Meenakshi Lekhi: मीनाक्षी लेखी के बयान पर फिर विवाद, कश्मीरी पंडितों को ठहराया दोषी, प्रवासी मजदूरों से की तुलना

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान कश्मीर वापस न लौटने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी ठहरा दिया।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shashi kant gautam
Published on: 4 Aug 2021 7:45 AM GMT (Updated on: 4 Aug 2021 7:47 AM GMT)
Controversy again over Meenakshi Lekhis statement, only Kashmiri Pandits were blamed, compared with migrant laborers
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मीनाक्षी लेखी के बयान पर फिर विवाद: फोटो- सोशल मीडिया

Meenakshi Lekhi: केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कश्मीरी पंडितों को लेकर एक ऐसा बयान दिया है जिस पर विवाद पैदा हो गया है। उन्होंने एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान कश्मीर वापस न लौटने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी ठहरा दिया। लेखी ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान काफी संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर चले गए थे मगर महामारी का असर कम होने के बाद सभी प्रवासी मजदूर काम पर लौट आए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि कश्मीर में त्रासदी कम होने के बाद कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर लौटने का फैसला क्यों नहीं लिया।

यह पहला मौका नहीं है जब मीनाक्षी लेखी ने विवादित बयान दिया है। पिछले दिनों उन्होंने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले किसानों को मवाली बता डाला था। उनका बयान मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया था और लोगों ने इस बयान पर गहरी आपत्ति जताई थी। अब उन्होंने कश्मीर छोड़ने के लिए कश्मीरी पंडितों को ही दोषी ठहरा कर एक नया विवाद पैदा कर दिया है।

भाजपा के लिए पैदा हुई असहज स्थिति

कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की कोशिश में जुटी हुई है। सरकार की ओर से कश्मीरी पंडितों को एक बार फिर घाटी में बसाने की योजना को काफी महत्व दिया जा रहा है। कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी पिछले दिनों कहा था कि इसके लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और जल्द ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी होगी।

मीनाक्षी लेखी: फोटो- सोशल मीडिया

ऐसे में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान को लेकर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। अपनी जमीन और घर बार छोड़ने को मजबूर हुए कश्मीरी पंडितों का मुद्दा सियासी हलकों में हमेशा गरण रहा है। भाजपा कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़ने के लिए मजबूर होने के बाद हमेशा कांग्रेस को घेरती रही है। भाजपा की ओर से कश्मीरी पंडितों के मुद्दे को इतना ज्यादा महत्व दिए जाने के कारण ही कश्मीरी पंडित भाजपा का समर्थन भी करते रहे हैं मगर लेखी ने कश्मीरी पंडितों पर ही निशाना साधकर भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है।

प्रवासी मजदूर लौट आए तो कश्मीरी पंडित क्यों नहीं

ऑनलाइन चर्चा के दौरान एक स्पीकर ने मीनाक्षी लेखी से सीधा सवाल पूछा कि कश्मीरी पंडितों को घाटी में कब बसाया जाएगा ताकि वे अपनी जमीन से जुड़ सकें और अपनी संस्कृति को एक बार फिर जीवित कर सकें। इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब देते हुए लेखी ने कहा कि यह सवाल ही आश्चर्यजनक है क्योंकि जब आप इस देश के अंग हैं तो आप पूरे देश में कहीं भी जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसी को घर वापसी से रोका नहीं जा रहा है। सरकार इस मामले में पूरी मदद कर रही है और आगे भी जिस चीज की जरूरत होगी, वह सरकार की ओर से मुहैया कराई जाएगी। चर्चा के दौरान लेखी ने कश्मीरी पंडितों की तुलना प्रवासी मजदूरों से कर डाली। उन्होंने यहां तक कह डाला कि जब कोरोना महामारी के बाद प्रवासी मजदूर काम पर लौट आए तो घाटी में हुई त्रासदी के बाद कश्मीरी पंडित क्यों नहीं लौटे थे।

मीनाक्षी लेखी: फोटो- सोशल मीडिया

लेखी के बयान पर तीखी आपत्ति

विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि देश में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपनी मातृभूमि छोड़कर दूसरी जगहों पर बसे हुए हैं। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हो सकते हैं जिनकी एक बार फिर अपनी मातृभूमि की ओर लौटने की इच्छा होगी मगर अब वे जहां बस चुके हैं, वहीं उन्हें खुशी महसूस हो रही है।

ऑनलाइन चर्चा के दौरान कश्मीरी पंडितों की तुलना प्रवासी मजदूरों से किए जाने पर एक प्रतिभागी ने आपत्ति भी जताई। उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों और कश्मीरी पंडितों का मुद्दा बिल्कुल अलग-अलग है और दोनों के हालात भी पूरी तरीके से भिन्न है।

ऐसी स्थिति में कश्मीरी पंडितों के मामले की तुलना प्रवासी मजदूरों से किया जाना उचित नहीं है। सोशल मीडिया में मीनाक्षी लेखी का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है और इसे लेकर उन्हें जमकर कोसा जा रहा है कश्मीरी पंडित भी लेखी के इस बयान से काफी नाराज हैं और उन्होंने इस बयान पर गहरी आपत्ति जताई है।

किसानों को बता दिया था मवाली

इससे पहले मीनाक्षी लेखी ने मोदी सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों को मवाली कहकर विवाद पैदा कर दिया था। लेखी का कहना था कि प्रदर्शन करने वाले लोगों को किसान कहना उचित नहीं होगा क्योंकि किसान तो अपने खेतों में काम में जुटा हुआ है। सच्चाई तो यह है कि प्रदर्शन करने वाले ये लोग मवाली हैं।

इस बयान पर विवाद पैदा होने के बाद मीनाक्षी लेखी की ओर से सफाई पेश की गई थी। उनका कहना था कि मेरे बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और मगर इससे यदि किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। लेखी ने पेगासस जासूसी कांड को फेक बताते हुए इस मुद्दे पर विपक्ष के रवैये पर भी तीखी आपत्ति जताई थी।

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