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जलियांवाला बाग के नए स्मारक का PM मोदी ने किया उद्घाटन, 14 अगस्त को मनाया जाएगा 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्मारक का उद्घाटन किया।
नई दिल्ली : बीते डेढ़ साल से कोरोना महामारी और सौदर्यीकरण की वजह से जलियांवाला बाग बंद था। जिसे अब आम जनता के लिए खोल दिया गया है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्मारक का उद्घाटन किया। राज्य मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी इस कार्यक्रम से जुड़े। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि नया परिसर नई पीढ़ी को प्रेरणा देगा। जलियांवाला बाग आज़ादी की लड़ाई का प्रतीक है। यह हमेशा आज़ादी के लिए दी गई कुर्बानी को याद दिलाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्मारक का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा, "पंजाब की वीर भूमि को मेरा प्रणाम। जलियांवाला बाग की मिट्टी को मेरा नमन। आज हम शहीदों को याद कर रहे हैं। 13 अप्रैल 1919 के 10 मिनट आज़ादी की लड़ाई में अहम थे। आज़ादी के 75वें साल में जलियांवाला बाग को नया रूप मिलना प्रेरणादायी है। यहां माताओं और बहनों से सपने छीने गए।"
'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस'
पीएम मोदी ने कहा कि जलियांवाला बाग वो स्थान है जिसने सरदार ऊधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे अनगिनत क्रांतिवीरों, बलिदानियों, सेनानियों को हिंदुस्तान की आजादी के लिए मर-मिटने का हौसला दिया। किसी भी देश के लिए अपने अतीत की ऐसी विभीषिकाओं को नजरअंदाज करना सही नहीं है। इसलिए भारत ने 14 अगस्त को हर वर्ष 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, हमें हर काम में देश को सर्वोपरि रखना चाहिए। इतिहास को संजोना हर देश का दायित्व है। इतिहास आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। देश का विभाजन भी एक बड़ी त्रासदी थी। पंजाब के परिवार विभाजन से काफी पीड़ित रहे। अतीत को नज़रअंदाज़ करना सही नहीं। हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का फैसला किया। विभाजन के समय करोड़ों भारतीयों ने दर्द सहा था।
बता दें, जलियांवाला बाग में एक थिएटर का निर्माण किया गया है। इस थिएटर में एक साथ 80 लोगों को डिजिटल डाक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी। इसके लिए जलियांवाला बाग नरसंहार पर एक डिजिटल डाक्यूमेंट्री भी तैयार की गई है। इस डिजिटल डाक्यूमेंट्री में गेट से अंग्रेजों की सेना के प्रवेश से लेकर जलियांवाला बाग में बैठे बेकसूर निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने तक का सारा किस्सा कैद है।
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