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भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा, शोध में बड़ा खुलासा- कुल आबादी का एक तिहाई नहीं करना चाहता जॉब

मुम्बई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में खुलासा किया है। इस खुलासे में कहा कि वर्तमान में भारत के करीब 450 मिलियन लोग नौकरी नहीं करना चाहते हैं।

Rajat Verma
Written By Rajat VermaPublished By Deepak Kumar
Published on: 27 April 2022 12:19 PM
jobs status in india
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भारत में नौकरियों की स्थिति। (Social Media)

Indian Economy: एक ओर जहां सरकार बार-बार लगातार भारतीय अर्थव्यस्था (Indian Economy) को मजबूत करने में युवाओं के योगदान और उनके पेशेवर काम को बेहद अहम मान रहे हैं वहीं दूसरी ओर मुम्बई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड (Center for Monitoring Indian Economy Private Limited) द्वारा किए गए शोध में बेहद ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस खुलासे के मद्देनजर भारत में नौकरी की कमी और मनपसंद नौकरी ना मिलने के चलते लोगों का मन नौकरी करने से हट गया है और वर्तमान में भारत के करीब 450 मिलियन लोग नौकरी नहीं करना चाहते हैं। यह खबर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही बड़े झटके के रूप में सामने आई है।

ना के बराबर पैदा हो रहे रोजगार के अवसर

भारत में कोरोना महामारी (Coronavirus In India)और अन्य कारणों के चलते रोजगार के अवसर लगभग ना के बराबर पैदा हो रहे हैं। ऐसे में लोगों का नौकरी से मन हटना और मनपसंद काम ना मिलने जैसी समस्याएं लाजिमी है। बीते कुछ समय से नौकरी ढूंढ रहे लोगों ने यह योजना छोड़ देने का मन बनाया है। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत की कुल आबादी का लगभग एक तिहाई और कामकाज करने वाली आबादी का कुल आधी जनसंख्या अब नौकरी ना करने की योजना बना रही है।

वर्तमान की रोजगार स्थिति पर ज़ोर डालें तो भारत में अधिकतर नौकरी कर रहे लोगों को संतुष्टि नहीं है, या तो वह अपने मेहनताने से परेशान हैं या फिर उनसे कराए जा रहे काम से। अब ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिव यह मुश्किल घड़ी साबित हो सकती है, क्योंकि एक ओर जहां सरकार युवाओं और सेवा क्षेत्र से जुड़े अधिकतर लोगों को ध्यान में रखकर योजनाएं बना रही है वहीं दूसरी ओर इन युवाओं की योजना चिंता पैदा कर सकती है।

5 सालों में भारत का श्रम भागीदारी दर 46 प्रतिशत से 40 प्रतिशत पर पहुंचा

इस शोध को मुंबई स्थित एक निजी रिसर्च फर्म 'सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्राइवेट लिमिटेड' (Center for Monitoring Indian Economy Private Limited) ने अंजाम दिया है। इस रिसर्च की मानें तो 2017 और 2022 के बीच यानी बीते 5 सालों में भारत का श्रम भागीदारी दर लगातार गिरते हुए 46 प्रतिशत से 40 प्रतिशत पर आ पहुंचा है, भारत के श्रम भागीदारी में महिलाओं की बात करें तो बीते इसी अवधि के दौरान करीब 2 करोड़ महिलाएं ने अपने किए जा रहे कार्यों को छोड़ दिया है तथा इसी के साथ भारत में। कुल 9 प्रतिशत महिलाओं ने अपने क्षमता के योग्य पदों की तलाश में अपनी पुरानी नौकरी या काम नौकरी छोड़दिया है।

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Deepak Kumar

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