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Job Alert: 30 लाख नौकरियां होगी खत्म, 2022 तक बेरोजगारी बनेगी नई आफत

Job Alert: ऑटोमेशन की तरफ खूब बढ़ रही सूचना प्रौद्योगिकी(IT) कंपनियां लगभग 30 लाख नौकरियों को खत्म करने की जोरदार तैयारी में है। नौकरियों को खत्म करने से कंपनियों को मुनाफा होगा।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 17 Jun 2021 2:36 AM GMT
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यूपी में नौकरियां (फोटो- सोशल मीडिया)

Job Alert: देश में नौकरियों को लेकर बड़ी खबर है। साल 2022 तक लगभग 30 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी। ऐसे में ऑटोमेशन की तरफ खूब बढ़ रही सूचना प्रौद्योगिकी(IT) कंपनियां लगभग 30 लाख नौकरियों को खत्म करने की जोरदार तैयारी में है। नौकरियों को खत्म करने से कंपनियों को मुनाफा होगा। ये मुनाफा करीब 100 अरब डॉलर (7.3 लाख करोड़ रुपये) का होगा।

ऐसे में सूत्रों से सामने आई रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू आईटी क्षेत्र में लगभग 1.6 करोड़ नौकरियां हैं। जिनमें से 90 लाख कर्मचारी बीपीओ व अन्य कम दक्षता वाले क्षेत्रों में काम करते हैं। जबकि इनमें से ही 30 प्रतिशत यानी 30 लाख नौकरियां आने वाले साल तक समाप्त हो सकती हैं। जबकि केवल रोबोट प्रोसेस ऑटोमेशन से ही सात लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

100 अरब डॉलर की बचत

इसमें टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल, टेक महिंद्रा और कॉग्निजेंट जैसी कंपनियां आने वाले साल तक ऑटोमेशन की वजह से छंटनी करने की तैयारी में लगी हुई हैं। इन कंपनियों में वेतन के तौर में 100 अरब डॉलर की बचत होगी, लेकिन ऑटोमेशन के लिए 10 अरब डॉलर खर्च भी करने होंगे। वहीं 5 अरब डॉलर नई नौकरियों के वेतन पर खर्च आएगा।

इस बारे में फॉर्च्यून-500 की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में युवा और ज्यादा उम्र वाले कर्मचारियों ने अधिक नौकरियां गंवाई हैं। इनमें 24 साल से कम उम्र वाले युवाओं में 11 प्रतिशत की नौकरियां गईं, जो बीते साल 10 प्रतिशत थी। और इसी तरह, 55 साल से ज्यादा उम्र वाले नौकरीपेशा में पांच प्रतिशत लोग बेरोजगार हो गए। बता दें, बीते साल यह संख्या 4प्रतिशत था।

ऐसे में बढ़ती महंगाई के चलते रिजर्व बैंक अगस्त में होने वाली मौद्रिक समिति की बैठक में भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा। इस पर एसबीआई रिसर्च ने बुधवार को इकोरैप रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है।

सामने आई इस रिपोर्ट के मुताबिक, घरेलू और वैश्विक कारणों से अगले कुछ महीने खुदरा महंगाई में लगातार बढोत्तरी दिख सकती है। मई में खुदरा महंगाई 6.3 प्रतिशत पहुंच गई, जो रिजर्व बैंक के तय दायरे से भी ज्यादा है। ऐसे में 4-6 अगस्त तक होने वाली अगली एमपीसी बैठक में भी ब्याज दरें अपरिवर्तित रहेंगी।

इस बारे में बैंक एम्प्लॉई फेडरेशन ऑफ इंडिया(BEFI) के संयुक्त सचिव चिरनजीत घोष का कहना है कि सरकार की गलत नीतियों से बढ़ती महंगाई लोगों की बचत को खा रही है। एफडी पर जहां पांच फीसदी ब्याज मिल रहा है, वहीं महंगाई दर 6.3 फीसदी पहुंच गई है। ईंधन पर ज्यादा टैक्स लेने से सभी वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं। सरकार को इसे कम करने की दिशा में काम करना चाहिए।

Vidushi Mishra

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