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National Science Day: लोगों में वैज्ञानिक सोच लाने को समर्पित है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

National Science Day: इस दिवस की घोषणा साल 1986 में हुई थी और इसे पहली बार साल 1987 में मनाया गया था। इस साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की थीम यानी विषय 'दीर्घकालिक भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shreya
Published on: 28 Feb 2022 11:12 AM IST (Updated on: 28 Feb 2022 11:13 AM IST)
National Science Day: लोगों में वैज्ञानिक सोच लाने को समर्पित है राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
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सीवी रमन (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

National Science Day: महान वैज्ञानिक सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (Sir Chandrasekhara Venkata Raman) की ऐतिहासिक खोज को समर्पित है आज यानी 28 फरवरी का दिन। आज ही के दिन 1928 में वेंकट रमन ने प्रकाश (Light) के बारे में एक खोज की थी जिसे उनके नाम पर 'रमन प्रभाव' (Raman Effect or Raman Scattering) के नाम से जाना जाता है। इसी खोज को लोगों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने और जागरूकता से जोड़ा गया है और हर साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (National Science Day) मनाया जाता है।

सर चंद्रशेखर वेंकट रमन (CV Raman) की महान खोज के लिये उन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था। इस दिवस की घोषणा साल 1986 में हुई थी और इसे पहली बार साल 1987 में मनाया गया था। इस साल राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (Rashtriya Vigyan Diwas 2022) की थीम यानी विषय 'दीर्घकालिक भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण' है।

विज्ञान दिवस का उद्देश्य (Purpose Of National Science Day)

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है। ये सच्चाई है कि विज्ञान के बिना विकास की राह में तीव्रता से आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। विज्ञान से गलत धारणा और अंधविश्वासों का विनाश होता है। विज्ञान और तकनीक को फैलाने के साथ ही देश के नागरिकों को इस क्षेत्र में मौका देकर नई ऊँचाइयों को हासिल करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस जैसे आयोजन वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार में निश्चित रूप से सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

वैज्ञानिक सोच और संविधान

वैज्ञानिक सोच जीवन का एक तरीका है। जो वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करता है और जिसके परिणामस्वरूप, पूछताछ, भौतिक वास्तविकता का अवलोकन, परीक्षण, परिकल्पना, विश्लेषण, और संचार शामिल हो सकता है। "वैज्ञानिक स्वभाव" एक दृष्टिकोण का वर्णन करता है जिसमें तर्क का प्रयोग शामिल होता है। चर्चा, तर्क और विश्लेषण वैज्ञानिक स्वभाव के महत्वपूर्ण अंग हैं। निष्पक्षता, समानता और लोकतंत्र के तत्त्व इसमें निर्मित हैं।

प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू 1946 में इस वाक्यांश का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे। भारतीय संविधान की धारा 51-ए(एच) के मुताबिक़ 'वैज्ञानिक प्रवृत्ति, मानवता और सवाल व सुधार की भावना का विकास करना' हर नागरिक का दायित्व है।

चंद्रशेखर वेंकट रमन (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नोबेल जीतने वाले एशिया के पहले वैज्ञानिक

चंद्रशेखर वेंकट रमन (Chandrasekhara Venkata Raman) या सर सीवी रमन (Sir CV Raman) ने फिजिक्स यानी भौतिकी (Physics) में प्रकाश के क्षेत्र में जबरदस्त काम किया था और इसके चलते उनको वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार प्राप्त करने वाले वो पहले एशियाई थे।

क्या है रमन प्रभाव (What Is Raman Effect)

सर रमन ने प्रकाश के बारे में जो खोज की उसे उनके नाम पर ही रमन प्रभाव के नाम से जाना जाता है। रमन प्रभाव का उपयोग आज भी वैज्ञानिक क्षेत्रों में किया जा रहा है। जब भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी होने की घोषणा की तो इसके पीछे भी 'रमन स्पैक्ट्रोस्कोपी' का ही कमाल था। फॉरेंसिक साइंस में भी रमन प्रभाव काफी उपयोग साबित हो रहा है। इसी के चलते अब यह पता लगाना आसान हो गया है कि कौन-सी घटना कब और कैसे हुई थी। असल में रमन प्रकीर्णन या रमन प्रभाव फोटोनकणों के लचीले वितरण के बारे में है। इसका आधार ये है कि प्रकाश कहाँ और कैसे रिफ्लेक्ट करता है।

खास बातें

- सर सीवी रमन ने 29 फरवरी, 1928 को प्रकाश सम्बन्धी खोज की घोषणा की थी इसीलिए भारत में प्रत्येक वर्ष ये दिन राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

- 1954 में सर सीवी रमन भारत सरकार द्वारा भारत रत्न (Bharat Ratna) की उपाधि से विभूषित किया गया।

- 1957 में सर रमन को लेनिन शान्ति पुरस्कार (Lenin Peace Prize) प्रदान किया था।

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