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क्रिकेट के मैदान से सियासी पिच तक हमेशा चौंकाते रहे हैं सिद्धू, झटके खाने पर भी नहीं बदला तेवर
Navjot Singh Sidhu: सिद्धू क्रिकेट के मैदान से लेकर सियासी पिच तक हमेशा ऐसा ही तेवर दिखाते रहे हैं। अचानक आवेश में लिए गए फैसलों के कारण सिद्धू को अपने करियर के दौरान नुकसान भी उठाना पड़ा है। मगर आज तक सिद्धू की यह आदत नहीं बदली।
Navjot Singh Sidhu: पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष (Punjab Congress President) पद से मंगलवार को अचानक इस्तीफा देकर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu Ka Istifa) ने सबको चौंका दिया। वैसे सिद्धू को करीब से जानने वालों को उनकी ओर से अचानक उठाए गए इस कदम पर ज्यादा हैरानी नहीं हुई। इसका कारण यह है कि सिद्धू क्रिकेट (Navjot Singh Sidhu Cricket) के मैदान से लेकर सियासी पिच तक हमेशा ऐसा ही तेवर दिखाते रहे हैं। अचानक आवेश में लिए गए फैसलों के कारण सिद्धू को अपने करियर के दौरान नुकसान भी उठाना पड़ा है। मगर आज तक सिद्धू की यह आदत नहीं बदली।
सियासी मैदान में उतरने से पहले सिद्धू ने एक क्रिकेटर के रूप में काफी नाम कमाया था। टीम इंडिया (Team India) की ओर से क्रिकेट खेलने के दौरान भी एक बार उन्होंने ऐसा कदम उठाया था जिसने हर किसी को हैरान कर दिया था। अब सियासी मैदान में भी वे अपने बेबाक अंदाज और तेवर के लिए जाने जाते हैं। अपने बेबाक बयानों के कारण कई बार वे अपनी पार्टी के लिए ही बड़ी मुसीबत खड़ी कर देते हैं। मगर उनकी आज तक वही आदत बनी हुई है। इसकी नजीर उन्होंने मंगलवार को भी पेश की। कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (Amarinder Singh Ka Istifa) देने के बाद जब कांग्रेस (Congress) में सब कुछ व्यवस्थित होने की ओर बढ़ रहा था तभी उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर बड़ा धमाका कर दिया।
अचानक दौरा छोड़कर लौटे थे भारत
वैसे यदि हम सिद्धू के अतीत को देखें तो वह इस तरह का धमाका कई बार कर चुके हैं। सियासी मैदान में उतरने से पहले सिद्धू एक क्रिकेटर के रूप में काफी नाम कमा चुके थे। सलामी बल्लेबाज के रूप में उनकी विश्व क्रिकेट (World Cricket) में काफी प्रतिष्ठा रही है। वे विस्फोटक अंदाज में बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते थे। एक क्रिकेटर के रूप में उन्होंने 1996 में एक बड़ा धमाका कर दिया था।
वे टीम इंडिया के सदस्य के रूप में इंग्लैंड गए हुए थे। मगर टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन (Mohammad Azharuddin) से उनका मामूली बात पर विवाद हो गया था। सिद्धू मैदान से होटल लौटे और फिर अपना सारा सामान लेकर बाहर निकल आए। वे होटल से ही बाहर नहीं निकले बल्कि इंग्लैंड का दौरा छोड़कर अचानक भारत लौट आए। उन्होंने क्रिकेट से संन्यास (Cricket Se Sannyas) लेने का भी एलान कर दिया।
बाद में उस दौरे में टीम इंडिया के मैनेजर रहे जयवंत लेले ने इस पूरे मामले का खुलासा किया था। उनका कहना था कि मोहम्मद अजहरूद्दीन ने हैदराबाद में बोले जाने वाले किसी स्थानीय शब्द का इस्तेमाल किया था मगर सिद्धू उसका दूसरा ही अर्थ लगा बैठे। उनका कहना था कि अजहरुद्दीन ने उन्हें गालियां दी हैं। हालांकि बाद में सिद्धू को अपने फैसले पर पछतावा भी हुआ और काफी मशक्कत करने के बाद टीम इंडिया में उनकी वापसी हो सकी। मगर वे पुराने अंदाज में अपनी चमक नहीं बिखेर सके।
जेटली के लिए नहीं किया था चुनाव प्रचार
बाद में सियासी मैदान में उतरने पर भी सिद्धू अजीबोगरीब फैसले लेते रहे। वे 2004 में पहली बार भाजपा के टिकट पर अमृतसर से लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि बाद में गैर इरादतन हत्या के एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद उन्होंने फिर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2009 के चुनाव में भी वे इसी सीट से सांसद बने।
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अमृतसर लोकसभा सीट से पार्टी के दिग्गज नेता अरुण जेटली (Arun Jaitley) को चुनाव मैदान में उतारा। पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से सिद्धू नाराज हो गए। सिद्धू अरुण जेटली को अपना सियासी गुरु बताया करते थे। मगर 2014 के चुनाव में उन्होंने जेटली का एक दिन भी प्रचार नहीं किया। इस चुनाव में जेटली को कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों पराजय झेलनी पड़ी थी।
