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NCERT की कविता पर छिड़ा बवाल, IAS अफसर ने भी की हटाने की मांग, जानें मामला
NCERT: सोशल मीडिया पर अचानक एनसीईआरटी की बुक से एक कविता को हटाने की मांग की जाने लगी। इस कविता को लेकर जंग छिड़ गई है।
NCERT: सोशल मीडिया (Social Media) पर आए दिन किसी न किसी बात को लेकर विवाद छिड़ता देखा जाता है। इस बीच अब सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर एनसीईआरटी (NCERT) की एक कविता आ गई है, जिसे पाठ्यक्रम से हटाने की मांग की जा रही है। यहां तक कि छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश शरन (Awanish Sharan) ने भी इसे पाठ्यपुस्तक से बाहर करने की मांग की है।
हम जिस कविता की बात कर रहे हैं वो नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की कक्षा एक में पढ़ाई जा रही कविता 'आम की टोकरी' है। NCERT की किताब रिमझिम 1 में शामिल इस कविता की काफी ज्यादा आलोचना की जा रही है और इसे बुक से हटाने की मांग की जा रही, जिस वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर #NCERT ट्रेंड कर रहा है।
सोशल मीडिया पर छिड़ी जंग
ट्विटर पर #NCERT को यूज कर 'आम की टोकरी' कविता को बुक से हटाने की मांग की जा रही थी। लोगों का कहना है कि इस कविता में इस्तेमाल किए गए शब्द सही नहीं हैं। वहीं कुछ ऐसे भी यूजर्स हैं, जिन्होंने इस कविता के पक्ष में ट्वीट किए और इस कविता को हटाने की मांग करने वाले यूजर्स को नसीहत दे डाली कि वे अपनी सोच को बदलें।
अवनीश शरन ने किया ये ट्वीट
आपको बता दें कि इस कविता को पाठ्यक्रम से हटाने की मांग सबसे पहले छत्तीसगढ़ कैडर के 2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश शरन (Awanish Sharan) ने की थी। जिसके बाद कई सारे यूजर्स उनके समर्थन में आ गए और इसे हटाने को लेकर मांग करने लगे। आईएएस अधिकारी अवनीश शरन ने इस कविता को शेयर करते हुए ट्वीट किया कि ये किस 'सड़क छाप' कवि की रचना है ?? कृपया इस पाठ को पाठ्यपुस्तक से बाहर करें।
आखिर क्या है आपत्ति की वजह?
आपको बता दें कि इस कविता को रामकृष्ण शर्मा खद्दर ने लिखाय है। जिसे एनसीईआरटी के फर्स्ट क्लास के सिलेबस में जगह दी गई है। इस कविता को बच्चे साल 2006 से लगातार पहली कक्षा में पढ़ रहे हैं। लेकिन अब अचानक लोगों ने इस कविता पर आपत्ति जतानी क्यों शुरू कर दी, तो चलिए जानते हैं इसकी वजह-
एक यूजर ने इस कविता को शेयर करते हुए लिखा कि क्लास फर्स्ट की एनसीईआरटी में इस्तेमाल किए गए भाषा को देखिए। एनसीईआरटी में बैठे मॉर्डन मुगलों को हटा देना चाहिए।
वहीं एक दूसरी यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एक बार भाषा को छोड़ भी दिया जाए तो ये बताइए कि इस कविता से बच्चे क्या सिखेंगे, केवल छोकरी शब्द के अलावा।
एक अन्य यूजर ने लिखा कि क्या हम अपने बच्चों को साहित्यिक शिक्षा दे रहे हैं या डबल मीनिंग वाली कविता सिखा रहे हैं।
दूसरी ट्विटर यूजर ने लिखा यह हिंदी एनसीआरईटी की किताब है या किसी बॉलिवुड गाने के बोल हैं। वहीं एक यूजर ने तो बाकायदा अपनी आपत्ति वाले शब्दों को बदलकर नई कविता ही शेयर कर दी।
कुछ यूजर्स ने किया समर्थन में ट्वीट
जहां एक ओर ट्विटर पर कुछ लोग इस कविता पर आपत्ति जता रहे हैं तो ऐसे भी कई यूजर्स सामने आएं, जिन्होंने इस कविता के पक्ष में ट्वीट किया। ऐसे यूजरों का कहना है कि कविता की हर लाइन सही है। अपने गंदे विचारों को कविता में मत उतारिए।