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Kisan Andolan: धीमी पड़ी किसान आंदोलन की लौ फिर सुलगने को तैयार, 31 जनवरी को मनाया जाएगा 'विश्वासघात दिवस'

Kisan Andolan: अब जब विधानसभा के चुनाव की घोषणा हो चुकी है किसान संगठन भाजपा सरकार के खिलाफ विरोधपूर्ण माहौल तैयार करने की योजना बनाई है। 31 जनवरी को किसान देशभर में विश्वासघात दिवस मनाएंगे।

Shreedhar Agnihotri
Report Shreedhar AgnihotriPublished By Shreya
Published on: 29 Jan 2022 12:22 PM IST
Kisan Andolan: धीमी पड़ी किसान आंदोलन की लौ फिर सुलगने को तैयार, 31 जनवरी को मनाया जाएगा विश्वासघात दिवस
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 किसान आंदोलन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Kisan Andolan: केन्द्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने भले ही तीनों कृषि कानून (Farm Laws Repealed) रद्द कर दिए हों पर इसके खिलाफ एक साल तक चले आंदोलन (Farmers Protest) की कसक अभी भी किसान संगठनों में है। किसानों ने अपने आंदोलन के दौरान ही केन्द्र और प्रदेश सरकार को चेतावनी दी थी कि आने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Election 2022) में सबक सिखाया जाएगा।

अब जब विधानसभा के चुनाव की घोषणा हो चुकी है किसान संगठन भाजपा सरकार के खिलाफ विरोधपूर्ण माहौल तैयार करने की योजना बनाई है। किसान मोर्चा 31 जनवरी को जिला व तहसील स्तर पर प्रदर्शन करने के बाद तीन फरवरी से यूपी में अपना डेरा जमाएगा। इसी विरोध में 31 जनवरी को किसान विश्वासघात दिवस (Kisan Vishwasghat Diwas) मनाएंगे।

मिशन यूपी का हुआ एलान

इसको लेकर सभी किसान संगठनों ने अपनी रणनीति तय कर ली है। यह सारे संगठन किसानों के साथ ही विश्वासघात दिवस (Vishwasghat Diwas) में शामिल होंगे। किसान मोर्चा ने मिशन यूपी (Mission UP) का भी ऐलान कर दिया है। किसान नेताओं की नाराजगी इस बात पर भी है कि केन्द्र सरकार ने गृहराज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Mishra Teni) को न तो गिरफ्तार किया और न ही उनकी मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी अब तक की है। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) फिर अपनी आवाज बुलन्द करने को तैयार हे। संयुक्त किसान मोर्चा ने ऐलान किया है कि वह 3 फरवरी से पूरे उत्तर प्रदेश में मिशन यूपी शुरू करेगी।

किसान मोर्चा (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सरकार की कमियों को किया जाएगा उजागर

किसान आंदोलन के तहत पहले हर जगह पर प्रेस के माध्यम से सरकार की कमियों को उजागर किया जाएगा। साथ ही इस दौरान नुक्कड सभाएं और किसान विरोधी सरकार की नीतियों के पैम्पलेट और ब्रोषर आदि का वितरण किया जाएगा। साथ ही जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्षन भी किया जाएगा। वहीं दूसरी तरफ 23 और 24 फरवरी को केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोड को वापस लेने की मांग को लेकर हड़ताल का आह्वान किया है। इसमें दूसरे संगठन भी एमएसपी की मांग और निजीकरण जैसे मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल को किसान मोर्चा को पूरा समर्थन देंगे।

मोर्चा की तरफ से जानकारी दी गई कि भाजपा सरकार ने वादी खिलाफी की है। एमएसपी पर न अभी तक कमेटी बनाई, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए और न ही अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्ती और गिरफ्तारी हुई है। इसमें किसान संगठनों के लोग गांव-गांव जाकर सरकार की नीतियों का विरोध करेंगे।

भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी सकता है नया आंदोलन

किसान नेताओं डॉ.दर्शन पाल, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव की सहमति के बाद मोर्चा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है। कहा जा रहा है कि यूपी समेत पांच राज्यों में हो रहे चुनाव को लेकर किसानों का यह नया आंदोलन भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी सकता है पर सवाल इस बात का है खत्म पड़ चुकी किसाना ओंदलने की लौ को फिर से तेज करने में किसा संगठन कितना सफल हो पाएगें। यह तो उनके आंदोलन की गति से ही तय होगा।

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Shreya

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