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गृह मंत्रालय ने मुश्ताक जरगर को घोषित किया 'डेजिग्नेटिड टेररिस्ट', जानें कौन है ये दुर्दांत आतंकवादी
Designated Terrorist : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते दिनों ही आतंकवादी सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के बेटे तल्हा सईद को भी डेजिग्नेटिड आतंकवादी घोषित किया था।
Designated Terrorist : आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार बेहद सख्त है और कड़े फैसले ले रही है। इसी कड़ी में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आतंकवादी संगठन (Terrorist Organization) उम्र मुजाहिदीन के चीफ कमांडर मुश्ताक अहमद जरगर (Mushtaq Ahmed Zargar) उर्फ लटरम को आतंकवाद विशेष अधिनियम कानून के तहत डेजिग्नेटिड आतंकवादी घोषित कर दिया है
बता दें, कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते दिनों ही आतंकवादी सरगना हाफिज सईद (Hafiz Saeed) के बेटे तल्हा सईद को भी डेजिग्नेटिड आतंकवादी घोषित किया था।
कौन है मुश्ताक अहमद जरगर?
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आला अधिकारी ने मीडिया को बताया, कि मुश्ताक अहमद जरगर मूल रूप से श्रीनगर का रहने वाला था। साल 1985 के आसपास वह आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया। जिसके बाद मुश्ताक घाटी में भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियों में काम करने लगा। अपने एक समूह के साथ मुश्ताक जरगर ने 12 दिसंबर 1989 को देश के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबिया सईद का अपहरण किया था। तब जरगर और उसके आतंकी संगठन ने पुलिस हिरासत में लिए गए अपने 5 साथियों की रिहाई की मांग की थी। उस वक्त रुबिया सईद के अपहरण कांड ने देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया था। काफी हो-हल्ला मचा लेकिन सरकार को आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा तब कहीं जाकर रुबिया सईद की रिहाई हो सकी थी।
बनाया आतंकी संगठन
गृह मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 1991 में मुश्ताक जरगर (Mushtaq Zargar) ने अपना खुद का आतंकवादी संगठन (terrorist organization) बना लिया। उसने संगठन का नाम 'अलवर मुजाहिदीन' रखा। मुश्ताक जरगर ने इसके बाद घाटी में एक के बाद एक कई हत्याएं की। जिनमें कई तो कुछ पदों पर बैठे अधिकारी भी थे। तब सरकार ने जरगर को पकड़ने की बहुत कोशिश की। आख़िरकार, 15 मई 1992 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस वक़्त तक जरगर पर तीन दर्जन से अधिक हत्याओं सहित कई संगीन अपराधों के केस दर्ज थे।
कंधार विमान हाईजैक में इसे भी छोड़ा गया
इसके बाद वर्ष 1999 में आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या- 814 का अपहरण किया। इस विमान को पहले पाकिस्तान में उतारने की कोशिश हुई। मगर, बाद में उसे दुबई के रास्ते अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर उतारा गया। आरोप है कि अफगानिस्तान की तत्कालीन तालिबान सरकार ने इन आतंकवादियों का साथ दिया था। जिसके बाद आतंकवादियों ने जहाज और यात्रियों को छोड़ने के बदले अपने साथियों की रिहाई की मांग की। जिन आतंकवादियों को छोड़ने की मांग हुई उनमें मुश्ताक जरगर का नाम भी था। तब केंद्र सरकार ने अन्य आतंकवादियों के साथ जरगर को भी रिहा किया था। जिसके बाद वह पाकिस्तान चला गया।
अब भी भारत के खिलाफ मुहिम में शामिल
मुश्ताक जरगर पाकिस्तान में रहकर ही भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां चलाने लगा। पाकिस्तान ने साल 2002 में दावा किया था कि उसने जरगर को कथित तौर पर गिरफ्तार किया है। मगर, भारतीय खुफिया एजेंसी इस दावे को ख़ारिज करते हैं। एजेंसियों की मानें तो जरगर बिना किसी गिरफ्तारी के पाकिस्तान में रहकर भारत के खिलाफ लगातार आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जरगर को विशेष आतंकवाद निरोधक कानून के तहत डेजिग्नेटेड आतंकवादी घोषित करार दिया है।