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Narendra Modi Speech Today: मेरा एक विचार 'वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म का- पीएम मोदी
Narendra Modi Speech Today: 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, "मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ का है।
Narendra Modi Speech Today: शिमला में आयोजित किए गए 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में पीएम नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में कहा कि, "मेरा विचार 'One Nation One Legislative' प्लेटफॉर्म का है, एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय प्रणाली को तकनीकी बढ़ावा देगा बल्कि देश की लोकतांत्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करेगा।"
पीएम ने अपने संभबोधन में आगे कहा, "भारत के लिए लोकतंत्र केवल एक व्यवस्था नहीं है। लोकतंत्र भारत की प्रकृति और इसकी स्वाभाविक प्रवृत्ति है। हमें आने वाले वर्षों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं। ये संकल्प 'सबके प्रयास' से ही पूरे होंगे और लोकतन्त्र में, भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम 'सबका प्रयास' की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमिका उसका बड़ा आधार होती है।"
सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा, "हमारे सदन की परम्पराएँ और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों, हमारी नीतियाँ, हमारे कानून भारतीयता के भाव को, 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के संकल्प को मजबूत करने वाले हों, सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है।"
देश की विविधताओं के बारे में चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "हमारा देश विविधताओं से भरा है। अपनी हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी, एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है। एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है।"
इस दौरान पीएम ने वन नेशन वन लेजिस्लेटिव की बात भी कही। उन्होंने कहा, "मेरा एक विचार 'वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म' का है।एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी टेक्नोलॉजिकल बूस्ट दे, बल्कि देश की सभी लोकतान्त्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करे।"उन्होंने आगे कहा, "अगले 25 वर्ष, भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।इसमें हम एक ही मंत्र को चरितार्थ कर सकते हैं क्या - कर्तव्य, कर्तव्य, कर्तव्य।"