TRENDING TAGS :
Mahatma Gandhi Birthday :चंपारण की घटना ने बदल दिया गांधी को, सूट-बूट छोड़ धोती क्यों पहनने लगे? पढ़ें पूरी कहानी
Mahatma Gandhi Birthday : देश 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मना रहा है। इस मौके पर जानते हैं इन्होंने जूता पहनना क्यों छोड़ा था।
Mahatma Gandhi Birthday : आज 2 अक्टूबर, 2021 को देश महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 152वीं जयंती मना रहा है। महात्मा गांधी को यूं ही राष्ट्रपिता नहीं कहा जाता। जब अंग्रेजों को हथियार के बल पर देश से बाहर नहीं निकाला जा सका, तब बापू ने अहिंसा का रास्ता अपनाकर उन्हें देश छोड़ने को मजबूर किया। यही वजह कि बापू के जाने के इतने साल बाद भी आज हम उन्हें याद करते हैं।
यूं तो बापू से जुड़े कई किस्से-कहानियां आपने सुने होंगे। उन कहानियों के पीछे उनके योगदान और विचार रहे हैं। बापू कहते ही हमारे सामने जो छवि उभरती है उसमें धोती पहने एक दुबला-पतला आदमी नजर आता है। लेकिन क्या आप जानते है कि महात्मा गांधी ने आखिर कपड़ों का त्याग क्यों किया? उनके धोती पहनने के पीछे क्या वजह रही? नहीं, तो आइए आज हम आपको इतिहास के उस पहलू से रूबरू करवाते हैं।
बापू ने जूते पहनने छोड़ दिएहम सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी वकालत करने इंग्लैंड गए थे। तब मोहनदास करमचंद ग़ांधी (बापू) सूट-बूट और टाई पहना करते थे। लेकिन भारत आने के बाद उनके साथ हुए एक वाकये ने उन्हें बदल दिया। यह किस्सा 15 अप्रैल, 1917 का है। तब गांधी दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ आंदोलन चलाने के बाद भारत आए थे। तब गांधी बिहार के चंपारण में मोतिहारी के किसानों से मिलने पहुंचे थे। उस समय उन्होंने शर्ट, धोती, घड़ी, सफेद गमछा, चमड़े के जूते और टोपी आदि पहना रखी थी। इस दौरान वहां के किसानों ने बापू को उन पर हो रहे अंग्रेजों के जुल्म के बारे में बताया। तब किसानों की दयनीय हालत सुन गांधी काफी व्यथित हुए। किसानों ने उन्हें बताया कि अंग्रेज नील की खेती करने वाले निचली जाति के लोगों को जूते पहनने नहीं देते थे। इसी के बाद बापू ने फैसला किया कि वो अब कभी जूता नहीं पहनेंगे। गांधी ने हमेशा के लिए जूते पहनने छोड़ दिए।
फिर कभी चोगा नहीं पहना
इसी तरह दूसरी कहानी में, गांधीजी की पत्नी कस्तूरबा गांधी (जिन्हें लोग प्यार से 'बा' भी कहते थे) एक बार खेती कार्यों से जुड़ी महिलाओं को सफाई से संबंधित जानकारी दे रही थीं। इस दौरान वहां मौजूद एक महिला ने उनसे कहा, 'बा आप मेरे घर की हालत देखिए। क्या, आपको यहां कोई सूटकेस या अलमारी नजर आती है। कोई ऐसी जगह है, जो कपड़ो से भरी हो।' तब महिला ने कस्तूरबा को बताया, कि उसके पास एकमात्र साड़ी है, जिसे वह पहनी हुई है। अब वही उसे बताएं कि वह कैसे साड़ी को साफ करें और कैसे उसे धोएं। अगर वह अपनी साड़ी धोने के लिए देती है तो फिर पहनेगी क्या? महिला ने कस्तूरबा से कहानकि वह महात्मा गांधी से कहकर उन्हें दूसरी साड़ी दिला दें, जिसके बाद वह रोज साड़ी धोकर पहन सकेगी। यह बात जब महात्मा गांधी को पता चली, तो इसने उन्हें झकझोड़ के रख दिया। इसके बाद गांधी ने अपना चोगा (घुटनों तक का लंबा ढीला-ढाला पहनावा) महिला को दे दिया। गांधी ने फिर कभी चोगा धारण नहीं किया। इसके बाद कुछ साल गांधी जी कपड़े और अभिव्यक्ति को लेकर प्रयोग करते रहे।
जब खादी पहनने की ली प्रतिज्ञा
एक अन्य कहानी भी बापू के कपड़ों और जीवन में हुए बदलाव से जुड़ी है। यह बात साल 1918 की है। तब महात्मा गांधी अहमदाबाद में कारखाना मजदूरों की एक रैली में शामिल हुए। उस वक्त गांधीजी लंबे कपड़े की पगड़ी पहना करते थे। यहां उन्होंने देखा कि जितने लंबे कपड़े से बनी वह पगड़ी पहनते हैं उससे कम से चार लोगों के तन ढंकने का कपड़ा हो जाता था। यह एहसास होते ही गांधी ने पगड़ी पहनना छोड़ दिया। साल 1920 में खेड़ा में उन्होंने खादी को अपने जीवन से जोड़ा। साथ ही प्रतिज्ञा ली कि आज के बाद वह पूरी जिंदगी केवल हाथ से बने खादी वस्त्र ही इस्तेमाल में लाएंगे। गांधी ने यह प्रतिज्ञा इसलिए ली ताकि उन्हें कपास की खेती के लिए मजबूर न किया जा सके। तब गांधी इस बात को महसूस करने लगे थे कि उनके पास बनियान, टोपी, नीचे तक पहनने के लिए धोती आदि थी। लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी इससे महरूम थी।
