राज्यों की मुहिम को लगा झटका, मॉडर्ना का वैक्सीन देने से इनकार

हम सिर्फ केन्द्र से ही करेंगे बात: मॉडर्ना

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Pallavi Srivastava
Published on: 24 May 2021 9:36 AM GMT (Updated on: 24 May 2021 9:38 AM GMT)
राज्यों की मुहिम को लगा झटका, मॉडर्ना का वैक्सीन देने से इनकार
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नई दिल्ली। मौजूदा समय में देश के विभिन्न राज्य वैक्सीन संकट से जूझ रहे हैं। हालत यह हो गई है कि कई राज्यों में तमाम वैक्सीनेशन सेंटर बंद हो गए हैं। कई राज्यों में 18 वर्ष से ऊपर वालों का वैक्सीनेशन रोक दिया गया है। राज्यों ने इस संकट से उबरने के लिए ग्लोबल टेंडर का सहारा लिया था मगर इस टेंडर के जरिए भी अब उनकी उम्मीद पूरी होती नहीं दिख रही है।

इसका संकेत कोरोना वैक्सीन का बड़े स्तर पर उत्पादन करने वाली कंपनी मॉडर्ना की ओर से पंजाब सरकार और दिल्ली सरकार को दिए गए जवाब से मिला है। कंपनी ने दोनों सरकारों के वैक्सीन की आपूर्ति के अनुरोध को ठुकरा दिया है। कंपनी ने अपनी नीति का हवाला देते हुए राज्य सरकारों को टीका मुहैया कराने से इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि अपनी नीतियों के अंतर्गत वह केवल केंद्र सरकार के साथ ही डील कर सकती है। एक और बड़ी कंपनी फाइजर ने भी दिल्ली सरकार के अनुरोध को ठुकरा दिया है।


राज्य सरकार से करार करना संभव नहीं

जानकार सूत्रों का कहना है कि पंजाब में कोरोना संकट गहराने के बाद राज्य सरकार की ओर से मॉडर्ना सहित कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से संपर्क किया गया था। इन कंपनियों में मॉडर्ना के अतिरिक्त स्पूतनिक वी, फाइजर और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनियां भी शामिल हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की ओर से आपूर्ति के बाद राज्य में वैक्सीन का संकट काफी हद तक दूर किया जा सकता है। राज्य सरकार की उम्मीदों को मॉडर्ना ने तोड़ दिया है। कंपनी ने पंजाब सरकार को सीधे टीके की आपूर्ति से इनकार कर दिया है।

कंपनी ने दिया नीतियों का हवाला

कंपनी की ओर से दलील दी गई है कि वह किसी राज्य सरकार या निजी पार्टियों के साथ टीके की आपूर्ति का कोई करार नहीं कर सकती। कंपनी ने अपनी नीतियों का हवाला देते हुए कहा है कि टीके की आपूर्ति का करार सिर्फ केंद्र सरकार के साथ ही किया जा सकता है। राज्य के नोडल अधिकारी विकास गर्ग का कहना है कि कंपनी के जवाब से हमें निराशा हुई है।


फाइजर से भी मदद की उम्मीद नहीं

हालांकि फाइजर कंपनी की ओर से अभी तक पंजाब सरकार को कोई जवाब नहीं दिया गया है मगर उसके भी वैक्सीन की आपूर्ति करने की कोई संभावना नहीं है। फाइजर ने दिल्ली सरकार के अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है। फाइजर की नीति तो इतनी कड़ी है कि वह अमेरिकी राज्यों में भी सीधे वैक्सीन की आपूर्ति नहीं करती। ऐसे में दुनिया के अन्य देशों की राज्य सरकारों को वैक्सीन की आपूर्ति का कोई सवाल ही नहीं है।


पंजाब सरकार टीकाकरण रोकने पर मजबूर

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में वैक्सीन के गंभीर संकट की ओर इशारा करते हुए कहा गया है कि इसी कारण राज्य में टीकाकरण रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। राज्य सरकार का कहना है कि टीकों की भारी कमी को दूर करने के लिए सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार का कहना है कि अभी तक उसे केंद्र सरकार की ओर से 44 लाख से भी कम वैक्सीन की खुराक मिली है। यही कारण है कि राज्य में कोरोना के जबर्दस्त संक्रमण के बावजूद वैक्सीनेशन का काम तेजी नहीं पकड़ पा रहा है।


पंजाब में संक्रमण की रफ्तार काफी तेज

पंजाब के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या करीब 13000 तक पहुंच गई है। शनिवार को 172 कोरोना मरीजों ने दम तोड़ दिया था। शनिवार को राज्य में 5000 से अधिक मामले दर्ज किए गए और इसके साथ ही राज्य में अब तक पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर पांच लाख से ऊपर पहुंच गई है। राज्य सरकार का कहना है कि संक्रमण की तेज रफ्तार के बीच वैक्सीनेशन का काम भी तेजी से किया जाना जरूरी है मगर टीकों की किल्लत के कारण यह अभियान पूरी तरह ठंडा पड़ा हुआ है।

अन्य राज्यों को भी लग सकता है झटका

वैक्सीन का संकट दूर करने के लिए पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, उड़ीसा, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश आदि राज्य भी ग्लोबल टेंडर की राह पर हैं। दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वैक्सीन का संकट दूर करने के लिए केंद्र की ओर से ग्लोबल टेंडर निकाला जाए।

महाराष्ट्र का कहना है कि इससे राज्यों के बीच बेकार की प्रतिस्पर्धा नहीं होगी। राजस्थान सरकार की ओर से भी केंद्र सरकार से ऐसी ही मांग की गई है। जानकारों का कहना है कि मॉडर्ना के जवाब के बाद अन्य अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन कंपनियां भी यह दलील दे सकती हैं जिससे राज्यों की ग्लोबल टेंडर की मुहिम पूरी तरह विफल हो जाएगी। इस संकट का समाधान केंद्र सरकार की ओर से ही किया जा सकता है।

Pallavi Srivastava

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