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बढ़ रहे कोरोना संकट के बीच मद्रास HC के रुख से मतगणना टलने के आसार

मद्रास हाईकोर्ट ने कोरोना की दूसरी लहर के तीव्र संक्रमण और इसके प्रचार के लिए चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है।

Ramkrishna Vajpei
Written By Ramkrishna VajpeiPublished By Shreya
Published on: 27 April 2021 5:25 AM GMT
मतणना पर लग सकती है रोक, चुनाव आयोग कठघरे में
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मद्रास हाईकोर्ट (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

चेन्नई: कोरोना (Corona Virus) की दूसरी लहर के प्रचंड आवेश से पूरे देश की जनता कराह रही है। ऐसे समय में मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) का यह आदेश महत्वपूर्ण है कि कोरोना की दूसरी लहर के तीव्र संक्रमण और इसके प्रचार के लिए सिर्फ चुनाव आयोग (Election commission) दोषी है। कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाने जैसी कड़वी और कठोर टिप्पणी भी कर दी है। अदालत ने यह भी कहा है कि जरूरी हुआ तो मतगणना रोकने का आदेश देने में संकोच नहीं करेंगे। क्योंकि इसकी वजह से कोरोना संक्रमण फैल सकता है।

हाईकोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दलों की रैलियों और चुनाव सभाओं के दौरान लोगों को मास्क पहनने, सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने और सामाजिक दूरी बरतने के नियम का पालन नहीं कराया गया। चुनाव आयोग इस काम में पूरी तरह विफल रहा। इसी वजह से महामारी की दूसरी लहर कहर बरपा रही है।

मद्रास हाईकोर्ट- चुनाव आयोग फाइल फोटो (साभार- सोशल मीडिया)

नागरिंक बचेंगे तभी अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर पाएंगे- HC

मद्रास हाईकोर्ट ने आयोग से सवाल किया कि जब सियासी दलों की चुनाव सभाएं व रैलियां हो रही थीं तब आयोग क्या किसी दूसरे ग्रह पर गया हुआ था। कोर्ट ने कहा कि लोगों का स्वास्थ्य सबसे अहम है लेकिन अफसोस कि ये संवैधानिक संस्था को इस बारे में बताना पड़ रहा है। अदालत ने कहा कि नागरिक बचेंगे तभी लोकतांत्रिक गणतंत्र में दिये गए अपने अधिकारों का उपयोग कर पाएंगे। आज सवाल अपनी जान बचाने और जीवित रहने का है बाकी सारी बातें इसके बाद आती हैं।

मतगणना पर लगाई जा सकती है रोक

चीफ जस्टिस संजीव बनर्जी व जस्टिस संथिल कुमार राममूर्ति की पीठ करूर सीट से अन्नाद्रमुक प्रत्याशी व परिवहन मंत्री एआर विजय भास्कर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे एक बात स्पष्ट है कि यदि 30 अप्रैल तक अधिकारियों का ब्लूप्रिंट अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाया तो मतगणना पर रोक लगाई जा सकती है। क्योंकि मतगणना के दौरान और उसके बाद विजयी प्रत्याशियों के जुलूस और समर्थकों की भीड़ को जुटने से रोकना एक बड़ी चुनौती होगी।

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