TRENDING TAGS :
कैबिनेट विस्तार में दिखी पीएम की दृढ़ इच्छाशक्ति और साहसिक फैसले की छाप, आसान नहीं थी कद्दावर नेताओं की छुट्टी
प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के मंत्रिमंडल में आज बड़े पैमाने पर फेरबदल किया गया। वहीं मोदी सरकार के बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार से पहले एक दर्जन मंत्रियों की छुट्टी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई है।
मोदी सरकार के बहुप्रतीक्षित कैबिनेट विस्तार से पहले एक दर्जन मंत्रियों की छुट्टी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई है। इसे प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा साहसिक फैसला माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने जिन मंत्रियों के इस्तीफे लिए हैं, उनमें है कई ऐसे बड़े नाम भी शामिल हैं, जिन्हें अभी तक भाजपा का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। पीएम मोदी ने दस मंत्रियों के इस्तीफे तो पहले ही ले लिए थे, मगर शपथग्रहण समारोह शुरू होने से पहले सबसे आखिर में आईटी व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद व सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इस्तीफा दे दिया।
पीएम मोदी ने जिन मंत्रियों से इस्तीफे लिए हैं, उनका कामकाज संतोषजनक नहीं माना जा रहा है। सियासी पंडितों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट विस्तार के दौरान दृढ़ इच्छाशक्ति और साहसिक फैसला लेने की क्षमता दिखाई है। सियासी जानकारों के मुताबिक इंदिरा गांधी के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े सियासी और साहसिक फैसले लेने वाले नेता की छवि बनाई है।
पीएम ने आसानी से कर दिखाया मुश्किल काम
मोदी कैबिनेट से कद्दावर नेताओं की विदाई आसान काम नहीं था मगर प्रधानमंत्री ने इस काम को आसानी से पूरा कर दिखाया है। इसे प्रधानमंत्री का बड़ा सियासी फैसला माना जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने दूसरे मंत्रियों को भी संकेत दे दिया है कि मंत्री के रूप में परफॉर्म करके दिखाना होगा नहीं तो मंत्रिमंडल से छुट्टी होना तय है।
मोदी कैबिनेट के विस्तार में एक दर्जन मंत्रियों पर गाज गिरी है। जिन मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया है उनमें रविशंकर प्रसाद का नाम भी शामिल है जो हाल में टि्वटर और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से टकराव के चलते काफी चर्चाओं में थे। उन्होंने अपनी ओर से टि्वटर की नकेल कसने की पूरी कोशिश की। हालांकि उन्हें अपने प्रयासों में पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली।
प्रकाश जावड़ेकर भी सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरे और यही कारण था कि इन दोनों वरिष्ठ मंत्रियों को भी मोदी कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा। इन दोनों में वरिष्ठ मंत्रियों के इस्तीफे पर राजनीतिक विश्लेषक भी हैरानी जता रहे हैं।
इस कारण हुई डॉ.हर्षवर्धन की छुट्टी
रविशंकर प्रसाद और प्रकाश जावड़ेकर के अलावा डॉ हर्षवर्धन से स्वास्थ्य मंत्रालय का काम भी छीन लिया गया है। माना जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डॉ हर्षवर्धन प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देशभर के अस्पतालों को ऑक्सीजन संकट से जूझना पड़ा और इसके साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर भी तमाम शिकायतें सामने आईं। प्रधानमंत्री से पहले स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने ही सबको फ्री वैक्सीन मुहैया कराने की घोषणा कर डाली थी जिसे लेकर भी पीएमओ स्वास्थ्य मंत्री से काफी नाराज था।
इन मंत्रियों पर भी गिरी पीएम की गाज
इन तीनों वरिष्ठ मंत्रियों के अलावा जिन अन्य मंत्रियों के इस्तीफे लिए गए हैं उनमें सदानंद गौड़ा, थावर चंद गहलोत, रमेश पोखरियाल निशंक, संतोष कुमार गंगवार, संजय धोत्रे, रतन लाल कटारिया, प्रताप चंद्र सारंगी, देवश्री चौधरी और बाबुल सुप्रियो के नाम शामिल हैं।
निशंक को हटाए जाने के पीछे स्वास्थ्य को भी बड़ा कारण बताया जा रहा है। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति को लागू करने में भी वे सही भूमिका नहीं निभा सके। देवश्री चौधरी बंगाल चुनाव में कोई असर नहीं छोड़ पाईं। बंगाल के ही एक और चेहरे बाबुल सुप्रियो केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद विधायक का चुनाव हार गए थे। इस्तीफा देने वाले 12 मंत्रियों में से 10 की उम्र 60 साल से ज्यादा है।
गंगवार ने लिखी थी योगी के खिलाफ चिट्ठी
जिन मंत्रियों की छुट्टी की गई है उनमें बरेली लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए संतोष गंगवार भी शामिल हैं जिन्होंने योगी सरकार के खिलाफ भी चिट्ठी लिख डाली थी। रतन लाल कटारिया को जल शक्ति मंत्रालय में अच्छा काम न करने का खामियाजा भुगतना पड़ा जबकि सदानंद गौड़ा भी खराब परफारमेंस और कर्नाटक के बदलते समीकरणों की वजह से अपनी कुर्सी से हाथ धो बैठे। ईमानदार छवि वाले प्रताप चंद्र सारंगी भी मंत्री के रूप में छाप नहीं छोड़ सके और यही कारण और यही उनके इस्तीफे का बड़ा कारण बना।
नए मंत्रियों को पीएम मोदी का बड़ा संदेश
माना जा रहा है कि बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सहयोगी मंत्रियों को बड़ा सियासी संदेश दिया है। मंत्रियों की छुट्टी करने का बड़ा फैसला लेने से पहले उन्होंने कई दिनों तक सभी मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की थी।
सभी मंत्रियों से पीएमओ में अपने कामकाज का ब्योरा देने को कहा गया था। जो मंत्री प्रधानमंत्री की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके, उन्हें आखिरकार अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि कुछ मंत्रियों को हटाए जाने के पीछे सियासी कारण भी बताए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने बड़ा फैसला लेकर नए मंत्रियों के ऊपर भी दबाव बढ़ा दिया है कि मंत्री के रूप में उन्हें परफॉर्म करके दिखाना होगा।