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भूस्खलन: प्राकृतिक या कृतिम आपदा

चण्डीगढ़ नेशनल हाईवे 3 को पर पिछले सप्ताह भूस्खलन की वजह से बंद कर दिया गया था...

Akshay karoliya
Written By Akshay karoliyaPublished By Ragini Sinha
Published on: 25 July 2021 8:12 PM IST
Landslides Natural or Artificial Disaster
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भूस्खलन: प्राकृतिक या कृतिम आपदा ( social media)

महाराष्ट्र में सतारा जिले के ग्राम मिरगांव में भूस्खलन स्थल से शनिवार देर शाम छह और लोगों के शव निकाले जाने के बाद बारिश से संबंधित विभिन्न घटनाओं में अब तक इस जिले में कम से कम 28 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 14 अन्य लापता हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी, उन्होंने कहा कि भारी बारिश से जिले के 379 गांव प्रभावित हुए हैं और पांच हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।

भूस्खलन हॉट स्पॉट भारत में विद्यमान हैं

तो वहीं हिमाचल के मनाली चण्डीगढ़ नेशनल हाईवे 3 को पर पिछले सप्ताह भूस्खलन की वजह से बंद कर दिया गया था ।वैसे तो पहाड़ी इलाकों में इस तरह की घटनायें आम होती हैं ।पर समतल भूमि पर इस तरह की घटनायें मनुष्य का प्रकृति के दोहन का दुष्परिणाम होती है, जिसका खामियाजा तादात में सामने आता है। लैंडस्लाइड से सम्बन्धित वैश्विक डाटाबेस के अनुसार, विश्व के शीर्ष दो भूस्खलन हॉट स्पॉट भारत में विद्यमान हैं : हिमालयी चाप की दक्षिणी सीमा और दक्षिण-पश्चिम भारत का तट जहाँ पश्चिमी घाट अवस्थित है।

आइये जानते है भूस्खलन ओर उससे जुड़े प्रमाणिक तथ्यों के बारे में

भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है जिसमे भूमि क्षेत्र का एक स्थान से दूसरी ओर दरकना या खिसकना ,पथरीली मिट्टी या चट्टानों का गिरना शामिल है। भूस्खलन से जन धन दोनो की हानि होती है जिसकी औसत गति 260 फीट प्रति सेकेंड होती है।भूस्खलन गुरुत्वाकर्षण बल, नदियों द्वारा किये जाने वाले कटाव ,वनों की कटाई, गलत कृषि प्रणाली आदि कारणों से होता है जिससे मानव सहित अन्य जीवों को भारी नुकसान की संभावनाएं होती है। भारत में मानव-प्रेरित भूस्खलनों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. विचारणीय है कि 2004-2016 के अंतराल 28% निर्माण-प्रेरित landslide की परिघटनाएं घटित हुई थीं, इसके बाद चीन (9%), पाकिस्तान (6%), फिलिपिन्स (5%), नेपाल (5%) और मलेशिया (5%) का स्थान है।

भूस्खलन के कारण कृत्रिम झीलों का निर्माण हो जाता है, जो प्रभावित फ्लैश फ्लड (अकस्मात् आने वाली बाढ़) को प्रेरित कर सकता है. पृथ्वी पर लैंडस्लाइड तीसरी सर्वाधिक विनाशक प्राकृतिक आपदा है। भूस्खलन आपदा प्रबन्धन पर प्रतिवर्ष लगभग 400 अरब डॉलर का व्यय किया जा रहा है.

प्रमुख कारण

Landslide की घटनाएँ मुख्य रूप से प्राकृतिक कारणों से घटित होती हैं जैसे भूकंपीय कम्पन और दीर्घकालिक वर्षा या सीपेज के कारण मृदा परतों के मध्य जल का दाब. हाल के दशकों में, भूस्खलन के लिए उत्तरदायी मानवीय कारण महत्त्वपूर्ण हो गये हैं. इन कारणों में ढलानों पर स्थित वनस्पति की कटाई, प्राकृतिक जल निकासी में अवरोध, जल या सीवर लाइनों में रिसाव तथा सड़क, रेल, भवन-निर्माण के कार्यों के चलते ढलानों को परिवर्तित करना आदि शामिल हैं।

अवैध खनन

पहाड़ों को काटने के कारण होने वाले लैंडस्लाइड ग्रामीण क्षेत्रों में एक प्रमुख समस्या हैं, जहाँ लोग घरों के निर्माण के लिए अवैध रूप से पहाड़ी ढलानों पर स्थित सामग्री को एकत्रित करते हैं. घातक भूस्खलन सामान्यतः सडकों और बहुमूल्य संसाधनों से समृद्ध स्थलों के निकट स्थित बसावटों में अधिक घटित होते हैं।

भूकम्प

लैंडस्लाइड-प्रवण हिमालयी क्षेत्र अत्यधिक भूकम्प-प्रवण क्षेत्र है जहाँ तीव्रता वाले भूकम्प आते हैं और इस प्रकार यह क्षेत्र भूकम्प-प्रेरित भूस्खलन के लिए भी प्रवण बन जाता है. भूकम्प-प्रेरित लैंडस्लाइड के कारण हिमालय में लगभग 70 जलबिजली परियोजनाएँ संकट में हैं।

जलवायु

भूस्खलन के प्रमुख कारण में जलवायु जिसमे वर्षा सबसे महत्वपूर्ण कारक है।जिनकी जलवायु अधिक वर्षा वाली होती है उन क्षेत्रों में अधिक वर्षा होने से भूमिगत संतृप्ति हो जाती है।जिससे भूमि में अतिरिक्त जल की मात्रा पाई जाने के कारण वह कमजोर पड़ जाती है।

भूस्खलन और हिमस्खलन पर रोकथाम के लिए उठाये जा सकने वाले मानवीय कदम-

  • देश को प्रभावित करने वाली landslide घटनाओं से सम्बन्धित सूची तैयार करना और उसे निरंतर अद्यतन करना।
  • सीमा सड़क संगठन, राज्य सरकारों और स्थानीय समुदायों के परामर्श से क्षेत्रों की पहचान और प्राथमिक निर्धारण के बाद सूक्ष्म और वृहत स्तर पर भूस्खलन खतरे की क्षेत्रीय मैपिंग करना।
  • भूस्खलन शोध, अध्ययन और प्रबन्धन के लिए एक स्वायत्त राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना करना।
  • ढलानों के स्थिरीकरण के लिए गति अवरोधकों (pacesetter) की स्थापना करना।
  • Landslide सम्बन्धी शिक्षा एवं पेशेवरों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
  • भूस्खलन अध्ययन पर नई संहिता और दिशा-निर्देशों का विकास करना और मौजूदा दिशा-निर्देशों में संशोधन करना है।


Ragini Sinha

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