कसाईखानों को कड़ा आदेश: हलाल से पहले अब करना होगा ये काम, सरकार का सख्त नियम

Karnataka Govt Orders Slaughterhouses: महानगरपालिका को एक नया आदेश जारी कर कहा कि वे सुनिश्चित करें कि कसाईखानों में जानवरों को मांस के लिए वध करने से पहले उन्हें अचेत किया जाए।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Praveen Singh
Published on: 3 April 2022 4:35 PM GMT
Karnataka Govt Orders Slaughterhouses
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Karnataka Govt Orders Slaughterhouses (Photo - Social Media)

Karnataka Govt Orders Slaughterhouses: बेंगलुरू. दक्षिण भारत का एकमात्र भाजपा शासित राज्य कर्नाटक बीते कुछ समय से लगातार सियासी वजहों से चर्चाओं में है। लव जेहाद, धर्म परिवर्तन, हिजाब और मदरसा के बाद अब हलाला मांस को लेकर राज्य की राजनीति में हलचल मची हुई है। इस बीच कर्नाटक पशु पालन औऱ पशु चिकित्सा सेवा का नया आदेश राज्य में नया सियासी बखेड़ा कर सकता है। विभाग ने बेंगलुरू महानगरपालिका को एक नया आदेश जारी कर कहा कि वे सुनिश्चित करें कि कसाईखानों में जानवरों को मांस के लिए वध करने से पहले उन्हें अचेत किया जाए।

पशु पालन का विभाग आदेश

बेंगलुरू शहरी जिले में पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के उपनिदेशक द्वारा द्वारा एक अप्रैल को बीबीएमपी को लिखे खत में पशु क्रुरता (कसाई खाने में) निषेध अधिनियम-2001 का हवाला दिया गया है और पशु का मांस के लिए वध करने से पहले उन्हें अचेत करना सुनिश्चित करने को कहा गया है। विभाग ने कहा कि उसे शिकायतें मिली हैं कि कसाईखानों में इन नियमों का अनुपालन नहीं हो रहा है। लिहाजा नगर निकाय कसाईखानों औऱ चिकन की दुकानों को लाइसेंस देने से पहले वहां पशुओं को अचेत करने की सुविधा का निरीक्षण करें।

कर्नाटक सरकार भले इसे आदेश को सामान्य प्रक्रिया बता रही हो, लेकिन इसके टाइमिंग पर खुब सवाल उठ रहे हैं। दरअसल ये आदेश ऐसे समय में आय़ा है जब उगाडी त्यौहार के दौरान दक्षिणपंथी समूह हलाल मांस का बहिष्कार करने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि उगाडी त्यौहार के अगले दिन 'वर्षाडोडकु' मनाया जाता है। इस दिन कर्नाटक के कई समुदाय मांस का सेवन करते हैं। यही वजह है कि सरकार के आलोचक इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि तो हलाल खाने को आर्थिक जिहाद बता चुके हैं।

कर्नाटक में ध्रुवीकरण की कवायद तेज

2023 में विधानसभा चुनाव का सामना करने वाले कर्नाटक में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण की कवायद तेज हो चुकी है। हिंदुत्व पर हार्ड लाइन रखने वाले बीजेपी औऱ अन्य हिंदू संगठनों के नेता लगातार ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं, जिससे राज्य में ध्रुवीकरण की रफ्तार को और गति मिली है। हालांकि अब बीजेपी के अंदर से ही ऐसी बयानबाजी का विरोध होने लगा है। विपक्ष का मानना है कि इस तरह की बयानबाजी मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की कमजोर होती पकड़ को दिखाती है।

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