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डेल्टा वेरिएंट से बचने के लिए डबल डोज के बीच कम अंतर जरूरी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए वेरिएंट्स के खिलाफ जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उन्हें वैक्सीन की तीसरी खुराक भी दी जाए

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 5 Jun 2021 2:50 PM IST
डेल्टा वेरिएंट से बचने के लिए डबल डोज के बीच कम अंतर जरूरी
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New Variant: भारत में फैले कोरोना के वेरिएंट "डेल्टा"(Delta Variants) यानी बी.1.617.2 से सुरक्षा के लिए वैक्सीन की दोनों खुराकें कम अंतराल पर लगवाना जरूरी है। प्रतिष्ठित पत्रिका "लान्सेट" में प्रकाशित एक स्टडी में बताया गया है कि एक खुराक ले चुके लोगों में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ कम एंटीबॉडी बनती हैं और खुराकों के बीच अंतराल बढ़ने से इनकी संख्या काफी कम हो जाती है।


फाइजर की वैक्सीन कारगर नहीं

एक नई स्टडी में सामने आया है कि फाइजर की वैक्सीन कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ शुरुआती वेरिएंट की तुलना में कम प्रभावी है। कोरोना के शुरुआती वेरिएंट के खिलाफ फाइजर की एक खुराक से 79 प्रतिशत लोगों में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडी बन जाती थी, लेकिन नए वेरिएंट्स के मामले में ऐसा नहीं हो रहा है। स्टडी के अनुसार, फाइजर वैक्सीन की एक खुराक अल्फा वेरिएंट के खिलाफ 50 प्रतिशत और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 32 प्रतिशत लोगों में ही पर्याप्त एंटीबॉडी बना रही है।



जल्दी लगे तीसरी डोज

इस स्टडी पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोगों को बीमार पड़ने से बचाने के लिए जल्द से जल्द वैक्सीन की दूसरी खुराक लगाई जानी चाहिए। और नए वेरिएंट्स के खिलाफ जिनकी इम्युनिटी कमजोर है उन्हें वैक्सीन की तीसरी खुराक भी दी जाए। चूंकि फाइजर की वैक्सीन कोरोना के खिलाफ सबसे मजबूत सुरक्षा देने वाली मानी जाती है। सो ऐसे में ये स्टडी बहुत महत्वपूर्ण है।


यूके में नई रणनीति पर विचार

इस बीच, यूनाइटेड किंगडम कोरोना की दोनों खुराकों का अंतराल कम करने पर विचार कर रहा है। ब्रिटेन की स्वास्थ्य संस्था पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कहा कि अब डेल्टा वेरिएंट यहां प्रमुखता से फैल रहा है और शुरुआती सबूतों से पता चलता है कि इसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।

वहीं भारत सरकार ने पिछले महीने ही कोविशील्ड की दोनों डोज के अंतर में इजाफा किया था। शुुरुआत में 28 दिनों के अंतराल पर कोविशील्ड की खुराकें दी जा रही थीं, जिसे बाद में बढ़ाकर छह से आठ सप्ताह किया गया और पिछले महीने इस अंतराल को और बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया गया था।



Pallavi Srivastava

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