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Mamata Banerjee Birthday: 'दीदी' का 67वां जन्मदिन आज, कभी दूध बेचकर पाला था भाई-बहन को, आज सत्ता के शिखर पर

पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का आज 67वां जन्मदिन (Birthday)है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री चुनी गई हैं।

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By aman
Published on: 5 Jan 2022 5:01 AM GMT
Mamata Banerjee Birthday: दीदी का 67वां जन्मदिन आज, कभी दूध बेचकर पाला था भाई-बहन को, आज सत्ता के शिखर पर
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फोटो- सोशल मीडिया  

Mamata Banerjee Birthday: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) का आज 67वां जन्मदिन (Birthday)है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री चुनी गई हैं। इन्हें 'दीदी' के नाम से भी पुकारा जाता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी महज 15 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखी थीं।

साल 1984 के आम चुनाव में ममता बनर्जी सबसे कम उम्र की सांसद चुनी गई थीं। लेकिन, ममता बनर्जी जिस राज्य से आती हैं वह वामपंथियों का गढ़ रहा है। इसलिए ममता के लिए राजनीति इतनी आसान नहीं थी। बावजूद, उन्होंने कड़ी टक्कर दी और पश्चिम बंगाल से वामपंथियों को बाहर का रास्ता दिखा, खुद सत्ता पर काबिज हुईं। क्योंकि, वाम दलों को सत्ता से बाहर करना पश्चिम बंगाल में इतना आसान नहीं था। इस तरह देखें तो ममता बनर्जी का राजनीतिक सफर कठिन भी रहा और दिलचस्प भी।

निम्न मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था जन्म

ममता बनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को कोलकाता के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे। ममता तब महज 17 साल की थीं जब उनके पिता का निधन हो गया था। इतनी कम उम्र में ही उनके कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। कहते हैं तब ममता ने दूध बेचकर अपने भाई-बहन का पेट पाला। साथ ही, अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। ममता बनर्जी ने कलकत्ता यूनिवर्सिटी (Calcutta University) से लॉ में स्नातक (law graduate) और आर्ट्स में मास्टर (master of arts) की डिग्री हासिल की।

70 के दशक से राजनीति में हुईं सक्रिय

ममता बनर्जी के बारे में कहा जाता है, कि वो सिर्फ 15 साल की थीं जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। 'दीदी' ने 15 साल की उम्र में जोगमाया देवी कॉलेज में छात्र परिषद यूनियन की स्थापना की। बता दें, कि यह कांग्रेस पार्टी की 'स्टूडेंट विंग' (Student Wing) थी। ममता के इस छात्र समूह ने तब वाम दलों के स्टूडेंट विंग को चुनाव में हराया भी था। इसके बाद धीरे-धीरे ममता बनर्जी की पहचान बनने लगी। ये दौर था 70 के दशक का। ममता कॉलेज में कांग्रेस पार्टी के छात्र राजनीति के जरिए सक्रिय हुईं। उनके तेज तर्रार व्यक्तित्व ने जल्द ही पार्टी में उनका कद बढ़ा दिया। उन्हें महिला कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया।

CPM के दिग्गज सोमनाथ मुखर्जी को हराया

कहते हैं, साल 1983 में ममता कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रणब मुखर्जी से मिली थीं। उनकी यह मुलाकात अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक के दौरान हुई थी। उसी समय प्रणब मुखर्जी ने ममता में छिपी प्रतिभा को पहचाना। क्योंकि, अब यहीं से ममता बनर्जी की राजनीतिक जिंदगी बदलने वाली थी। उनके लिए सबसे अहम पल वो था जब जादवपुर लोकसभा सीट से उनके चुनाव लड़ने पर कांग्रेस पार्टी ने मुहर लगा दी। यह एक ऐसा फैसला था, जिसने ममता बनर्जी की जिंदगी पूरी तरह बदल दी। इस सीट पर तब CPM के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी, ममता के सामने थे। तब सोमनाथ मुखर्जी जैसे कद्दावर नेता को आम चुनाव में हराना टेढ़ी खीर था। लेकिन, 'दीदी' ने उस असंभव को भी संभव कर दिखाया। ममता बनर्जी ने 1984 के चुनाव में जादवपुर लोकसभा सीट से सोमनाथ मुखर्जी को हराकर वो कर दिखाया जिससे सभी हैरान थे। उस समय ममता सबसे युवा सांसद बनीं थीं।

तब प्रणब मुखर्जी ने की थी तारीफ

इस ऐतिहासिक जीत के बाद ही प्रणब मुखर्जी ने उसी समय कह दिया था, कि ये लड़की आगे चलकर राजनीति के शिखर तक पहुंचेगी। और हुआ भी कुछ ऐसा ही। दरअसल, प्रणब मुखर्जी चुनाव प्रचार के दौरान खुद ममता के साथ रहे थे। उन्होंने उनकी मेहनत देखी थी। प्रणब कहते थे 'वो एक अच्छी लड़की हैं।'

ऐसा रहा अब तक का सफर

ममता बनर्जी का जन्म कोलकाता में एक हिंदू बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी और मां का नाम गायत्री देवी था। साल 1970 में कांग्रेस के साथ राजनीतिक सफर शुरू हुआ जो वर्ष 1997 तक चला। 1998 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के नाम से अपनी नई पार्टी बनाई। खुद उसकी अध्यक्ष बनकर साल 2011 में वाम दलों की दशकों पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंका। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल में नए सूरज का उदय हुआ। छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी प्रचंड बहुमत से तीसरी बार जीतकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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