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Jammu-Kashmir: परिसीमन से भाजपा को होगा बड़ा फायदा, सात सीटें बढ़ने से बदल जाएंगे समीकरण

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा करने के लिए इन दिनों परिसीमन आयोग विभिन्न सियासी दलों और समूहों से चर्चा करने में जुटा हुआ है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Priya Panwar
Published on: 10 July 2021 3:43 PM IST
Jammu-Kashmir: परिसीमन से भाजपा को होगा बड़ा फायदा, सात सीटें बढ़ने से बदल जाएंगे समीकरण
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सुशील चंद्रा, मुख्य चुनाव आयुक्त, फोटो क्रेडिट : सोशल मीडिया

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा करने के लिए इन दिनों परिसीमन आयोग विभिन्न सियासी दलों और समूहों से चर्चा करने में जुटा हुआ है। आयोग ने संकेत दिया है कि परिसीमन की प्रक्रिया अगले साल मार्च तक पूरी करने की तैयारी है। जानकारों के मुताबिक परिसीमन के बाद नई विधानसभा में सात सीटों की बढ़ोतरी होगी और विधानसभा में 83 की जगह 90 सीटें होंगी।

सियासी जानकारों का मानना है कि राज्य में सात सीटों की बढ़ोतरी से सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलने की उम्मीद है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि ये सात सीटें जम्मू में बढ़ सकती हैं जहां भाजपा दूसरे सियासी दलों के मुकाबले ज्यादा मजबूत है। पार्टी ने यहां संगठन को मजबूत बनाने के लिए पिछले कुछ सालों में काफी मेहनत भी की है।

इसलिए जरूरी हो गया परिसीमन

मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा का कहना है कि परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। जम्मू-कश्मीर में यह कदम पहली बार उठाया जाएगा उन्होंने बताया कि 1995 में यहां 12 जिले थे मगर अब जिलों की संख्या बढ़कर 20 हो चुकी है। इसी तरह तहसीलों की संख्या में तो जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है और इनकी संख्या 58 से बढ़कर 270 तक पहुंच गई है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से परिसीमन किया जाना जरूरी है। यही कारण है कि परिसीमन आयोग के सदस्य इन दिनों जम्मू कश्मीर का दौरा कर रहे हैं। पिछले दिनों आयोग ने अनंतनाग जिले के पहलगाम‌ का दौरा किया था और दक्षिण कश्मीर क्षेत्र के कई नेताओं से बातचीत की थी। इसके बाद आयोग के सदस्यों ने श्रीनगर में चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी।

जम्मू क्षेत्र में बढ़ेंगी सात विधानसभा सीटें

परिसीमन आयोग के सदस्य और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा के मुताबिक जम्मू कश्मीर में विधानसभा की सात सीटें बढ़ सकती हैं। जानकारों का कहना है कि परिसीमन प्रक्रिया की वजह से ये सीटें जम्मू क्षेत्र में ही बढ़ेगी। ऐसे में कश्मीर घाटी की सीटों में कोई बढ़ोतरी होने की उम्मीद नहीं है।कश्मीर में पहले की तरह ही 46 सीटें ही रहेंगी जबकि जम्मू में सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 44 हो जाएगी। भाजपा जम्मू क्षेत्र में सीटें बढ़वाने के लिए काफी सक्रिय है। जम्मू कश्मीर के भाजपा प्रमुख रविंद्र रैना के नेतृत्व में पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने इस बाबत परिसीमन आयोग से चर्चा भी की है। भाजपा ने मांग की है कि जम्मू के लोगों को विधानसभा में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए।

भाजपा को सियासी फायदे की उम्मीद

सियासी जानकारों का कहना है कि परिसीमन की प्रक्रिया जहां भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकती है, वहीं नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी जैसे दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले साल जिला विकास परिषद के चुनाव में भी भाजपा ने जम्मू इलाके में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था।भाजपा ने जम्मू इलाके की छह जिला विकास परिषदों पर कब्जा जमाया था। ऐसे में माना जा रहा है कि जम्मू में सीटें बढ़ने से भाजपा सियासी रूप से और मजबूत होगी और राज्य में अभी तक ताकतवर माने जाने वाले दूसरे सियासी दलों को इसका नुकसान होगा।

जम्मू में भाजपा दिखा चुकी है ताकत

यदि 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव तक के नतीजों को देखा जाए तो भाजपा जम्मू क्षेत्र में लगातार मजबूत होती रही है और उसके वोट प्रतिशत में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने जम्मू और उधमपुर की हिंदू बहुल दोनों सीटों पर कब्जा जमा लिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा को 32.4 फ़ीसदी वोट मिले थे वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़कर 46.39 प्रतिशत तक पहुंच गया था। दूसरी और घाटी में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की मजबूत पकड़ मानी जाती है मगर वहां सीटों में बढ़ोतरी की कोई उम्मीद नहीं है।

महबूबा मुफ्ती का बातचीत से इनकार

पीडीपी की मुखिया और राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने परिसीमन आयोग के सदस्यों के साथ बातचीत से इनकार कर दिया है। जानकारों के मुताबिक महबूबा मुफ्ती को अपनी पार्टी का प्रभुत्व कमजोर पड़ने का डर सता रहा है और यही कारण है कि वे परिसीमन आयोग से कन्नी काट रही हैं। उन्होंने गुपकार की बैठक में भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। बैठक में सभी सियासी दलों को अपने स्तर पर फैसला लेने की छूट दी गई थी। वैसे गुपकार में शामिल अन्य प्रमुख दल परिसीमन आयोग से चर्चा के लिए तैयार हैं। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि हम आयोग के सामने अपना पक्ष जरूर रखेंगे।

पहले पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग

गुपकार में शामिल सभी दलों ने परिसीमन से पहले जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। भाजपा को छोड़कर अन्य सियासी दलों का मानना है कि परिसीमन से भाजपा को फायदा होगा। यही कारण है कि परिसीमन का दबे स्वर में विरोध भी किया जा रहा है और विभिन्न राजनीतिक दल पहले जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। महबूबा मुफ्ती का आरोप है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा है ताकि एक विशेष राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाया जा सके। इसीलिए हमने इस प्रक्रिया में शामिल न होने का फैसला किया है क्योंकि इसके जरिए कश्मीरियों के हित को नुकसान पहुंचाया जाएगा।



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Priya Panwar

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