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किसान की मौत के बाद, लाठीचार्ज के विरोध में तेज हुआ आंदोलन

करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की गूंज दिल्ली में धरना स्थल पर नारों के साथ सुनी गई।

Ramkrishna Vajpei
Published on: 29 Aug 2021 4:55 PM GMT
peasant movement
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हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते किसान (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की गूंज दिल्ली में धरना स्थल पर नारों के साथ सुनी गई। दिल्ली में किसान क्राँति द्वार यूपी गेट पर धरना दे रहे भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने हरियाणा के करनाल में टोल पर हुई लाठीचार्ज की घटना और एक किसान की मौत पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दो मिनट का मौन रख किसान को श्रद्धांजलि दी। हालांकि हरियाणा पुलिस किसान की मौत को हार्ट अटैक से होना बताते हुए सफाई दे रही है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कल्पना चावला हॉस्पिटल करनाल में जाकर घायल किसानों का हाल जाना। उन्होंने कहा कि ऐसे आईएस अधिकारी पर सरकार को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। यदि कार्रवाई नहीं कर सकते हैं तो ऐसे अधिकारी का तबादला छत्तीसगढ़ नक्सली इलाके में कर देना चाहिए। जिसने किसानों का सिर फोड़ कर आने का आदेश दिया है। जिसकी वीडियो क्लिप वायरल हो रही है।

उन्होंने कहा कि कल चार बार लाठीचार्ज किया गया। ऐसे तालिबानी फर्मान देकर भाजपा बंदूक और लाठी की ताकत से देश की सभी संस्थाओं पर कब्जा करना चाहती है। इस घटना से लगता है कि यह सब प्लानिंग के साथ किया गया है। हरियाणा में लाठीचार्ज से एक किसान की मौत हुई और कई की हालत गंभीर है। दो मिनट का मौन रख कर शोक व्यक्त किया तथा आज मंच से सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई।


लेकिन हालात देखकर लगता है कि करनाल में आंदोलनकारी किसानों पर हुए लाठीचार्ज के बाद किसान की मौत से सियासत गरमा गई है। हालांकि करनाल के पुलिस अधीक्षक गंगा राम पुनिया ने इस तरह की खबरों को गलत बताते हुए कहा है कि ये सही है कि किसान के परिवार के लोग उनसे मिले थे। लेकिन पुलिस लाठीचार्ज के दौरान चोटों के चलते किसान की मौत होने की खबर गलत है।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि उन्हें किसी अस्पताल नहीं ले जाया गया। वह घर ठीक गए और सोते हुए उनका निधन हो गया। कुछ लोग कह रहे हैं उनका हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। पुलिस बल प्रयोग से उनकी मौत होने की खबरें गलत हैं। अगर ये खबरें सही होतीं तो उनके परिवार के लोग पुलिस के पास जाते। हमें ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है। ये दोनों घटनाएं अलग अलग हैं।

इससे पहले भारतीय किसान यूनियन की इकाई ने कहा था कि सुशील काजल नामक किसान पुलिस लाठीचार्ज में घायल हो गया था और कुछ घंटे बाद हार्ट अटैक से उसका निधन हो गया। भाकियू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने लिखा सुशील काजल के पास डेढ़ एकड़ जमीन थी। वह किसान आंदोलन में पिछले नौ महीने से भाग ले रहा था। वह कल किसान टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज में घायल हो गया था। और रात में हार्ट अटैक से उसका निधन हो गया। किसान समुदाय उसके बलिदान को हमेशा याद रखेगा।

भाजपा की बैठक का विरोध कर रहे किसानों को खदेड़ने के लिए हुए लाठीचार्ज में कल दस लोग घायल हो गए थे। विपक्ष के नेता स्थिति से निपटने में प्रशासन की विफलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। लाठीचार्ज के विरोध में रविवार को भी सड़कों को जाम करने का सिलसिला जारी रहा।

इस बीच, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट की उस टिप्पणी को खारिज कर दिया, जिसमें पुलिस से करनाल में विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों के सिर "तोड़ने" के लिए कहा गया था और उनके खिलाफ कार्रवाई का वादा किया था। करनाल में किसानों के विरोध के दौरान ड्यूटी मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात 2018 बैच के एक आईएएस अधिकारी को कैमरे के सामने पुलिस से "किसानों के सिर तोड़ने" के लिए कहते हुए सुना गया था। उधर घटनाक्रम से भड़के हुए किसानों ने आंदोलन और तेज करने का एलान करते हुए इसे पड़ोसी राज्यों तक फैलाने के प्रयास तेज कर दिये हैं।

इस बीच उत्तराखंड के सितारगंज में संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर भाजपा सरकार का पुतला फूंका। किसानों ने कहा कि हरियाणा सरकार ने शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कर अपनी असली रूप दिखाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर किसान आंदोलन के दमन का प्रयास किया जा रहा है। किसान आंदोलन को और तेज करेंगे।

Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

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