सिद्धू की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा की ओर से उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया। मगर फिर भी उनकी नाराजगी नहीं दूर हो सकी। राज्यसभा सदस्य बनाए जाने के करीब तीन महीने बाद ही उन्होंने भाजपा और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सिद्धू कभी भाजपा को अपनी मां बताया करते थे। मगर इस्तीफा देने के बाद उन्होंने भाजपा पर हमला करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।
सीएम चेहरा न बनाने पर नाराजगी
भाजपा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू ने आम आदमी पार्टी में भी ठिकाना बनाने की कोशिश की। उनकी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बातचीत भी हुई। मगर सिद्धू की आप में एंट्री के मामले में एक बड़ा पेच फंस गया। सिद्धू चाहते थे कि 2017 के पंजाब विधानसभा के चुनाव में उन्हें आप की ओर से सीएम पद का चेहरा घोषित किया जाए। मगर केजरीवाल इसके लिए तैयार नहीं थे। भाजपा से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू केजरीवाल का गुणगान करने में जुटे हुए थे। मगर सीएम पद का चेहरा न बनाने पर उन्होंने आप पर हमले शुरू कर दिए। बाद में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ले ली। कांग्रेस में आने के बाद भी सिद्धू का सियासी सफर हिचकोले खाता रहा।
राहुल गांधी को बताया अपना कैप्टन
पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी जीत मिली थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद सिद्धू को डिप्टी सीएम बनाए जाने की चर्चाएं थीं मगर कैप्टन के विरोध के चलते सिद्धू राज्य के डिप्टी सीएम नहीं बन सके। हालांकि कैप्टन को उन्हें स्थानीय निकाय जैसा महत्वपूर्ण विभाग देना पड़ा। मगर कई मौकों पर सिद्धू कैप्टन पर हमला करने से नहीं चूके।
बाद में उन्होंने अमरिंदर सिंह को कैप्टन मानने से इनकार करते हुए यहां तक कह दिया कि मेरे कैप्टन तो राहुल गांधी हैं। इसके बाद कैप्टन ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग छीन कर उन्हें बिजली मंत्री बना दिया। मगर सिद्धू ने मंत्री के रूप में कामकाज नहीं संभाला। कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए उन्होंने मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया।
पाकिस्तान जाकर विवादों में फंसे
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (Pakistani Pradhan Mnatri) इमरान खान के शपथ ग्रहण (Imran Khan Shapath Samaroh) समारोह में हिस्सा लेकर भी सिद्धू विवादों में फंस गए थे। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मना करने के बावजूद सिद्धू ने इस समारोह में हिस्सा लिया था। वे पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा से गले भी मिले थे। बाजवा से गले मिलती उनकी तस्वीर को लेकर उनकी काफी आलोचना की गई थी। मगर सिद्धू अपने रुख पर कायम रहे। इसे उचित बताते रहे।
इसके बाद वे काफी दिनों तक लो प्रोफाइल बने रहे मगर राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा के बाद एक बार फिर लाइमलाइट में आए। कांग्रेस के पंजाब प्रभारी हरीश रावत के प्रयासों से वे सीधे सियासी मैदान पर सक्रिय हुए।
अब अध्यक्ष पद छोड़कर पैदा किया संकट
राहुल की ट्रैक्टर यात्रा के दौरान हुई एक रैली में उन्होंने अपनी ही पार्टी की सरकार पर हमला बोलकर हर किसी को चौंका दिया था। गत जुलाई महीने के दौरान कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोध को दरकिनार करते हुए सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान सौंपी थी। सिद्धू और कैप्टन के बीच चल रहे विवाद के कारण आखिरकार कैप्टन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
इसके बाद माना जा रहा था कि अब कांग्रेस विवादों से दूर रहकर चुनावी तैयारियों में जुटेगी। मगर सिद्धू ने मंगलवार को फिर अचानक प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर हर किसी को चौंका दिया है। पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर नया घमासान छिड़ गया है। सिद्धू के समर्थक और विरोधी गोलबंद होने लगे हैं।
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