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गांधी परिवार के वफादार और असंतुष्ट खेमा आमने-सामने, चुनावी हार के बाद कांग्रेस में घमासान तेज
Congress News : कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की ओर से गांधी परिवार से पार्टी का नेतृत्व छोड़ने की मांग किए जाने के बाद परिवार के वफादार खुलकर अखाड़े में कूद पड़े हैं।
Congress News: पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस में शुरू हुआ घमासान लगातार तेज होता जा रहा है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की ओर से गांधी परिवार से पार्टी का नेतृत्व छोड़ने की मांग किए जाने के बाद परिवार के वफादार खुलकर अखाड़े में कूद पड़े हैं। सिब्बल ने मांग की है कि अब गांधी परिवार से इतर किसी व्यक्ति को पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि अब घर की कांग्रेस नहीं बल्कि सबकी कांग्रेस होनी चाहिए।
सिब्बल के इस बयान के बाद गांधी परिवार के प्रति वफादारी का भाव रखने वाले तमाम नेताओं ने असंतुष्ट खेमे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुलकर गांधी परिवार के समर्थन में अखाड़े में कूद पड़े हैं।
गहलोत का कहना है कि सिब्बल को कांग्रेस पार्टी का कल्चर और एबीसीडी भी नहीं पता है। बघेल ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लड़ाई लड़ने के लिए ही नहीं उतरे, वे अब लड़ाई का नियम बताने में जुटे हुए हैं।
लड़ाई न लड़ने वाले युद्ध की महत्ता बता रहे
दरअसल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में एक बार फिर खेमेबंदी तेज हो गई है। कांग्रेस के असंतुष्ट खेमे से जुड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल और संदीप दीक्षित जैसे नेताओं ने एक बार फिर नेतृत्व पर निशाना साधा है। असंतुष्ट नेताओं को जवाब देने के लिए ही गांधी परिवार के वफादारों ने भी मोर्चा खोल दिया है।
सिब्बल को जवाब देते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कांग्रेस का सच्चा सिपाही वही है जो इस समय आराम करने की जगह युद्धरत है।
उन्होंने कहा कि युद्ध के बीच जो लोग घरों में दुबके हुए हैं,वे शहादत की महत्ता बताने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जो लोग पूरी तरह जड़ों से कटे हुए हैं, वे वट वृक्षों को उगाना सिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस तो घर-घर की पार्टी है मगर कुछ लोग इसे बंगलों और डिनर तक ही सीमित कर देना चाहते हैं। ऐसे लोगों को एक बात याद रखनी चाहिए की कांग्रेस के मिटने की बात करने वाले खुद ही मिट गए।
पार्टी नेताओं का एकजुट होना जरूरी
कांग्रेस के एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी असंतुष्ट नेता कपिल सिब्बल पर बड़ा हमला बोला है उन्होंने कहा कि सिब्बल को पार्टी के कल्चर की तनिक भी जानकारी नहीं है। सोनिया और राहुल ने उनको तमाम मौके दिए मगर अब वे गांधी परिवार पर ही हमला कर रहे हैं।
ऐसे समय में जब पार्टी चुनाव हार रही है, तब पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट होना चाहिए। ऐसे समय में सिब्बल की ओर से गांधी परिवार पर हमला किया जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है।
संघ व भाजपा की भाषा बोल रहे सिब्बल
राहुल गांधी के काफी वफादार माने जाने वाले मनिकम टैगोर ने सिब्बल को घेरते हुए कहा कि वे संघ और भाजपा की भाषा बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि संघ और भाजपा दोनों की यही ख्वाहिश है कि कांग्रेस को गांधी परिवार के नेतृत्व से बाहर किया जाए ताकि इसे पूरी तरह खत्म करने में कामयाबी मिल सके।
गांधी परिवार के बिना कांग्रेस को खत्म करना काफी आसान काम हो जाएगा और ऐसे में भारत के विचार को भी समाप्त करने में कामयाबी मिल जाएगी। कपिल सिब्बल खुद भी इस बात की सच्चाई को जानते हैं मगर वे संघ और भाजपा की भाषा बोलने में जुटे हुए हैं।
आलोचना छोड़कर खुद लड़ लें चुनाव
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी सिब्बल के बयान की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे नेताओं को कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ रोजाना बयान जारी करने की जगह खुद पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहिए। उन्हें दिन-रात पार्टी नेतृत्व को कोसने की प्रवृत्ति खत्म कर देनी चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने गांधी परिवार को कांग्रेस की प्राणवायु बताया है।
उन्होंने कहा कि गांधी परिवार ने अपने खून और पसीने से इस देश की सेवा की है। कांग्रेस का हर कार्यकर्ता गांधी परिवार की अगुवाई में खुद को मजबूत महसूस करता है। ऐसे में गांधी परिवार के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती है।
सियासी जानकारों का कहना है कि सिब्बल के बयान के बाद असंतुष्ट खेमे और गांधी परिवार के वफादारों के बीच मोर्चा खुल गया है। कांग्रेस की करारी हार से असंतुष्ट खेमे को भी हमला करने का मौका मिल गया है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी में घमासान और तेज हो जाएगा।