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शरद पवार बने कांग्रेस की नई मुसीबत, UPA अध्यक्ष बनाने की मांग तेज, NCP ने बढ़ाया दबाव
एनसीपी के मुखिया शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने की मांग तेज होने लगी है। 2004 से ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यूपीए की भी कमान संभाल रखी है मगर अब बदलाव की मांग उठने लगी है।
Sharad Pawar: देश के सियासी परिदृश्य में कांग्रेस की कमजोर होती हालत के बाद अब एनसीपी के मुखिया शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) को यूपीए अध्यक्ष बनाने की मांग तेज होने लगी है। 2004 से ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने यूपीए (UPA) की भी कमान संभाल रखी है मगर अब बदलाव की मांग उठने लगी है। एनसीपी की युवा शाखा की ओर से पारित प्रस्ताव में पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने की मांग की गई है। मजे की बात यह है कि अभी तक यूपीए अध्यक्ष बनने की बात से इनकार करने वाले शरद पवार भी प्रस्ताव पारित होते समय मंच पर मौजूद थे। सियासी जानकारों का मानना है कि इससे साफ हो गया है कि पवार (NCP chief Sharad Pawar) भी अब विपक्ष को एकजुट करने के लिए यूपीए की कमान संभालने के इच्छुक हैं।
एनसीपी की ओर से ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन के प्रमुख साझीदार शिवसेना की ओर से भी पवार को यूपी अध्यक्ष बनाने की मांग की गई है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी कहा है कि अब विपक्ष की एकजुटता के लिए पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाना जरूरी हो गया है।
लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस की पकड़
हाल में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी है। पंजाब में कांग्रेस सत्तारूढ़ थी मगर अब आप ने पंजाब की सत्ता भी कांग्रेस से छीन ली है। हाल के दिनों में कई राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है और इसी कारण विपक्ष में उसका सियासी कद भी छोटा होता जा रहा है। कांग्रेस के अंदर भी गांधी परिवार के खिलाफ आवाज उठने लगी है और असंतुष्ट खेमे की ओर से संगठन में व्यापक बदलाव की मांग उठाई जा रही है। कपिल सिब्बल समेत कई नेताओं की मांग है कि अब पार्टी का नेतृत्व गांधी परिवार से इतर किसी दूसरे व्यक्ति को सौंपा जाना चाहिए। कांग्रेस के सहयोगी दलों का भी मानना है कि कांग्रेस भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम नहीं दिखाई दे रही है।
एनसीपी और शिवसेना ने बढ़ाया दबाव
कांग्रेस की कमजोर होती पकड़ के बीच पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने की मांग तेज हो रही है। एनसीपी की युवा इकाई की ओर से तो बाकायदा इस बाबत एक प्रस्ताव तक पारित किया गया है। मजे की बात यह है कि शरद पवार अभी तक यूपीए अध्यक्ष बनने की बात को खारिज करते रहे हैं मगर इस प्रस्ताव को पारित करते समय वे खुद मंच पर मौजूद थे। इसलिए इस प्रस्ताव के पीछे उनकी मौन सहमति बताई जा रही है। इसके बाद सियासी हलकों में यह चर्चा तैरने लगी है कि पवार 2024 की सियासी जंग में पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के लिए अखाड़े में कूद सकते हैं।
एनसीपी के साथ ही शिवसेना की ओर से भी पवार को कमान सौंपने की मांग की जा रही है। भाजपा सांसद वरुण गांधी से मुलाकात के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष की एकजुटता जरूरी है और इस सिलसिले में अब यूपीए की कमान शरद पवार को सौंपी जानी चाहिए। महाराष्ट्र के दो प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से की गई इस मांग से साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में इसे लेकर सियासी हलचल और तेज होगी।
पवार के पक्ष में दी दलील
एनसीपी की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा का कहना है कि शरद पवार देश के वरिष्ठ राजनेता हैं और उनके सभी सियासी दलों के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं। उनमें सभी दलों के साथ तालमेल बिठाकर अच्छे नतीजे देने की क्षमता है। मौजूदा समय में कई दलों की ओर से कांग्रेस का विरोध किया जा रहा है मगर शरद पवार के कमान संभालने के बाद सभी दलों का समर्थन हासिल करने में कामयाबी मिलेगी।
एनसीपी नेता माजिद मेनन का मानना है कि विपक्ष में सबसे बड़ा दल होने के बावजूद कांग्रेस आंतरिक मतभेदों से जूझ रही है। ऐसी स्थिति में पार्टी आगे बढ़कर विपक्ष को मजबूत नेतृत्व नहीं दे सकती। 2014 में लोकसभा चुनाव होने हैं और इसमें अब ज्यादा समय नहीं बचा है। इसलिए कांग्रेस को बड़ा दिल दिखाते हुए यूपीए की कमान अब शरद पवार के हाथों में सौंप देनी चाहिए। पवार जमीनी पकड़ वाले नेता हैं और उनमें सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है।
सोनिया गांधी के लिए आगे की राह मुश्किल
एनसीपी और शिवसेना की ओर से की गई इस मांग पर कांग्रेस सीधी टिप्पणी करने से बच रही है। कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि जब शरद पवार खुद इस बात से इनकार कर चुके हैं तो दूसरे नेताओं की मांग पर टिप्पणी करने का कोई मतलब नहीं है।
सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस भले ही इस बात से इनकार करे मगर यह सच्चाई है कि पवार अब कांग्रेस के लिए नई मुसीबत बनकर उभरे हैं। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और चंद्रशेखर राव की ओर से कांग्रेस को पहले ही चुनौती मिल रही है और अब पवार का नाम उछलने के बाद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए आगे की राह और मुश्किल होगी।
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