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AFSPA: नागालैंड में अब भी गरमाया हुआ है सेना विशेषाधिकार कानून का मुद्दा
AFSPA: पैदल यात्रा के एक कोऑर्डिनेटर रुकेवेज़ो वेत्सा ने कहा कि यह अफस्पा पर लोगों की नाराजगी को व्यक्त करने और इंसानों के रूप में हमारी गरिमा को फिर से व्यक्त करने के लिए एक शांतिपूर्ण, मूक और लोकतांत्रिक उपाय था।
नागालैंड में अफस्पा को निरस्त करने की मांग: Photo - Social Media
New Delhi: आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (Armed Forces Special Powers Act) यानी अफस्पा (AFSPA) के खिलाफ उत्तर पूर्व, खासकर नागालैंड (Nagaland) में लोगों का विरोध जारी है। अफस्पा के खिलाफ सैकड़ों नागा लोग राज्य के वाणिज्यिक केंद्र दीमापुर (Dimapur) से राजधानी कोहिमा तक 70 किलोमीटर से अधिक की दो दिवसीय वॉकथॉन में शामिल हुए। इस पैदल यात्रा का मकसद अफस्पा को निरस्त करने की मांग पर जोर देना और सेना की कार्रवाई में मारे गए 14 नागरिकों के लिए न्याय की मांग करना है। पिछले साल 4 दिसंबर को मोन जिले में सुरक्षा बलों के हाथों 14 लोग मरे गए थे।
वॉकथॉन (walkathon) को राज्य के विभिन्न आदिवासी निकायों और नागरिक समाज संगठनों का समर्थन प्राप्त था। ये दीमापुर के सुपर मार्केट क्षेत्र में स्वयंसेवकों और प्रतिभागियों के जमावड़े के साथ शुरू हुआ। इस पैदल यात्रा में लोग नारे लिखी तख्तियां पकड़े हुए थे। पैदल यात्रा के एक कोऑर्डिनेटर रुकेवेज़ो वेत्सा ने कहा कि यह अफस्पा पर लोगों की नाराजगी को व्यक्त करने और इंसानों के रूप में हमारी गरिमा को फिर से व्यक्त करने के लिए एक शांतिपूर्ण, मूक और लोकतांत्रिक उपाय था।
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राज्य के लोगों को अफस्पा की जरूरत नहीं है- रुकेवेज़ो वेत्सा
उन्होंने अफसोस जताया कि 4 दिसंबर की घटना के बाद लोगों की मांग पर ध्यान नहीं देते हुए केंद्र ने अफस्पा को छह महीने और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि जनता केंद्र के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए एक साथ आई है। वेत्सा ने कहा कि राज्य के लोगों को औपनिवेशिक युग के कानून अफस्पा की जरूरत नहीं है।
पैदल यात्रा शुरू होने से पहले फोरम फॉर नागा रिकंसिलीएशन के सदस्य रेव डॉ एलेन कोन्याक ने प्रार्थना की जिसके बाद वॉकथॉन शुरू हुआ। जैसे-जैसे लोगों का काफिला कोहिमा के रास्ते में गांवों और कस्बों से होते हुए आगे बढ़ा, वैसे-वैसे और लोग इसमें शामिल होते गए। प्रतिभागी राज्यपाल जगदीश मुखी के माध्यम से केंद्र को ज्ञापन सौंपेंगे। पीड़ित जनजाति की सर्वोच्च संस्था कोन्याक यूनियन ने मांग की थी कि 10 जनवरी तक न्याय किया जाए। इसने न्याय मिलने तक सुरक्षा बलों के साथ असहयोग की भी घोषणा की थी। आगे की कार्रवाई तय करने के लिए 14 जनवरी को एक अहम बैठक होनी है।
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एसआईटी ने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी
नागालैंड के मोन जिले में 14 नागरिकों की हत्या की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने निर्धारित समय के चार दिन बाद 9 जनवरी को राज्य सरकार को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। पांच सदस्यीय एसआईटी द्वारा 60 से अधिक गवाहों की जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की गई है। एसआईटी ने सेना के इलीट दल के सदस्यों से भी पूछताछ की है।
कहा गया था कि इसी इलीट दल ने 4 दिसंबर के ऑपरेशन को अंजाम दिया था। समझा जाता है कि एसआईटी ने स्थानीय चश्मदीदों और सुरक्षा कर्मियों सहित कम से कम 50 लोगों से पूछताछ की है। हालांकि एसआईटी को अपनी जांच पूरी करने के लिए एक महीने का समय दिया गया था, लेकिन मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि बैलिस्टिक और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं से विशेषज्ञ रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है इसलिए जांच दल ने एक प्रारंभिक रिपोर्ट दी है।