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Indian Army: ऐसे 5 मुश्किल जगहों से वतन की हिफाजत कर रहे सेना के जांबाज, रोंगटे खड़े हो जाएंगे आपके

Indian Army News: आज हम आपको भारतीय सेना के उन खतरनाक पोस्टिंग से रूबरू करवाते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां दुश्मन की गोलियों से अधिक खतरनाक मौसम है।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 3 May 2022 8:49 PM IST
Indian Army: कहीं जमा देने वाली ठंड तो कहीं गला देने वाला तापमान, ऐसे 5 मुश्किल जगहों से वतन की हिफाजत करते हैं सेना के जांबाज
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भारतीय सेना (फोटो साभार- ट्विटर)

Indian Army News: इन दिनों प्रचंड गर्मी से हम सभी परेशान हैं, सूरज की तपती किरणें जब हम तक पहुंचती है तो मानो ऐसा लगता है कि वो हमारे शरीर को छेद कर निकल जाएगी। इससे बचने के लिए हम फौरन छांव वाली जगह पहुंच जाते हैं। कुछ ऐसा ही हाल ठंड के मौसम में होता है जब हम थोड़ी ठंड बढ़ने के बाद कपकपाने लगते हैं और अलाव के पास दौड़ते हैं। अब जरा उनके बारे में सोचिए जो जमा देने वाली ठंड और गला देने वाली गर्मी जैसी विषम मौसमी परिसिस्थियों में खुले आसमान के नीचे मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभा रहे होते हैं।

जी हां, हम आपसे भारतीय सेना के उन जांबाजों की बात कर रहे हैं, जो दुश्मन देश से कहीं अधिक ताकतवर मौसम के उन असहनीय दुश्वरियों को रोज जीते हैं ताकि हम और आप अपने घरों में चैन की नींद सो सकें। तो आइए आज हम आपको भारतीय सेना (Indian Army) के उन खतरनाक पोस्टिंग से रूबरू करवाते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां दुश्मन की गोलियों से अधिक खतरनाक मौसम है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. सियाचीन (Siachen)

दुनिया का सबसे ऊंचा रणक्षेत्र कहे जाने वाले सियाचीन में भारत और पाकिस्तान की सेनाएं एक-दूसरे की गोली की बजाय मौसम की दुश्वरियों के कारण अपनी जान गंवाते हैं। यहां तापमान माइनस 60 डिग्री सेल्सियस होता है। ऑक्सीजन का लेवल भी केवल 10 प्रतिशत है। इतने कम तापमान, कम ऑक्सीजन और ऊंचाई वाले इलाके में सैनिकों को याद्दाश्त खोने, नींद नहीं आने, त्वचा जलने आदि की समस्या हो जाती है। सियाचीन में खाने को लग्जरी माना जाता है।

जरा सोचिए ऐसी जगह जहां केवल दो सेकेंड में पानी जम जाता हो, वहां की लाइफ कितन टफ होती होगी। दरअसल, इस स्थान का रणनीतिक महत्व अधिक इसलिए है क्योंकि यहां से भारत के दो प्रमुख दुश्मन देश चीन और पाकिस्तान पर नजर रखी जा सकती है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2. द्रास (Dras)

गेटवे ऑफ लद्दाख कहा जाने वाला द्रास भारत का दूसरा सबसे ठंडा रिहायशी इलाका है। इसे विश्व के दूसरे सर्वाधिक ठंडे स्थान के तौर पर भी जाना जाता है। यह इलाका 10,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। द्रास में अधिकतम तापमान मायनस 33 डिग्री सेल्सियस तक जाता है जबकि न्यूनतम तापमान माइनस 45 डिग्री सेल्सियस तक जाता है। तापमान भले ही सियाचिन से यहां कम रहता है लेकिन द्रास में चलने वाली तेज हवाएं इस ठंड को और जानलेवा बना देती हैं। यही वजह है यहां तैनात जवानों को विपरीत मौसम से जूझना पड़ता है। बता दें कि कारगिल युद्ध के दौरान यहां भीषण जंग छिड़ गई थी। द्रास में भारत के 500 जवान जंग लड़ते शहीद हो गए थे।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

3. थार रेगिस्तान (Thar Desert)

थार रेगिस्तान का नाम सुनते ही जेहन में रेत का विशाल भू-भाग आ जाता है। जहां भीषण गर्मी और भयानक पानी संकट का होता है। इतने मुश्किल स्थान पर भी भारत के जवान तैनात रहते हैं। दरअसल थार रेगिस्तान में भारत-पाकिस्तान की सीमा का सबसे बड़ा हिस्सा है। 1040 किली सीमा रेखा की रक्षा के लिए यहां तीन लाख जवान तैनात रहते हैं। गर्मी के दिनों में यहां ड्यूटी करना मुश्किल हो जाता है क्योंकि उस दौरान यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। गर्म तेज हवाओं के चलने के अलावा यहां रेतीला तूफान भी खुब आता है।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

4. अरुणाचल प्रदेश स्थित चीन सीमा (India-China Border)

अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) स्थित भारत-चीन सीमा (India-China Border) को भी भारत के सबसे कठिन सीमा के रूप में गिना जाता है। बारिश का मौसम यहां अधिक खतरनाक होता है क्योंकि कोहरे के कारण सीमा पार की हचलत दिखाई नहीं देती है। इसके अलावा सड़कें नहीं होने के कारण बारिश के समय में परेशानी और बढ़ जाती है। इन सबके अतिरिक्त यहां अक्सर चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ करने की कोशिश की जाती है। वे भारतीय पोस्ट पर फायरिंग भी करते रहते हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

5. दंतेवाड़ा (Dantewada)

देश में स्थित लाल गलियारे को एक समय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था। छत्तीसगढ़ स्थित दंतेवाड़ा उस लाल गलियारे का एक अहम पड़ाव है जहां सशस्त्र माओवादियों का एक तरह से राज चलता है। घने जंगलों और पहाड़ों से घिरा होने के कारण यहां पर ड्टूटी करना किसी अंतराष्ट्रीय बॉर्डेर से कम खतरनाक नहीं है।

दंतेवाड़ा के जंगल और उसमें रहने वाले मच्छर और नक्सली, इसे बेहद खतरनाक स्थान बना देते हैं। अप्रैल 2010 में सीआरपीएफ के 76 जवानों की यहां हुई हत्या ने इस क्षेत्र में नक्सलियों के खौफ को बता दिया था। अब भी यहां समय – समय पर दोनों पक्षों के बीच मुठभेड़ होते रहते हैं। सीआरपीएफ के जवानों के लिए यहां के जंगल और मच्छर नक्सलियों के खिलाफ लड़ने में सबसे बड़ी बाधा के तौर पर देखे जाते हैं।

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Shreya

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