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LIC shares : चीन को एलआईसी के शेयर खरीदने से रोका जाएगा

LIC shares : सरकार एलआईसी के शेयर खरीदने के लिए विदेशी निवेशकों को अनुमति देने की योजना बना रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shraddha
Published on: 24 Sep 2021 5:29 AM GMT
चीन को एलआईसी के शेयर खरीदने से रोका जाएगा
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चीन को एलआईसी के शेयर खरीदने से रोका जाएगा (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

LIC shares : भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation of India) के शेयर बिकने वाले हैं। शेयर खरीदने में तमाम निवेशकों की रुचि है। जिनमें चीनी निवेशक (Chinese investors) भी शामिल हैं। सुरक्षा कारणों से यह भारत के लिए एक बड़ी चिंता की बात है। ऐसे में सरकार द्वारा चीनी निवेशकों को एलआईसी के शेयर खरीदने से रोकने के लिए उपाय किये जा सकते हैं।


भारत के बीमा क्षेत्र में एलआईसी (LIC) का सबसे बड़ा 60 फीसदी हिस्सा है। जीवन बीमा निगम के पास 500 अरब डॉलर की संपत्ति है। एलआईसी का आईपीओ सबसे बड़ा हो सकता है और इसकी वैल्यू 12.2 अरब डॉलर अनुमानित है। सरकार एलआईसी के शेयर खरीदने के लिए विदेशी निवेशकों को अनुमति देने की योजना बना रही है। लेकिन सरकार यह नहीं चाहती कि चीन के हाथों में एलआईसी का नियंत्रण चला जाये।

जबसे चीन के साथ सीमाई विवाद बढ़ा है । उसके बाद से भारत ने देश की संवेदनशील कंपनियों में चीनी निवेश को समेटने के कदम उठाए हैं। इसके अलावा चीनी ऐप बैन किये गए हैं। चीन से आ रहे सामानों की ज्यादा सघन जांच पड़ताल शुरू कर दी है।


भारतीय जीवन बीमा निगम(कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


रायटर की खबर के अनुसार, अब माना जा रहा है कि एलआईसी जैसी कंपनियों में चीन का निवेश भारत के लिए जोखिम बन सकता है। वर्तमान कानूनों के तहत कोई विदेशी निवेशक एलआईसी में निवेश नहीं कर सकता है। लेकिन सरकार एलआईसी के मामले में छूट देने पर विचार कर रही। विदेशी संस्थागत निवेशकों को एलआईसी के आईपीओ में 20 फीसदी शेयर खरीदने की अनुमति दी जा सकती है। चीनी निवेशकों को रोकने के उपायों में या तो एफडीआई संबंधित कानून में संशोधन करके एलआईसी के बारे में विशेष धारा लाई जाए या फिर एलआईसी के लिए एक नया कानून लाया जाए।


दरअसल, किसी अप्रत्यक्ष रास्ते से आने वाले चीनी निवेश को रोकना काफी मुश्किल है। ऐसे में सरकार को कुछ ऐसा उपाय करना होगा ताकि भारतीय हितों की सुरक्षा भी बनी रहे और विदेशी निवेशक भी छिटक न जाएं। एक उपाय यह भी हो सकता है कि चीनी निवेशकों पर सीधे रोक लगा दी जाए। लेकिन इससे भी उन्हें खुले बाजार से शेयर खरीदने से रोका नहीं जा सकेगा। अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है।

जागरूकता अभियान

सरकार एलआईसी के शेयरों में आम जनता की रुचि जगाने के लिए कदम उठाने की योजना बना रही है।ताकि बड़ी तादाद में खुदरा निवेशकों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। देश का सबसे बड़ा आईपीओ इस साल के आखिर तक आने के आसार हैं। इस जागरूकता अभियान की योजना खास तौर पर मझोले और छोटे शहरों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। इसे शेयर बाजारों में निवेश के बारे में पॉलिसीधारकों को जागरूक बनाने के लिए एलआईसी एजेंटों के नेटवर्क के जरिये चलाया जाएगा। एलआईसी के पास करीब 22.78 लाख एजेंटों का नेटवर्क है, जिसका इस अभियान में इस्तेमाल किया जाएगा।


सरकार ने एलआईसी पॉलिसीधारकों को इस बीमा कंपनी में हिस्सेदार बनने का मौका देने का फैसला किया है। इसके तहत आईपीओ के निर्गम का 10 फीसदी अपने पॉलिसीधारकों के लिए आरक्षित किया है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इस पेशकश में पॉलिसीधारकों का कोटा पूरी तरह सबस्क्राइब हो जाए। एलआईसी द्वारा चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान के तहत छोटे शहरों और कस्बों के पॉलिसीधारकों को डीमैट खाते खोलने में मदद दी जाएगी ताकि वे शेयरों में निवेश शुरू कर सकें। डीमैट खाते आईडीबीआई बैंक के जरिये खोले जाएंगे, जिसमें एलआईसी की 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है। पॉलिसीधारकों के पास अपनी पसंद के किसी अन्य बैंक में भी ऐसे खाते खोलने का विकल्प होगाा। एलआईसी के आईपीओ का आकार सबसे बड़ा होने के आसार हैं। ऐसे में सरकार और इस बीमा कंपनी के अभियान चलाने का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि पेशकश में खुदरा हिस्से और पॉलिसीधारकों के कोटे को पूरा अभिदान मिले।

इस बीच सरकार ने एलआईसी के आईपीओ के लिए अब 4 लॉ फर्मों को छांटा है। इसके लिए क्रैफर्ड बेले, साइरिल अमरचंद मंगलदास, लिंक लीगल और शार्दूल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी को एलआईसी आईपीओ के लिए कानूनी सलाहकार के रूप में छांटा गया है। इन क़ानूनी फर्मों की ओर से प्रस्तुति दिये जाने के बाद उच्च स्तरीय समिति वित्तीय बोली खोलेगी और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग पात्र बोलीदाता को सूचित करेगा।

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