तालिबान पर महबूबा के मीठे बोल, सोशल मीडिया पर मिला करारा जवाब

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर तालिबान इस्लामिक शरीयत का पालन करके महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिकार बताए गए हैं तो वे दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकते हैं.

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Kumar
Published on: 9 Sep 2021 2:43 AM GMT
Jammu and Kashmir Former Cm Mehbooba Mufti
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जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती।(Social Media) 

Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बीते दिन को तालिबान को एक हकीकत बताया। उन्होंने कहा कि अगर तालिबान (Taliban) अफगानिस्तान (Afghanistan) में असली इस्लामिक शरीयत का पालन करता है, जिसमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए अधिकार बताए गए हैं तो वे दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकते हैं।

वास्तविकता के रूप में उभर रहा तालिबान

उन्होंने कहा कि तालिबान एक वास्तविकता के रूप में उभर रहे हैं। उन्हें अफगानिस्तान पर उस तरह से शासन नहीं करना चाहिए, जैसा कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में किया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता ने कहा कि तालिबान एक हकीकत बनकर सामने आ रहा है। पहली बार में जो उनकी छवि बनी है, वह मानवाधिकारों के खिलाफ थी।

बकौल महबूबा, अबकी बार यदि वह आए हैं और अफगानिस्तान में हुकूमत करना चाहते हैं तो उन्हें वाकई जो इस्लामिक शरिया जो कहता है, असली, जो हमारे कुरान शरीफ में हैं, जिसमें औरतों के हुकूक हैं, बच्चों और बूढ़ों के अधिकार हैं, उसको देखते हुए सरकार चलानी चाहिए. जो मदीने का हमारा मॉडल रहा है. अगर वह वाकई उस पर अमल करना चाहते हैं तो मुझे लगता है वह दुनिया के लिए मिसाल बन सकते हैं।

अफगानी लोगों को होगी मुश्किल

मुफ्ती ने आगे कहा कि ऐसा करने पर ही तालिबान के साथ दुनिया के दूसरे मुल्क कारोबार करेंगे। अगर उन्होंने 90 के दशक में तरीका अपनाया था, उसको वे अपनाते हैं तो सारी दुनिया के लिए ही नहीं, खासकर अफगानिस्तान के लोगों के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी।

ट्विटर पर हो रही महबूबा की आलोचना

वहीं, महबूबा मुफ्ती के बयान पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कई लोग महबूबा की आलोचना कर रहे हैं। ट्विटर यूजर मानवेंद्र सिंह कहते हैं कि शर्मनाक, इतने अत्याचारों और हत्याओं के बाद भी आप तालिबान से उम्मीद जता रही हैं।

इसी तरह निरंजन कुमार लिखते हैं कि देश के खिलाफ बोलने वालों के लिए तिरंगे के नीचे कोई जगह नहीं है। महबूबा और अब्दुल्ला तालिबानी झंडे के नीचे अपनी जिंदगी बिता सकते हैं। इन दोनों ने शुरू से आतंक के सिर पर चढ़कर सरकार बनाई है और इन्हें आतंकियों की सरकार ही पसंद है।

Deepak Kumar

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