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भव्य सजा बाबा का दरबार: खुले केदारनाथ धाम के कपाट, इस साल भी श्रद्धालुओं की मौजूदगी नहीं
उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट आज सुबह 5 बजे खोल दिए गए।
रुद्रप्रयाग: पूरे देश में कोरोना महामारी के संकट के बीच उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट आज सुबह 5 बजे खोल दिए गए। आज छह महीने के शीतकालीन अवकाश के बाद मंदिर के कपाट खोले गए हैं। बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओम्कारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होने के बाद रविवार को बाबा केदार की डोली केदारनाथ पहुंची।
केदारनाथ मंदिर को 11 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इस साल की तरह ही बीते साल भी कोरोना वायरस के कहर की वजह से श्रद्धालु उपस्थित नहीं रह पाए। कोरोना को ध्यान में रखते हुए बाबा केदार की डोली को रथ के जरिए गौरीकुंड तक ले जाया गया।
भव्य सजा बाबा का दरबार
यहां डोली के साथ देव स्थानम बोर्ड के कुछ कर्मचारी, वेदपाठी और पुजारी मौजूद थे। महामारी कोरोना संकट के चलते इस बार केदारनाथ धाम की यात्रा सीमित कर दी गई है। कोरोना संकट के चलते केदारनाथ धाम के पास पहले जैसी चहल-पहल नहीं दिखाई दी। केदारनाथ धाम को खोलने से पहले बाबा के दरबार को फूलों से भव्य सजाया गया।
फिलहाल महामारी के प्रकोप के चलते फिलहाल किसी भी तीर्थयात्रियों और स्थानीय भक्तों को केदारनाथ जाने की इजाजत नहीं दी गई है। ऐसे में कपाट खुलने पर देवस्थानमं बोर्ड की सीमित टीम ही पूजा पाठ करेगी। आपको बता दें कि इस बार मई महीने में भी केदारनाथ में जमकर बर्फबारी हो रही है। बीते दो तीन दिन पहले यहां जमकर बर्फबारी हुई थी।
इस बारे में उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने ट्विटर पर जानकारी देते हुए लिखा, ''विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आज सोमवार को प्रातः 5 बजे विधि-विधान से पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के बाद खोल दिए गए। मेष लग्न के शुभ संयोग पर मंदिर का कपाटोद्घाटन किया गया। मैं बाबा केदारनाथ से सभी को निरोगी रखने की प्रार्थना करता हूं।''
बता दें, इससे पहले उत्तराखंड स्थित चार धामों में से एक गंगोत्री के कपाट शनिवार को खोल दिए गए थे। महामारी कोरोना संक्रमण की वजह से देशभर में लॉकडाउन और पाबंदियां लागू हैं जिसकी वजह से केवल पुजारियों ने ही मां गंगा की डोली निकाली। वहीं ये लगातार दूसरा साल है जब श्रद्धालुओं की मौजूदगी के बिना यात्रा निकाली गई।