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New Delhi: सिब्बल की दावत में जुटा पूरा विपक्ष मगर राहुल गांधी नदारद,भाजपा के खिलाफ लामबंद होने पर जोर

जन्मदिन के बहाने सिब्बल की ओर से सोमवार को दी गई इस दावत में विपक्षी दलों के बड़े नेता शामिल हुए थे तो वहीं, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव और प्रियंका गांधी नदारद थीं।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 10 Aug 2021 7:49 AM GMT
Entire opposition gathered in Sibals party, but Rahul Gandhi absent, insists on mobilizing against BJP
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सिब्बल की दावत में जुटा पूरा विपक्ष: फोटो- सोशल मीडिया

New Delhi: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की ओर से दी गई एक दावत सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। जन्मदिन के बहाने सिब्बल की ओर से सोमवार को दी गई इस दावत में विपक्षी दलों के बड़े नेताओं के साथ ही कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले जी-23 खेमे के नेता तो मौजूद थे मगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव और प्रियंका गांधी नदारद थीं।

जानकार सूत्रों के अनुसार इस दावत के दौरान भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के लामबंद होने पर जोर दिया गया। बैठक में विपक्ष के एक नेता की ओर से कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों को दूर करने पर भी जोर दिया गया। अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की नामौजूदगी में हुई सिब्बल की यह सियासी दावत आने वाले दिनों में क्या गुल खिलाती है।

दावत में जी-23 के नेता भी रहे मौजूद

कपिल सिब्बल को कांग्रेस के असंतुष्ट माने जाने वाले धड़े जी-23 का सक्रिय सदस्य माना जाता है और वे समय-समय पर कांग्रेस नेतृत्व के की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाते रहे हैं। हालांकि उन्होंने अपने जन्मदिन के मौके पर इस दावत का आयोजन किया था मगर यह दावत भी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गई। यह दावत राजधानी में ऐसे समय आयोजित हुई जब राहुल और प्रियंका दोनों और दिल्ली में मौजूद नहीं थे। राहुल गांधी श्रीनगर के दौरे पर हैं जबकि प्रियंका गांधी इन दिनों विदेश गई हुई हैं। इस तरह इस दावत में गांधी परिवार के किसी भी सदस्य ने हिस्सा नहीं लिया मगर विपक्ष और जी-23 के कई दिग्गज नेता इस दावत में मौजूद थे।

विपक्ष के इन बड़े चेहरों ने भी लिया हिस्सा: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

विपक्ष के इन बड़े चेहरों ने भी लिया हिस्सा

हाल के दिनों में विपक्षी दलों की एकता के लिए काफी सक्रिय रहने वाले एनसीपी के मुखिया शरद पवार, राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव और वरिष्ठ नेता शरद यादव तीनों सिब्बल की इस दावत में मौजूद थे। इन तीनों नेताओं के साथ ही माकपा नेता सीताराम येचुरी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा मुखिया अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन और हमेशा मुखर रहने वाले शिवसेना नेता संजय राउत भी दावत में हिस्सा लेने वालों में शामिल थे।

इन नेताओं के अलावा इंद्र कुमार गुजराल, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह के अलावा टीआरएस, रालोद और वाईएसआर (कांग्रेस) के नेता भी दावत में मौजूद थे। कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस दावत से नदारद था। जी-23 के सक्रिय सदस्य माने जाने वाले गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मनीष तिवारी, संदीप दीक्षित, शशि थरूर और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी सिब्बल की दावत में हिस्सा लिया।

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी: फोटो- सोशल मीडिया

विपक्षी दलों की एकजुटता पर जोर

जानकार सूत्रों के मुताबिक इस दावत के दौरान भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की लामबंदी पर भी चर्चा की गई। दावत के मेजबान कपिल सिब्बल ने खुद इस मुद्दे को उठाया जिसका एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सिब्बल की ओर से हमेशा पार्टी के भीतर और बाहर सही मुद्दे ही उठाए जाते हैं।

विपक्षी दलों की एकता के लिए सक्रिय राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी सिब्बल की बातों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि दावत में मौजूद नेताओं के पास एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ने की क्षमता है। लालू ने कपिल सिब्बल की तारीफ करते हुए कहा कि मुसीबत के समय उन्होंने हमेशा मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी विपक्षी दलों की एकजुटता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं के गहरे अनुभव का लाभ उठाया जाना चाहिए।

आखिर क्या गुल खिलाएगी सिब्बल की दावत

सिब्बल की दावत में बीजू जनता दल, टीआरएस और वाईएसआर (कांग्रेस) के नेताओं की मौजूदगी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ये तीनों दल हमेशा महत्वपूर्ण मुद्दों पर बीच का रास्ता अपनाते रहे हैं। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि आगे के दिनों में भाजपा के मद्देनजर इन सियासी दलों की क्या रणनीति होती है।

संसद के मानसून सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बढ़ती खींचतान के बीच हुई यह दावत सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। आने वाले दिनों में दावत के सियासी असर की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Shashi kant gautam

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