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विपक्ष के चेहरे पर पत्ते नहीं खोल रहीं ममता, कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों की ताकत समझने की नसीहत

Mamata Banerjee meets Sonia Gandhi : कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के बाद ममता ने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष का मजबूत मोर्चा बनाने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस पर पूरा भरोसा करना होगा।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 29 July 2021 11:37 AM IST
Mamata Banerjee meets Sonia Gandhi
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सोनिया और ममता की मुलाकात (Photo Twitter)

Mamata Banerjee meets Sonia Gandhi: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के बाद पहली बार दिल्ली पहुंची ममता बनर्जी विपक्ष को गोलबंद करने की कोशिश में जुटी हुई हैं। ममता के दिल्ली दौरे का एक महत्वपूर्ण एजेंडा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का भी था। बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष से ममता की मुलाकात के दौरान राहुल गांधी भी मौजूद थे। इस मुलाकात को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि सियासी पंडितों का भी मानना है कि 2024 की जंग में कांग्रेस के बिना विपक्ष का मोर्चा कामयाब होना मुश्किल है।

कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात के बाद ममता ने साफ तौर पर कहा कि विपक्ष का मजबूत मोर्चा बनाने के लिए कांग्रेस को क्षेत्रीय दलों और क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस पर पूरा भरोसा करना होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक बार फिर इस सवाल को टालने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौन होगा। हालांकि उन्होंने यह संकेत जरूर दिया कि अगर उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वे इससे पीछे नहीं हटेंगी।

ममता को सकारात्मक नतीजे की उम्मीद

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की थी। बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता ने कहा कि सोनिया भी विपक्षी गठजोड़ को मजबूत देखना चाहती हैं।


सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी काफी उत्साहित दिखीं और उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की पूरी उम्मीद है कि 2024 के चुनाव में विपक्ष इतिहास रचने में कामयाब होगा। उन्होंने कहा कि सोनिया और राहुल के साथ मैंने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, पेगासस जासूसी कांड, कोरोना महामारी के साथ ही विपक्षी एकता पर बातचीत की है और मेरा मानना है कि आने वाले दिनों में इसके सकारात्मक नतीजे देखने को मिलेंगे।

कांग्रेस भी क्षेत्रीय दलों की ताकत को समझे

पश्चिम बंगाल से बाहर किसी भी राज्य में तृणमूल कांग्रेस बड़ी सियासी ताकत के रूप में स्थापित नहीं हो सकी है और यही कारण है कि ममता बनर्जी ने विपक्ष की गोलबंदी से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का बीड़ा उठाया है। ममता बनर्जी ने यह भी साफ कर दिया है कि मैं अकेले पूरे देश में भाजपा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकती। इसके लिए सारे विपक्षी दलों को मिलकर काम करना होगा और विपक्ष की एकता के दम पर हम निश्चित रूप से भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होंगे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भी इस बात को स्वीकार करना होगा कि विभिन्न रूपों में क्षेत्रीय दलों ने संघर्ष का जज्बा दिखाया है। कांग्रेब बड़ी पार्टी जरूर है, लेकिन उसे भी क्षेत्रीय दलों की ताकत को महसूस करना होगा। तभी हम दिल्ली की लड़ाई में भाजपा को हराने में कामयाब हो सकते हैं।

विपक्ष के चेहरे को लेकर फंसा है पेंच

विपक्षी महागठबंधन की राह में सबसे बड़ा पीछे पेंच विपक्ष के चेहरे को लेकर फंसा हुआ है। ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस उन्हें 2024 की सियासी जंग में विपक्ष का चेहरा बनाने की कोशिश में जुटी हुई है मगर खुद ममता इस बाबत अपना पत्ता खोलने से बच रही हैं। उनका कहना है कि विपक्षी मोर्चे पर कोई भी चेहरा नहीं थोपा जा सकता। इसका फैसला समय और परिस्थिति को देख कर ही लिया जा सकता है।


खुद के विपक्ष का चेहरा होने के सवालों पर ममता का कहना है कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं कि इस बाबत कोई भविष्यवाणी कर सकूं। वैसे अगर कोई दूसरा नेता भी विपक्षी मोर्चे की अगुवाई करता है तो मुझे इस बात से कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि मैं कोई नेता नहीं बल्कि साधारण कार्यकर्ता हूं और आगे भी कार्यकर्ता ही बने रहना चाहती हूं। मैंने बिल्ली के गले में घंटी बांधने के लिए आगे बढ़कर सबकी मदद करने का फैसला किया है। वैसे ममता बनर्जी इस बात का इशारा करने से नहीं चूकीं कि अगर उन्हें विपक्ष का चेहरा बनाने का फैसला किया जाता है तो वे यह जिम्मेदारी निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

कांग्रेस का तैयार होना मुश्किल

सोनिया गांधी से मुलाकात के अलावा ममता ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी भेंट की। केजरीवाल विभिन्न मुद्दों पर ममता का खुलकर समर्थन करते रहे हैं और वे ममता से मुलाकात करने के लिए उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के घर पर खुद पहुंचे। जानकारों के मुताबिक दोनों नेताओं के बीच देश की मौजूदा सियासी स्थिति के साथ ही विपक्षी मोर्चे पर भी चर्चा हुई है।

इस बीच दिल्ली प्रवास के दौरान ममता के शरद पवार से मिलने की संभावना भी जताई जा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में ममता के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने हाल के दिनों में शरद पवार से दो बार मुलाकात के दौरान ममता के अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि विपक्ष का चेहरा बनने में ममता को शरद पवार का समर्थन मिल सकता है।


हालांकि कांग्रेस के इस बाबत तैयार होने की संभावना नहीं के बराबर है। कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने इस बाबत इशारा भी किया था। उनका कहना था कि 2024 की सियासी जंग के लिए अगर कोई विपक्षी मोर्चा बनता है तो उसकी अगुवाई यूपीए की मुखिया सोनिया गांधी ही करेंगी। अब ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि 2024 की सियासी जंग में ममता को विपक्ष का चेहरा बनाने की तृणमूल कांग्रेस की मुहिम को कहां तक कामयाबी मिल पाती है।



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Shivani

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