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केन्या का मजाक उत उड़ाइए साहब! दान नहीं दानी के दिल को देखिए

केन्या जैसे गरीब देश भारत की मदद को आगे आया तो कुछ लोग उसका मजाक उड़ाने लगे, हमें दान को नहीं उसके दिल को देखना चाहिए।

Rahul Singh Rajpoot
Published By Rahul Singh Rajpoot
Published on: 2 Jun 2021 8:58 AM GMT (Updated on: 2 Jun 2021 9:31 AM GMT)
केन्या का मजाक उत उड़ाइए साहब! दान नहीं दानी के दिल को देखिए
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फाइल फोटो, साभार सोशल मीडिया 

देश में कोरोना की लहर के जमकर तांडव मचाया है, इस महामारी में भारत की मदद के लिए विश्व के तमाम देश आगे और जिससे जो बन पड़ा वह मदद की। किसी ने वेंटिलेटर दिया तो कोई ऑक्सी जन सिलेंडर और कंसंट्रेटर पहुंचाया तो किसी ने दवाएं महासंकट के वक्त जिससे जो बन पा रहा है, वह भारत की लिए कर रहा है। इसी बीच अफ्रीकी देश केन्या भी हिंदुस्तान की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। लेकिन कुछ लोग इस गरीब देश का मजाक उड़ाने में लग गए हैं। सोशल मीडिया पर उड़ रहे मजाक से उलट हमें केन्या जैसे गरीब देश का मजाक नहीं बल्कि इस महामारी के दौर में वह भारत की मदद को आगे आया हमें ये 'अनमोल' मानना चाहिए। क्योंकि हमें दान नहीं दानी का दिल देखना चाहिए।

एक गरीब देश का बड़ा दिल

केन्या ने भारतीय लोगों के लिए 12 टन चाय, कॉफी और मूंगफली दान में दिया। केन्या ने कहा कि इस मदद से ऐसे लोगों को 'तरोताजा करने वाला ब्रेक' मिलेगा और वे पूरे उत्साह से लोगों की जिंदगियां बचा सकेंगे। केन्या की मदद का सोशल मीडिया में काफी मजाक उड़ाया जा रहा है। लेकिन उसके उलट हमारे देश का एक बड़ा तबका केन्या का तहे दिल से शुक्रिया भी अदा कर रहा है और उसके द्वारा भेजी गई मदद को सराखों पर बिठाया है।

आईएएस अधिकारी ने दिया जवाब

केन्या का माखौल उड़ाने वालों को अब लोग जवाब भी दे रहे हैं। ट्वीटर पर आईएएस अधिकारी डॉक्टर सुमिता मिश्रा ने लिखा...'केन्या द्वारा भेजे गए 12 टन अनाज पर सोशल मीडिया में केन्या को भिखारी, भिखमँगा, ग़रीब आदि कहा जा रहा है। लोग ये भूल गए हैं कि दान या सहयोग में परिणाम नहीं श्रद्धा का भाव अमूल्य होता है। वरना सेतु निर्माण में गिलहरी के योगदान का भी भगवान श्री राम ने मज़ाक़ बनाया होता। #brotherhood'


आईएएस डॉ. सुमिता मिश्रा का ट्वीट


भारत से बढ़ रहे हैं रिश्ते

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2016 में केन्या यात्रा पर गये थे जिसके बाद केन्या के राष्ट्रपति 2017 में भारत आये थे। दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में क्षमता निर्माण, आतंकवाद रोधी अभियानों , संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों, चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग है।


फाइल फोटो- साभार सोशल मीडिया

केन्या के बारे में जानें?

भारत की तरह ब्रिटिश उपनिवेश रहे केन्या 1963 में आजाद होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना। आजादी के लगभग 55 साल बाद भी इस देश में अमीरों और गरीबों के बीच की खाई साफ दिखती है। यहां जो अमीर हैं वह खूब अमीर हैं जबकि जो गरीब हैं वह अत्यंत दयनीय स्थिति में हैं। इस देश में भारत जैसे मध्यमवर्गीय लोगों की संख्या बेहद कम है। भूमध्य रेखा पर बसे इस देश की राजधानी नैरोबी है। आज भी यहां ब्रिटेन के शासन की झलक देखने को मिल जाती है। इस देश की सीमा उत्तर में इथियोपिया, उत्तर-पूर्व में सोमालिया, दक्षिण में तंजानिया, पश्चिम में युगांडा व विक्टोरिया झील और उत्तर पश्चिम में सूडान से मिलती है।


फाइल फोटो- साभार सोशल मीडिया

अमीरी-गरीबी की बड़ी खाईं

केन्या की कुल संपत्ति का बहुत बड़ा भाग चंद लोगों के पास सीमित है। जबकि अधिकांश आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती है। केन्या अफ्रीका महाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित है। क्षेत्रफल के अनुसार विश्व का 49वां बड़ा देश है। केन्या की स्थलीय सीमा 3447 किलोमीटर लंबी है। इसमें दक्षिणी सूडान के साथ 232 किलोमीटर, इथियोपिया के साथ 861 किलोमीटर, सोमालिया के साथ 682 किलोमीटर, तंजानिया के साथ 769 किलोमीटर और युगांडा के साथ 933 किलोमीटर हिस्सा शामिल है। समुद्र तट की लम्बाई 536 किलोमीटर है जो हिंद महासागर से मिलती है।



केन्या के लोग, फाइल फोटो-साभार सोशल मीडिया

चाय-कॉफी उत्पादन में आगे

यहां की अर्थयव्यवस्था मूल रूप से कृषि आधारित है। यह पूर्वी अफ्रीका का सबसे विकसित देश है। जो मुख्य रूप से चाय और कॉफी के उत्पादन में अग्रणी है। इसने पिछले दो दशकों से लगातार पांच प्रतिशत के हिसाब से विकासदर को पाया है।



फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया

अमेरिका को दान दी थी गाय

अमेरिका पर 11 सितंबर को किए गए सबसे भीषण हमले के बाद पूरी दुनिया हिल सी गई थी। अमेरिका के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ब्रिटेन, ऑट्रे लिया समेत कई देशों ने अलकायदा से निपटने के लिए अफगानिस्ताऔन में अपनी सेना भेज दी थी। इस महासंकट के बीच केन्या की मसाई जनजाति ने अमेरिका के लोगों से सहानुभूति जताने के लिए 14 गाय दान में दी थी।


फाइल फोटो, साभार-सोशल मीडिया


इन गायों को लेने के लिए खुद अमेरिकी दूतावास के तत्काेलीन उप प्रमुख विलियम ब्रानकिक पहुंचे थे। विलियम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मसाई लोगों के लिए गाय सबसे महत्‍वपूर्ण चीज है। उन्होंने कहा कि गाय का दान देना मसाई लोगों की अमेरिका जनता के प्रति सर्वोच्चप सहानुभूति और परवाह को दर्शाता है।

Rahul Singh Rajpoot

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