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सैन्य बजट में भारी कटौती: चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच चिंता वाली खबर, जानें डिटेल में

Military Budget 2022: रक्षा मामलों के लिए संसद की स्थायी समिति ने सैन्य बजट में भारी कटौती को लेकर चिंता जाहिर की है।

Krishna Chaudhary
Report Krishna ChaudharyPublished By Shreya
Published on: 17 March 2022 8:35 PM IST (Updated on: 17 March 2022 9:23 PM IST)
चीन-पाकिस्तान की चुनौतियों के बीच सैन्य बजट में भारी कटौती, संसदीय समिति ने जताई चिंता
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सैन्य बजट में भारी कटौती (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Military Budget In India: लद्दाख सीमा स्थित भारत-चीन सीमा और पूर्वोतर में ड्रैगन की लगातार बढ़ रही हरकतों ने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान की मुश्किलें काफी बढ़ा रखी हैं। इसके अलावा दिन- प्रतिदन चीन और पाकिस्तान के मजबूत होते गठजोड़ ने भारत के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। भारत के रक्षा हलकों में अक्सर टू फ्रंट वॉर को लेकर बातें सुनी जाती हैं। ऐसे में भारत सरकार द्वारा सैन्य बजट में भारी भरकम कटौती (Military Budget 2022) करना, रक्षा विशेषज्ञों (Defense Experts) के अलावा रक्षा मामलों के लिए बनी संसद की स्थायी समिति को भी गले से नहीं उतर रहा है। रक्षा मामलों के लिए संसद की स्थायी समिति ने सैन्य बजट (Military Spending) में भारी कटौती को लेकर चिंता जाहिर की है।

सैन्य बजट में भारी कटौती (Huge Cut In Military Budget)

रक्षा मामलों की स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में बताया कि थलसेना को 32115 करोड़ रूपये केंद्रीय बजय में आवंटित किए गए हैं। जबकि उसे पूंजी परिव्यय के रूप में 46844 करोड़ रूपये की जरूरत है। इसी प्रकार एयरफोर्स को 56852 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं जबकि उसे 85323 करोड़ रूपये की जरूरत है।

इसी तरह इंडियन नेवी को 67623 करोड़ रूपये के बजाय 47591 कोरड़ रूपये जारी किए गए। वेतन और दिन -प्रतिदिन की लागत के लिए भी राजस्व परिव्यय में इसी तरह की कटौती की गई है। इन सबकों मिलाकर भारतीय सेना को 3,85 लाख करोड़ रूपये का आवंटन हुआ है। जबकि उसे 4.87 लाख करोड़ रूपये मिलने का अनुमान था। संसदीय समिति सेना के लिए पूंजी परिव्यय के अनुमान औऱ आवंटन में बड़े अंतर को रक्षा तैयारियों के लिहाज से ठीक नहीं बताया है।

संसदीय समिति ने जताई चिंता

वहीं, संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने सैन्य बजट में हुई इस भारी भरकम कटौती को लेकर चिंता प्रकट की है। समिति ने सरकार को ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये कटौती ऐसे समय में की गई है जब चीन हमारे सीमा पर बैठा हुआ है। दोनें देशों के बीच तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। वहीं चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती दोस्ती ने दो मोर्चों पर एकसाथ हमारे खतरे को बढ़ा दिया है। ऐसे वक्त में सेना के बजट पर कैंची चलाना चिंताजनक है, इसके गहरे परिणाम हो सकते हैं।

इससे सेना के आधुनिकीरण और उसकी ताकत में इजाफा करने की कवायद को झटका लग सकता है। वित्त मंत्रालय को बजट आवंटन के दौरान इन खतरों को ध्यान में रखना चाहिए।

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Shreya

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