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Modi Cabinet Expansion 2021: जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने की कोशिश, चुनावी राज्यों पर पीएम का विशेष फोकस

Modi Cabinet Expansion 2021: पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार में 10 मंत्रियों को प्रमोशन देने के साथ ही 33 नए चेहरों को शामिल किया है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश समेत उन राज्यों का भी ख्याल रखा है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Shivani
Published on: 8 July 2021 3:28 AM GMT (Updated on: 15 Jan 2022 1:13 PM GMT)
Modi Cabinet Expansion 2021
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मोदी मंत्रिमंडल के मंत्री (Photo Twitter)

Modi Cabinet Expansion 2021: मोदी सरकार (Modi Sarkar) के दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार (Modi Cabinet Expansion) में राजनीतिक समीकरणों को साधने के साथ ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन पर भी खासा ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए चेहरों को मौका देने के साथ ही कई पुराने मंत्रियों की छुट्टी भी कर दी है। प्रधानमंत्री कई दिनों से मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा में जुटे हुए थे और माना जा रहा है कि ऐसे मंत्रियों पर गाज गिरी है जो उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे।

पीएम मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Vistar) में 10 मंत्रियों को प्रमोशन देने के साथ ही 33 नए चेहरों को शामिल किया है। प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश समेत उन राज्यों का भी ख्याल रखा है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। शिवसेना और अकाली दल के मोदी कैबिनेट से बाहर होने के बाद सहयोगी दलों को भी मंत्रिमंडल में बड़ा मौका देने की पूरी कोशिश की गई है। शपथ ग्रहण से पहले अपने आवास पर पीएम मोदी ने नए मंत्रियों को पाठ भी पढ़ाया।

बेहतर प्रदर्शन न करने वालों पर गिरी गाज

मंत्रिमंडल विस्तार के कारण बुधवार को सत्तारूढ़ खेमे में दिनभर सियासी गतिविधियां चरम पर रहीं। प्रधानमंत्री आवास इन गतिविधियों का केंद्र था जहां सुबह से शपथग्रहण समारोह तक दिनभर बैठकों का दौर चलता रहा। एक और बैठकों का दौर चल रहा था तो दूसरी ओर मंत्रियों के धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे थे। शाम छह बजे मंत्रिमंडल विस्तार का कार्यक्रम शुरू होने से पहले सबसे आखिर में इस्तीफा देने वालों में वरिष्ठ मंत्री रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल थे।



इनसे पहले 12 और मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इन मंत्रियों में रमेश पोखरियाल निशंक, डॉक्टर हर्षवर्धन, संतोष गंगवार, सदानंद गौड़ा, अश्वनी चौबे, देबाश्री चौधरी, प्रताप सारंगी, संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, रतन लाल कटारिया और रावसाहेब दानवे के नाम शामिल हैं। इससे पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने की घोषणा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। माना जा रहा है कि बेहतर प्रदर्शन न करने के कारण इन मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया है।

चुनावी राज्यों पर पीएम का विशेष ध्यान

मोदी कैबिनेट के विस्तार में उन राज्यों का विशेष रूप से ख्याल रखा गया है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में अगले साल भाजपा को विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरना है। इसलिए इन राज्यों का विशेष ध्यान रखा गया है। उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा सात चेहरे शामिल किए गए हैं। इनमें मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल, खीरी के सांसद अजय मिश्र टेनी, बदायूं के रहने वाले राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा, जालौन से सांसद भानु प्रताप वर्मा और महाराजगंज से सांसद पंकज चौधरी शामिल हैं। इसके साथ ही सहयोगी दल अपना दल (एस) की प्रमुख और मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को फिर केंद्र में मंत्री बनने का मौका मिला है।


उत्तराखंड से अजय भट्ट को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई है जबकि मणिपुर से राजकुमार रंजन सिंह को मंत्रिपरिषद में लिया गया है। इससे पहले मणिपुर से एक भी मंत्री नहीं था। पंजाब के सोमप्रकाश को मौका मिला है जबकि यहीं के हरदीप सिंह पुरी को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बना दिया गया है। गोवा से जुड़े श्रीपद यशो नायक को कैबिनेट में बरकरार रखा गया है।

यदि संख्या के लिहाज से देखा जाए तो सबसे ज्यादा मंत्री उत्तर प्रदेश से बनाए गए हैं मगर लोकसभा की सीटों की संख्या के लिहाज से गुजरात को मोदी कैबिनेट में सबसे बड़ी भागीदारी मिली है। गुजरात में लोकसभा की 26 सीटें हैं मगर यहां से छह मंत्री बनाए गए हैं।

जातीय समीकरण साधने की बाजीगरी

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कैबिनेट में जातीय समीकरण साधने की बाजीगरी भी दिखाई है। मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति से जुड़े 12 नेताओं को शामिल किया गया है और इनमें से दो को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। आठ मंत्री अनुसूचित जनजाति से जुड़े हुए हैं। अनुसूचित जनजाति से जुड़े तीन नेता कैबिनेट दर्जा पाने में कामयाब रहे हैं। मोदी कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग से 27 मंत्री बनाए गए हैं। इनमें से एक एक ईसाई, मुसलमान और सिख हैं जबकि दो बौद्ध हैं।


क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश

मोदी कैबिनेट के विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन साधने की भी पूरी कोशिश की गई है। हिंदी बेल्ट पर विशेष ध्यान देने के साथ ही पूर्वोत्तर, पश्चिम से लेकर पूर्वी भारत और दक्षिण भारत को भी प्रतिनिधित्व देने का पूरा प्रयास किया गया है। दक्षिणी राज्य कर्नाटक से चार मंत्री बनाए गए हैं जबकि तमिलनाडु से भी एस मुरूगन को मोदी कैबिनेट में मौका मिला है। मुरूगन अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। माना जा रहा है कि उन्हें थावरचंद गहलोत द्वारा खाली की गई सीट पर राज्यसभा भेजा जा सकता है। गहलोत का कार्यकाल 2024 तक था। कैबिनेट विस्तार में ज्यादा से ज्यादा राज्यों को मौका देने की कोशिश की गई है। 24 राज्यों से जुड़े नेताओं को मोदी कैबिनेट में मौका मिला है।

महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा

मंत्रिपरिषद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया गया है। बुधवार को सात महिला सांसदों को मंत्री बनाया गया है और अब महिला मंत्रियों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। बुधवार को जिन महिलाओं को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई उनमें अनुप्रिया सिंह पटेल, शोभा कर॔दलाजे, अन्नपूर्णा देवी, प्रतिमा भौमिक, मीनाक्षी लेखी, भारती प्रवीण पवार और दर्शना विक्रम जरदोश शामिल हैं।

कई वरिष्ठ मंत्रियों की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी गई है मगर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जलवा बरकरार है। वे अभी भी वित्त मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं।

Shivani

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