रदेश विधान सभा की चर्चा करते हुए संवाद में बताया गया कि संविधान दिवस के अवसर पर अलग से विशेष सत्र बुलाया गया था। वह सत्र बहुत सफल रहा। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित सतत विकास के 17 लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उत्तर प्रदेश में एक विशेष सत्र बुलाया था। यह सत्र 36 घण्टे लगातार चला। एक मिनट भी सभा बन्द नहीं हुई। प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ ने निरंतर सदन में उपस्थित रहकर चर्चा में भाग लिया।

लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला जी को विधायी संस्थाओं को मजबूत करने और उत्पादक एवं रचनात्मक बनाने के लिए समय-समय पर लोकसभा द्वारा किये जा रहे विशेष आयोजनों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया गया। सम्मेलन में राज्य सभा के उपाध्यक्ष हरिवंश नारायण, हिमांचल प्रदेश, बिहार व उड़ीसा विधान सभा सहित अन्य राज्यों के अध्यक्षों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।

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