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मोदी सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि बिल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश खोने का डर बना कारण

New Farm Laws To Be Repealed: मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर दी है। इसकी एक वजह उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव माने जा रहे हैं।

Shreedhar Agnihotri
Report Shreedhar AgnihotriPublished By Shreya
Published on: 19 Nov 2021 4:41 AM GMT
PM Narendra Modi
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पीएम नरेंद्र मोदी (फोटो साभार- ट्विटर) 

New Farm Laws To Be Repealed: देश में लागू तीनों कृषि कानूनों की वापसी (New Farm Laws Ki Wapsi) की घोषणा केन्द्र सरकार (Modi Government) का एक बड़ा कदम कहा जा रहा है। पर इन कानूनों की वापसी के पीछे उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनाव (Vidhan Sabha Chunaav 2022) ही है। पिछले एक साल से चले आ रहे किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) और उनके सरकार विरोधी रवैये को देखते हुए ही मोदी सरकार (Modi Sarkar) ने आज इसकी घोषणा की। जबकि देश के सबसे बडे सूबे का पश्चिमी उत्तर प्रदेश का हिस्सा भी एक बड़ा कारण रहा।

दरअसल भाजपा रणनीतिकारों को लग रहा था आने वाले विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लगातार भाजपा नेताओं (BJP Neta) को इस कानून को लेकर विरोध का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) में जाट और गुर्जर के एक बड़े वोट बैंक (Jat And Gurjar Vote Bank) की भाजपा (BJP) के हाथ से खिसकने की आशंका बनती जा रही थी।

किसान आंदोलन (फोटो साभार- ट्विटर)

कैसा रहा किसान आंदोलन का सफर?

तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान सड़कों पर उतरे। करीब सालभर पहले उन्होंने सिंघु बॉर्डर का घेराव किया और इसके बाद गाजीपुर बार्डर पर भी मोर्चा खोल दिया। सरकार और किसानों के बीच 12 दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका। किसान तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, जबकि सरकार कानूनों को दो साल के लिए टालने की बात कह चुकी है।

इन तीनों कृषि कानूनों के कारण 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगे (Muzaffarnagar Danga) के बाद से अस्तित्व तलाश रहे राष्ट्रीय लोकदल (Rashtriya Lok Dal) का कुनबा एक बार फिर बढ़ता जा रहा था। साथ ही कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के बाद रालोद नेताओं की सक्रियता बढ़ चुकी थी। इस साल हुए पंचायत चुनाव में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भाजपा को नुकसान का सामना करना पड़ा था।

इसके अलावा हाल ही में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने हाल ही में घोषणा की थी कि मुजफ्फरनगर के किसानों पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी है। लेकिन किसानों को लंबा संघर्ष करना होगा। आंदोलन को दिनचर्या का हिस्सा बना लें। किसान बार्डर को मजबूत करें। उन्होंने आंदोलन को आगे बढ़ाने की भी घोषणा की थी जिसमें 22 नवम्बर को लखनऊ, 26 को गाजीपुर, 29 नवंबर को संसद और 12 दिसंबर को कैराना कूच का आह्वान किया गया था।

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Shreya

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