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Kisan Andolan: सिंघु बॉर्डर से मार्च निकालने पर अड़े किसान, दिल्ली पुलिस का फैसला कल
Kisan Andolan: दिल्ली पुलिस ने मानसून सत्र शुरू होने के साथ किसानों को सिंघु बॉर्डर से संसद तक मार्च की परमिशन नहीं दी। इसे लेकर अगली बैठक सोमवार को होगी।
नई दिल्ली: केंद्र के कृषि कानूनों (Farmers Law) के विरोध में किसानों ने संसद (Parliament) का मानसून सत्र (Monsoon Session) शुरू होने के साथ ही सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) से संसद तक मार्च करने की चेतावनी दी है। रविवार को दिल्ली पुलिस ने किसानों के साथ अहम बैठक की। इस दौरान पुलिस ने किसानों को संसद मार्च की परमिशन देने से इनकार कर दिया है। बैठक में जंतर-मंतर के पास प्रदर्शन का विकल्प भी सामने आया। किसानों के इस प्रस्ताव पर दिल्ली पुलिस ने काफी हद तक रजामंदी दी है। लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं है। इसे लेकर अगली बैठक सोमवार को होगी।
सिंघु बॉर्डर के पास रविवार को एक बैंक्वेट हॉल में हुई इस बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है। दिल्ली पुलिस ने किसानों के संसद मार्च की मांग को सीधे से नकार दिया है। जबकि किसानों का कहना है कि वे हर हाल में संसद तक मार्च निकालना चाहते हैं। अब सोमवार को एक बार फिर दोनों पक्षों की बैठक होगी। बता दें कि इस अहम बैठक के दौरान दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने किसानों के सामने कोरोना से पैदा हुई स्थिति, कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने जैसी बातें रखीं।
मेट्रो स्टेशनों पर बढ़ाए गए सुरक्षा
किसानों के संभावित प्रदर्शन को लेकर राजधानी के कई मेट्रो स्टेशनों पर सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस के डीसीपी जितेंद्र मणि त्रिपाठी ने मेट्रो के मुख्य सुरक्ष अधिकारी को इस बारे में पत्र लिख मेट्रो की सुरक्षा व्यवस्था की सलाह दी गई है। डीसीपी के पत्र में कुछ प्रमुख अति संवेदनशील मेट्रो स्टेशन को कुछ समय के लिए बंद भी करने की सलाह दी गई है। दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन, जनपथ, लोक कल्याण मार्ग, राजीव चौक, मंडी हाउस और उद्योग भवन मेट्रो स्टेशनों को संवेदनशील श्रेणी में रखा है।
किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े
कृषि कानून को लेकर किसानों का सरकार के साथ गतिरोध बरकरार है। किसान और सरकार के बीच में अब तक कई वार्ता हो चुकी है। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। केन्द्र सरकार सितंबर महीने में 3 नए कृषि विधेयक ला आई थी, जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे अब कानून बन चुके हैं। लेकिन किसानों को ये कानून रास नहीं आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। इसके साथ किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर सता रहा है।
मानसून सत्र
मानसून सत्र का आयोजन जुलाई से सितंबर माह के बीच में किया जाता है। इस अवधि में भारत में मानसून का प्रवेश होता है। इस समय भारत में चारों तरफ वर्षा होती है। इसे वर्षा ऋतु में होने वाला सत्र भी कहा जाता है। बजट सत्र में जो विधेयक पारित नहीं हो पाता है, उसे मानसून सत्र में पारित करने का प्रयास किया जाता है। भारत में मानसून आने के कारण ही इसे मानसून सत्र कहा जाता है।