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Kisan Andolan: किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया, मुकदमों की वापसी के लिए समय सीमा की मांग की

Kisan Andolan: संयुक्त किसान मोर्चा कमेटी की बैठक में गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि 'सरकार को मुकदमा वापस लेने के लिए समयसीमा की घोषणा करनी चाहिए।'

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 8 Dec 2021 4:15 PM IST
Kisan Andolan: Farmers reject the governments proposal, demand time limit for withdrawal of cases
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किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी: photo - social media

Kisan Andolan: एक साल से चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) के सबसे बड़े कारण तीनों कृषि कानून (three agricultural laws) केंद्र सरकार (central government) की तरफ़ से वापस तो ले लिए गए हैं, लेकिन किसान अभी भी आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Farmer leader Gurnam Singh Chaduni) ने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती।

किसानों की पंचायत में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) ने कहा कि 'अगर हम अपना आंदोलन वापस ले लेते हैं, तो इससे हमारे लिए समस्या पैदा हो जाएगी, क्योंकि सरकार हमारे ऊपर दर्ज मुकदमों को वापस नहीं लेगी।' उन्होंने कहा कि 'सरकार को मुकदमा वापस लेने के लिए समयसीमा की घोषणा करनी चाहिए।'

हमने सरकार के प्रस्ताव को कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया है- अशोक धवले

आपको बता दें कि इस किसान आंदोलन को एक साल से अधिक का समय हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले (Ashok Dhawale) ने बुधवार को कहा कि 'हम सरकार की सराहना करते हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दे रही है, लेकिन उसके प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं। इसलिए कल रात को ही हमने इसे कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया है और उनकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'

अशोक धवले: photo - social media

हमें पंजाब मॉडल (Punjab Model) जैसा कुछ ठोस चाहिए-अशोक धवले

किसान नेता अशोक धवले ने कहा कि 'सरकार की ओर से सैद्धांतिक तौर पर मुआवजे को मंजूरी दे दी गई है। हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए। उन्होंने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वे हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं। यह विरोधाभासी है।

उन्होंने कहा कि किसान संघ के सदस्यों सहित एमएसपी-केंद्रित समिति के गठन की आवश्यकता है। सरकार ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे, जो गलत है। हमें यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं।

तीन कृषि कानूनों को दोनों सदनों में वापस किया गया

बता दें कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने तीन कृषि कानूनों को वापस करने का ऐलान कर दिया था। उनके ऐलान के बाद संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सरकार ने तीन कृषि कानूनों को दोनों सदनों में वापस कर दिया है। अब किसान आंदोलन (peasant movement) को समाप्त करने के लिए बुधवार की सुबह 10 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। हालांकि, यह बैठक दोपहर बाद दो बजे आयोजित की जानी थी।

किसानों ने मुकदमों की वापसी के लिए सरकार से समय सीमा मांगी

मीडिया से बातचीत के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले ने साफ तौर पर कहा कि जिन 3 मुद्दों पर असमंजस की स्थिति बनी है, उन पर सहमति के बाद ही किसान आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार करेंगे। सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजकर अच्छी पहल की है। अब लगता है कि जल्द ही सभी मुद्दों पर बाकी सहमति बनाने का प्रयास करेगी।



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