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C-60 Commandos: जानिए कौन हैं C-60 कमांडो, कैसे करते हैं नक्सलियों का सफाया

C-60 Commandos: सी-60 कमांडो का काम जंगल में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन, सरेंडर कराना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना भी है।

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Newstrack NetworkPublished By Ashiki
Published on: 21 May 2021 1:02 PM IST (Updated on: 21 May 2021 1:05 PM IST)
C-60 commando
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C-60 कमांडो (Photo-Social Media)

C-60 Commandos: महाराष्ट्र (Maharashtra) के गढ़चिरौली में (Gadchiroli) आज यानी शुक्रवार तड़के सी-60 कमांडो ने नक्सलियों (Naxali Encounter) पर बड़ी कार्रवाई की। सी-60 यूनिट ने गढ़चिरौली के एटापल्ली के वन क्षेत्र में करीब 13 नक्सलियों को मार गिराया है। सी-60 कमांडो को नक्सलियों का काल माना है। इन कमांडो को नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन करने के लिए एक खास ट्रेनिंग दी जाती है। आईये आज इस रिपोर्ट में जानते हैं कि सी-60 कमांडो होते कौन हैं, इनकी टीम का गठन कब और क्यों हुआ था.....?

आपको बता दें कि सी-60 कमांडो को घने जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में ऑपरेशन के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। इन कमांडो को भारत के टॉप संस्थानों जैसे- नेशनल सिक्योरिटी गार्ड कैंपस, मानेसर, पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, हजारीबाग, जंगल वॉरफेयर कॉलेज, कांकेर और अनकंवेशनल ऑपरेशन ट्रेनिंग सेंटर, नागपुर में ट्रेनिंग दी जाती है।

इन सी-60 कमांडो का काम जंगल में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन के अलावा नक्सलियों को सरेंडर कराना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना भी है। इस काम के लिए सी-60 कमांडो की यूनिट नक्सली लोगों के परिवार से मिलती है और उन्हें इसके पहले नक्सली रहे लोगों के लिए सरकार की स्कीमों के बारे में बताती और जानकारी देती है।


ऐसे हुआ गठन

करीब 1980 के दशक में नक्सलियों विस्तार महाराष्ट्र और उसके बाद आंध्र प्रदेश में तेजी से हुआ। उस दौरान महाराष्ट्र का यही गढ़चिरौली जिला, जहां आज Encounter हुआ है, नक्सलियों के आतंक से सबसे ज्यादा प्रभावित था। यहां नक्सलियों की हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी थीं। फिर साल 1990 में पुलिस ऑफिसर केपी रघुवंशी को नक्सलियों के खिलाफ टीम बनाने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने कमांडो फोर्स का गठन किया।

इसके बाद महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में 60 कमांडो की एक टीम को तैयार किया गया। साथ ही इन कमांडो को उसी क्षेत्र से चुना गया था, जहां से नक्सली अपने फाइटर भर्ती करते थे। इन्हें ही सी-60 कमांडो का नाम दिया गया। सबसे बड़ी बात ये है कि उसी इलाके से होने की वजह से ऑपरेशन के दौरान सी-60 कमांडो को राज्य की दूसरी यूनिट के मुकाबले एडवांटेज रहता था क्योंकि वे इलाके को पूरी तरह से जानते थे। सी-60 कमांडो का जंगल में तेजी से मूवमेंट बढ़ता गया और लोकल लोगों से भी उनका अच्छा संपर्क था।


बता दें कि नक्सलियों की बढ़ती गतिविधि को देखते हुए उनपर लगाम लगाने के लिए साल 1994 में सी-60 कमांडो की दूसरी ब्रांच का गठन किया गया। सी-60 कमांडो यूनिट का मोटो है 'वीर भोग्या वसुंधरा।

दो साल पहले किया था IED ब्लास्ट

आपको बता दें कि महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में साल 2019 में नक्सलियों आईईडी विस्फोट किया था। इसमें 15 पुलिस कर्मियों समेत कम से कम 16 लोगों की जान चली गई थी। उस विस्फोट से सड़क पर एक विशाल खड्ड बन गया था। इतना ही नहीं विस्फोट से पहले नक्सलियों ने एक सड़क निर्माण कंपनी के 27 वाहनों में आग लगा दी थी। विस्फोट में मारे गए लोगों में वाहन चालक भी शामिल था। धमाका पुलिसकर्मियों के वाहन के कुरखेड़ा क्षेत्र के लेंधारी नाले के पास पहुंचते ही हुआ था।



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Ashiki

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