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NCP चीफ शरद पवार ने कांग्रेस पर कसा तंज, कहा- कांग्रेस की स्थिति जमींदारों जैसी हो गई है

एनसीपी चीफ व पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार आज एक निजी मीडिया चैनल के टाक शो के दौरान कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा..

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Newstrack NetworkPublished By Deepak Raj
Published on: 9 Sep 2021 6:11 PM GMT
Sharad pawar file photo taken from social media
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शऱद पवार फाइल फोटो( सोर्स-सोशल मीडिया)

New Delhi: एनसीपी चीफ व पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने आज एक निजी मीडिया चैनल के टाक शो के दौरान कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस की स्थिती जमींदार जैसी हो गई है, जिसके पास वो पुरानी शान औऱ शौकत तो नहीं बची है लेकिन हाव-भाव उसी प्रकार का अभी भी है। कांग्रेस का एक समया था जब इस पार्टी का कश्मीर से कन्याकुमारी तक राज होता था। लेकिन अभी इसके पास मात्र दो-चार राज्य ही हैं जहां इस पार्टी के मुख्यमंत्री है, अब स्थिति एकदम इसके उलट हो गई है। अतएव कांग्रेस के नेताओं को इस हार्ड सच्चाई को स्वीकार करना होगा और पार्टी के लिए एक साथ होकर उन्हें काम करना होगा और अपने अंदर के घमंड को भी त्यागना होगा।


शरद पवार फाइल फोटो(सोर्स-सोशल मीडिया)


उन्होंने आगे कहा कि जब विपक्ष एकता की बात होती है तो कांग्रेस के नेताओं का घमंड सामने आ जाता है औऱ उन्हें कोई अन्य नेता राहुल गांधी के सिवाय नहीं दिखता है। कांग्रेस के नेताओं को शालीनता एवं सुझबूझ का परिचय देना होगा व कुछ अप्रिय चीजों को स्वीकार करने की हिम्मत दिखानी होगी। पवार ने आगे कहा कि हमे सुनने में मिला की विपक्ष 2024 का चुनाव ममता बनर्जी के नेतृत्व में लड़ने का मन बना रहा है लेकिन कांग्रेस नेताओं के द्वारा इस फैसला को स्वीकार नही किया गया। वो राहुल गांधी के नेतृत्व में ही 2024 का चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी वहीं जमींदारों वाली अकड़ सामने आ जाती है। हजारों एकड़ जमीन तो चली गई लेकिन शान औऱ शौकत वही बरकरार है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं को इस विषय पर सोचना होगा तब जाकर पार्टी का कायाकल्प हो पाएगा और पार्टी बेहतर स्थिति में पहुंच पाएगी।

इस वाकया को जोड़ते हुए उन्होंने एक जमींदार कि कहानी सुनाई जिसमें एक जमींदार रोज सुबह अपने हवेली के खिड़की से देखता औऱ कहता था कि ये जितना खेत हरा भरा है ये सब मेरा था लेकिन अब नहीं है क्योंकि आजादी के बाद विभिन्न जगहों की सरकारें ने जमींदारी प्रथा को खत्म कर दिया था जिसके बाद सब लोगों के पास हजार एकड़ के जमीन से मात्रा दस से बीस एकड़ ही जमीन बचे थे। इस जमीन से आनेवाले पैदावार से महलों का सिर्फ रिपेयर हीं हो सकता है और तो कुछ भी नहीं।



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