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Mother's Day 2022: जानें इन पांच महिलाओं के बारे में, प्रकृति की सेवा को बनाया अपना परम धर्म
Mother's Day 2022: इस मातृ दिवस जानें इन 5 माँ के बारे में जिन्होंने धरती माता की सेवा को ही अपना परम कर्तव्य घोषित कर दिया।
Mother's Day 2022: मदर्स डे यानी मातृ दिवस प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 8 मई 2022 को मनाया जा रहा है। इस अवसर का प्रमुख उद्देश्य महिलाओं और माताओं के उस कर्म को प्रोत्साहित करना है, जो वह बरसों से अपने परिवार को बनाए रखने, जोड़ने और पोषण के लिए करती आ रही है। इस मातृ दिवस हम आपको एक और माँ के बारे में बताने जा रहे हैं जो सर्वत्र है, जो इस पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का आधार है। हम बात कर रहे हैं धरती माता के बारे में। धरती माता ने हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं प्रदान की हैं।
इसी के मद्देनजर हम इस मातृ दिवस आपके लिए लेकर आए उन 5 महिलाओं की गाथा जिन्होनें धरती माता की सेवा को ही अपना परम कर्तव्य घोषित कर दिया। इस काम में इन महिलाओं की मदद की सामाजिक संगठन ग्रो-ट्रीज़ डॉट कॉम (grow-trees.com) ने। grow-trees.com ने इन महिलाओं की मदद कर इनके हालात के संरक्षण में मदद की है तथा साथ ही उन्हें अपने परिवारों की देखभाल करने के लिए सशक्त भी बनाया है। आइये जानते हैं इन महिलाओं के बारे में
हांसीदेवी
उत्तराखंड के नैनीताल जिले के नाथूखान गांव की रहने वाली हंसीदेवी एक समय परिवार का गुजारा और दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रही थीं, लेकिन तभी ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम ने उनके घर पर 1500 से अधिक पौधों की नर्सरी शुरू करने में उनकी मदद की। अधिक मात्रा में पौधों को लगाने से हमारे आसपास का वातावरण तो शुद्ध होता ही तथा साथ ही मिट्टी की उपज और नमी को भी बरकरार रखता। हंसीदेवी को आर्थिक मदद के सकत ही वहां की जमीन और वातावरण को भी मदद मिली। नर्सरी में पेड़ों को उगाने के साथ ही हँसीदेवी अव फलों और फूलों से अतिरिक्त आय भी अर्जित करने में सक्षम है। हँसीदेवी इस काम को इतना लंग्न से करती है कि जैसे वह इसी के लिए बनी हो, वह अब हमेशा जीवन प्रकृति के संरक्षण में ही लगाना चहती है। आपको बता दें कि कुछ समय पहले हंसीदेवी ने एक मां की तरह ही अपने पौधों की रक्षा के लिए पौधों और पेड़ों पर लगी आग को साहस दिखाते हुए बुझाया, और दुखद रूप से इस आग में उसके बाल जल गए।
माला
तमिलनाडु में इरुला जनजाति से ताल्लुक रखने वाली माला ने अपने जीवन काल में गंभीर गरीबी, भेदभाव और अभाव का अनुभव किया था, लेकिन उसकी जिंदगी में ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम के आने के बाद से उसका जीवन परिवर्तित हो गया। आपको बता दें कु बड़े स्तर पर सामाजिक अलगाव और वित्तीय कठिनाई का सामना करने के बाद भी माला ने पर्यावरण को बेहतर करने के अपने लक्ष्य से ना डगमगाते हुए इस ओर काम करना ही बेहतर विकल्प पाया। बतौर माला उसने अबतक जितने भी पेड़ लगाए हैं और जितने भी आपसास पेड़ हैं सब उसके परिवार का ही हिस्सा हैं।
इसी के साथ माला ने बताया कि-"यह जानकर बहुत अच्छा लगता है कि धरती माता की बदौलत मैं अब एक स्थायी आय अर्जित करने में सक्षम हूं और आंवला, अमरूद और कटहल जैसी स्वदेशी किस्मों को लगाकर प्रकृति को भी बेहतर करने में अपना योगदान दे रही हूँ।"
सुरबाली सिंह
झारखंड के लैलम टोला चारडुंगरी गांव की रहने वाली सुरबाली सिंह अपने पूरे परिवार की देखभाल के लिए ग्रो-ट्रीज़ डॉट कॉम द्वारा शुरू की गई वृक्षारोपण परियोजना में शामिल हैं। सुरबाली सिंह ने -ट्रीज डॉट कॉम से जुड़ने के बाद लगातार सीखना जारी रखा है और आज वह खुद की नर्सरी चलती हैं, प्रकृति का संरक्षण और धरती माता की रक्षा के साथ-साथ वह खुद अपने परिवार को आर्थिक रूप से संभाले हुए हैं। इस बारे में बतौर सुरबाली वह एक महिला और एक माँ के रूप में अधिक आत्मविश्वास महसूस करती हूँ कि अब वह अपने परिवार का समर्थन करने और बच्चों के उज्जवल भविष्य को सुरक्षित करने में सक्षम हैं।
मीरा बाई
मीरा बाई राजस्थान स्थित बरदिया गांव की रहने वाली है और वह दो बच्चों की मां हैं। मीरा बाई आज के समय में ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम की मदद से प्रकृति का संरक्षण करने के साथ ही कमाई करने में भी सक्षम हैं। इस बारे में मीरा बाई का कहना है कि ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम की मदद से शुरू किए गए वृक्षारोपण के काम ने मुझे यह समझने में मदद की है कि एक माँ होने का मतलब सिर्फ घर पर रहना नहीं है। इसी के साथ मीरा बाई का यह भी कहना है कि ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम जैसी संस्था के साथ जुड़कर एक बेहद ही भलाई की मुहिम में शामिल हैं।
हनीफा बेगम
हनीफा पन्नईकाडु की रहने वाली हैं और वह मछली पकड़ने और बाज़ार में बेचने के काम से जुड़ी हुई हैं। ग्रो-ट्रीज डॉट कॉम की मदद से हनीफ बेगम को समुद्री शैवाल की खेती के लिए दो राफ्ट प्रदान करने के साथ ही संस्था द्वारा उन्है समुद्री शैवाल की खेती के विशेष गुण भी सिखाए। इस कार्य से जुड़ने के बाद हनीफा की जिंदगी की बदल गई, अब वह एक ऐसी नेक मुहिम का हिस्सा हैं, जो प्रकृति संरक्षण जैसे काम से जुड़ी हुई है। इसी के साथ अब हनीफा की कमाई भी पहले के मुकाबले काफी बेहतर है।
यह एक बात तो सिद्ध हो गयी है कि यदि हम धरती की देखभाल करेंगे तो धरती हमारी भी वैसे ही देखभाल करेगी।