ये थी गांधी की सोच
जीवन में गांधी ने कई तरह के प्रयोग किए। उसमें पहनावा भी एक था। वो मानने लगे थे कि उनका पहनावा आधा सच बयां करता है। देश में एक तरफ जहां लाखों लोग निर्वस्त्र रहने को मजबूर थे। चार इंच की लंगोट के लिए उन्हें संघर्ष करना पड़ता था, वैसे में उनका लंबे-लंबे वस्त्र पहनना शोभा नहीं देता। महात्मा गांधी का कहना था, कि वह उन लोगों का दर्द तब तक नहीं समझ पाते, जब तक खुद उनकी पंक्ति में आकर खड़े न हो जाएं। देश के अधिकांश आबादी की जरूरतों को महसूस करने के लिए उनका ऐसा करना आवश्यक था। इसके बाद गांधीजी ने केवल धोती पहनना शुरू किया। आगे चलकर गांधी जी के कपड़ों का हो रहे बहिष्कार सत्याग्रह आंदोलन का प्रतीक बन गया। यही धोती गांधी के अंतिम समय तक पोशाक बनी रही।
गांधी जी के पहनावे को लेकर भले ही इसे उनका प्रयोग कहें, उनके इसी कदम ने उन्हें देश की आम जनता और उनकी संवेदनाओं से जोड़ा। क्योंकि अब 'खास' नहीं आम दिखने लगे थे।देश की जनता गांधी से जुड़ती चली गई। गरीबों के साथ उनकी एकजुटता अंग्रेजों का अब दमन स्वीकार करने को तैयार नहीं थी। गांधी जी के सत्याग्रह और आंदोलन जारी रहे। चंपारण में हुए पहले सत्याग्रह के 30 सालों के बाद आखिरकार भारत 1947 में आजाद हुआ। यह आजादी मामूली नहीं थी। अंग्रेजों की वर्षों गुलामी के बाद की नई सुबह थी।
महात्मा गांधी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:
-महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर , 1869 को हुआ था। उस वर्ष दिन शुक्रवार था। जबकि भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार के दिन 15 अगस्त, 1947 को ही मिली थी। गांधीजी की हत्या का दिन भी शुक्रवार ही था।
-महात्मा गांधी के जन्मदिवस को पूरी दुनिया में 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
-गांधी जी और सुप्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
-दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने अपने सत्याग्रह के दौरान लगभग 1,100 एकड़ में एक कॉलोनी की स्थापना की थी, जिसका नाम टॉलस्टॉय फार्म था।
-महात्मा गांधी देशवासियों से समानता दिखाने के लिए बिना सिले कपड़े पहनते थे। बापू का कहना था कि वह तभी अपने पूरे तन को ढकेंगे जब सभी भारतीयों के पास पूरे तन का कपड़ा होगा। गांधी आजीवन एक धोती में ही रहे।
-गांधी जी के आंदोलन के दौरान अंग्रेजी सरकार किसी को भी फोटो लेने की इजाजत नहीं देती थी। दरअसल, अंग्रेजों का मानना था, कि तस्वीरों से आंदोलन बहुत बड़ा हो सकता है।
-महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों पर दुनिया के कई बड़े नेता चले। इनमें आंग सान सूकी, नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग प्रमुख रहे हैं। जिन्हें आगे चलकर शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
-महात्मा गांधी को खेलों में फुटबॉल से बेहद लगाव था।
-महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी और उनके विचारों को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बताया था।
-भीमराव अंबेडकर को गांधी का धुर विरोधी माना जाता था। लेकिन महात्मा गांधी की सिफारिश पर ही अंबेडकर को संविधान सभा में शामिल किया गया था।
-महात्मा गांधी अपने माता-पिता के सबसे छोटे संतान थे। उनसे बड़े दो भाई और एक बहन थी।
-गांधी जी के पिता धार्मिक रूप से हिंदू तथा जाति से मोध बनिया थे।
-माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव हुआ करते थे।
-महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।