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किसान आंदोलन को लेकर भिड़े पंजाब-हरियाणा, कैप्टन के बयान पर पड़ोसी राज्य की तीखी प्रतिक्रिया

Kisan Andolan: कैप्टन के किसानों के हरियाणा-दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने के बयान पर हरियाणा सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है और कहा कि इस बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस ने ही किसानों को भड़काया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shreya
Published on: 14 Sep 2021 5:35 AM GMT (Updated on: 14 Sep 2021 5:42 AM GMT)
किसान आंदोलन को लेकर भिड़े पंजाब-हरियाणा, कैप्टन के बयान पर पड़ोसी राज्य की तीखी प्रतिक्रिया
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कैप्टन अमरिंदर सिंह-मनोहर लाल खट्टर (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Kisan Andolan: केंद्र सरकार (Modi Government) की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों (New Farm laws) के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन (Kisan Andolan) को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार (Punjab vs Haryana Government) के बीच ठन गई है। दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) की ओर से किसान आंदोलन (Farmers Protest) को लेकर दिए गए एक बयान पर विवाद पैदा हो गया है।

कैप्टन ने कहा है कि नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन छेड़ने वाले किसानों को दिल्ली और हरियाणा में जाकर धरना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब के विभिन्न स्थानों पर चल रहा किसानों का धरना (Kisano Ka Dharna) तत्काल खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि इसका पंजाब की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ रहा है।

कैप्टन के इस बयान पर हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। हरियाणा सरकार के कृषि मंत्री और गृह मंत्री ने इस बयान को लेकर कैप्टन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर बैठे हुए व्यक्ति को इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैप्टन के बयान से साफ हो गया है कि कांग्रेस की ओर से ही किसानों को भड़काया गया है ताकि भाजपा सरकार (BJP Government) के लिए मुश्किलें खड़ी की जा सके।

कैप्टन अमरिंदर सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

पंजाब में धरना खत्म करें किसान

कैप्टन ने अपने बयान में कहा कि पंजाब में करीब 113 जगहों पर किसानों का धरना चल रहा है, मगर किसानों को अब यह धरना खत्म करके हरियाणा और दिल्ली की सीमाओं पर अपना आंदोलन चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब में किसानों के आंदोलन के चलते प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इससे साफ है कि आगे चलकर किसानों का धरना पंजाब के लिए गंभीर साबित हो सकता है।

कैप्टन ने कहा कि पंजाब में अपनी मांगों को लेकर धरना देने वाले किसानों को पंजाब के बारे में जरूर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति पहले ही ठीक नहीं चल रही है। यदि किसानों का आंदोलन राज्य में इसी तरह जारी रहा तो भविष्य में स्थितियां और चिंताजनक हो सकती हैं। कैप्टन ने कहा कि किसानों को भी राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए काम करना चाहिए।

दिल्ली और हरियाणा में धरना देने की अपील

होशियारपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में धरना (Punjab Mein Dharna) देने से किसान संगठनों को कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के किसानों ने हमेशा राज्य की तरक्की में योगदान दिया है। उन्हें आगे भी इसी तरह की भावना बनाए रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि पंजाब के किसानों ने राज्य के लिए संकटपूर्ण स्थिति पैदा करने की प्रवृत्ति नहीं छोड़ी तो फिर पंजाब के भविष्य के बारे में क्या सोचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि किसान नेताओं और संगठन को इस बात को जरूर सोचना चाहिए कि पंजाब की धरती उन सभी की है। यहां विभिन्न स्थानों पर चल रहा किसान आंदोलन अभी तक काफी नुकसानदेह साबित हुआ है। किसान आंदोलन के कारण पंजाब में विकास की तेज रफ्तार काफी प्रभावित हुई है । राज्य की आर्थिक स्थिति पर भी इसका काफी बुरा असर पड़ा है। किसानों को हरियाणा और दिल्ली में धरना देकर कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाना चाहिए। पंजाब में धरना देने से किसान संगठनों को कुछ भी हासिल नहीं होगा।

अमरिंदर सिंह (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कैप्टन ने अकाली दल को भी घेरा

कैप्टन ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों को लेकर शिरोमणि अकाली दल पर भी बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल भी कृषि कानूनों को लेकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। उन्होंने कहा कि अब बादल परिवार कृषि कानूनों के खिलाफ बयान दे रहा है मगर सच्चाई यह है कि जब इस बिल का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा था तो अकाली दल एनडीए में ही शामिल था। इस नए बिल को लेकर शिरोमणि अकाली दल की भी सहमति थी।

हालांकि बाद में अकाली दल ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा और एनडीए से अलग होने का फैसला किया। कैप्टन ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि अकाली दल के नेता इस मामले में किसान संगठनों को बरगलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस कर रही किसान संगठनों को मदद

कैप्टन का बयान सामने आने के बाद हरियाणा सरकार ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल और गृह मंत्री अनिल विज ने इस बयान को लेकर कैप्टन सरकार को घेरा है। कृषि मंत्री दलाल ने कहा कि कैप्टन के बयान से साबित हो गया है कि किसान संगठनों को कांग्रेस की ओर से मदद की जा रही है ताकि भाजपा पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया जा सके।

उन्होंने कहा कि बयान से साफ है कि किसान आंदोलन राज्य सरकार और कांग्रेस की ओर से प्रायोजित है। उन्होंने कहा कि एक मुख्यमंत्री को इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम काफी दिनों से इस बात को कहते रहे हैं कि यह कांग्रेस की ओर से प्रायोजित आंदोलन है। अब कैप्टन के बयान के बाद हमारी बातें सच साबित हुई हैं।

अनिल विज और जेपी दलाल (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

किसानों को भड़काना बंद करें कैप्टन

भाजपा के दोनों नेताओं ने कहा कि कैप्टन एक महत्वपूर्ण पद पर बैठे हुए हैं। उन्हें पंजाब के अलावा दूसरे राज्यों की भी चिंता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें हरियाणा और दिल्ली दोनों की चिंता करनी होगी। ऐसे में कांग्रेस और कैप्टन को किसानों को हरियाणा और दिल्ली का नाम लेकर नहीं भड़काना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैप्टन के बयान से साफ हो गया है कि पंजाब सरकार खुद किसान संगठनों को भड़काने की कोशिश में लगी हुई है।

खट्टर ने भी बोला कैप्टन पर हमला

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने भी कैप्टन सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में चुनाव के मद्देनजर ही चार साल बाद गन्ने का मूल्य बढ़ाया गया है। इस कदम के जरिए पंजाब सरकार किसानों का समर्थन (Kisano Ka Samarthan) हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार यदि किसानों की इतनी ज्यादा हितैषी है तो उसे हरियाणा सरकार की तरह भाव और पिछला एरियर देकर किसानों को मजबूत बनाने का काम करना चाहिए।

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