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सैकड़ों डाॅक्टर कोरोना की चपेट में, ये हो सकती है बड़ी वजह
एक डॉक्टर की ड्यूटी सुबह छह बजे शुरू होकर रात 11-12 बजे जाकर खत्म होती है।
नई दिल्ली: कोरोना की ताजा लहर में राजधानी की स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल यहां तक कि संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों के बड़ी संख्या में वायरस से संक्रमित होने की खबरों ने लोगों को हिलाकर रख दिया है। जब डॉक्टर ही सुरक्षित नहीं हैं ऐसे में आम मरीजों की सुध कौन लेगा। ताजा खबरों में कहा जा रहा है कि तमाम जगह ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। ऐसे में क्या वजह है जो डॉक्टर इतनी बड़ी तादाद में संक्रमित हो रहे हैं। इस संबंध में जब पड़ताल की गई तो कई चौंका देने वाली जानकारियां सामने आईं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेट किया जाता है ताकि संक्रमण न फैलने पाए। लेकिन अस्पतालों में मरीजों की बेतहाशा भीड़ के बीच डॉक्टरों को मरीजों के संपर्क में जाने अनजाने आ जाना पड़ता है। क्योंकि जो मरीज दिखाने के लिए आते हैं उन्हें खुद नहीं पता होता कि वह संक्रमित हैं या नहीं। ऐसे में संक्रमित लोगों के संपर्क में आकर दूसरे मरीज भी संक्रमित हो जाते हैं।
जानकारों का कहना है कि अस्पतालों में बेतहाशा भीड़ के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का मेंटेन न हो पाना भी इसकी बड़ी वजह है। उनका कहना है कि डॉक्टर जब 18-20 घंटे काम करते हुए ऐसे मरीजों के संपर्क में लगातार आते रहते हैं तो उनका वायरल लोड बढ़ता जाता है और अंततः वह संक्रमित हो जाते हैं।
डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी पर जिम्मेदारी
जानकारों का यह भी कहना है कि लगातार मरीजों के बीच रहते हुए जिसमें तमाम मरीज खांस रहे हैं कुछ को बुखार है, किसी को जुकाम है किसी को बदन दर्द है। कोई डायरिया से पीड़ित है। मॉस्क लोग मुंह पर लगाते हैं नाक खुली छोड़ देते हैं। तमाम मास्क भी नहीं लगाते एक दूसरे से सटकर खड़े होते हैं। डॉक्टर की जब तक निगाह पड़ती है और वह मास्क ठीक करने को कहता है तबतक संक्रमण तो बड़े स्तर पर फैल चुका होता है।
जहां तक डॉक्टरों की बात है वह वार्डों का राउंड लेने के बाद घंटों ओपीडी में बैठते हैं इस दौरान क्या छुएं क्या न छुएं। कहां चूक हुई कहना मुश्किल है। एक डॉक्टर की ड्यूटी सुबह छह बजे शुरू होकर रात 11-12 बजे जाकर खत्म होती है। वास्तव में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी बहुत अधिक दबाव में हैं।
सरकारी सिस्टम हुआ फेल
इस संबंध में कुछ लोगों का कहना है कि पिछले साल जब कोरोना के अपने यहां नाममात्र के मरीज थे तब डॉक्टर तरोताजा थे। हेल्थ वर्कर दुरुस्त थे। सरकार ने डॉक्टरों के 14 दिन की ड्यूटी के बाद कोरंटाइन किये जाने के लिए व्यवस्था की थी। आज की डेट में ऐसा कुछ नहीं है। वही संक्रमण लेकर डॉक्टर घर जा रहे हैं और उनके परिवारीजन भी संक्रमित हो रहे हैं।
एक डॉक्टर ने बताया कि पिछले दिनों एक मीटिंग में जब डॉक्टरों को लगातार ड्यूटी के बाद आइसोलेट करने पर चर्चा हो रही थी तो एक अधिकारी ने कहा था कि अब सब डॉक्टरों को टीका लग गया है। इम्युनिटी डेवलप हो गई है। ऐसे में डॉक्टरों के संक्रमित होने के पीछे कहीं न कहीं सरकारी सिस्टम का फेल्योर होना बड़ी वजह है।