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NFHS Data Muslims: मुस्लिमों की प्रजनन दर अब भी सभी धार्मिक समुदायों में टॉप पर

NFHS-5 Data: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है।

Neel Mani Lal
Report Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 9 May 2022 12:52 PM IST (Updated on: 9 May 2022 6:18 PM IST)
Muslim fertility rate
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मुस्लिमों की प्रजनन दर (फोटो-सोशल मीडिया)

NFHS-5 Data Muslims: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले दो दशकों में सभी धार्मिक समुदायों में मुसलमानों (Muslim community) की प्रजनन दर में सबसे तेज गिरावट देखी गई है। मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर 2019-2021 में गिरकर 2.3 हो गई, जबकि 2015-16 में यह 2.6 थी। 1992 - 93 में यह 4.4 थी।

हालांकि, अब भी मुस्लिम समुदाय की प्रजनन दर(Muslim community Fertility Rate) सभी धार्मिक समुदायों में सबसे अधिक बनी हुई है। हिंदू समुदाय एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) में 1.94 पर है, जो 2015-16 में 2.1 थी। 1992-93 में हिंदू समुदाय की प्रजनन दर 3.3 थी।

ताजा फैमिली हेल्थ सर्वे यानी एनएफएचएस(NFHS Data) 5 में पाया गया है कि ईसाई समुदाय की प्रजनन दर 1.88, सिख समुदाय की 1.61, जैन समुदाय की 1.6 और बौद्ध और नव-बौद्ध समुदाय की 1.39 है- जो देश में सबसे कम दर है।

1992-93 और 1998-99 के बीच और साथ ही 2005-6 और 2015-16 के बीच मुस्लिम प्रजनन दर(Muslim community Fertility Rate) में दो बार तेजी से गिरावट आई है, जब इसमें 0.8 अंक की गिरावट आई थी। एक्सपर्ट्स के अनुसार, अब हिंदुओं और मुसलमानों के बीच प्रजनन अंतर कम हो रहा है। पिछले कुछ दशकों में, एक उभरता हुआ मुस्लिम मध्यम वर्ग लड़कियों की शिक्षा और परिवार नियोजन के महत्व को महसूस कर रहा है।

शिक्षा की स्थिति

जिन मुस्लिम महिलाओं(Muslim Women) ने स्कूली शिक्षा नहीं ली है, उनका प्रतिशत एनएफएचएस 4 (2015-16) में 32 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 21.9 प्रतिशत हो गया। इसके विपरीत, हिंदुओं के लिए, इसमें मामूली बदलाव देखा गया - एनएफएचएस 4 में 31.4 प्रतिशत से एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) में 28.5 प्रतिशत तक।

एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) की रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के स्कूली शिक्षा के स्तर के साथ प्रति महिला बच्चों की संख्या में गिरावट आई है। बिना स्कूली शिक्षा वाली महिलाओं में औसतन 2.8 बच्चे होते हैं, जबकि 12 या अधिक वर्षों की स्कूली शिक्षा वाली महिलाओं के लिए 1.8 बच्चे हैं।

परिवार नियोजन का महत्व

डेटा यह भी दर्शाता है कि मुसलमान परिवार नियोजन (Family planning) के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं। मुसलमानों के बीच आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग एनएफएचएस 4 में 37.9 प्रतिशत से बढ़कर एनएफएचएस 5 में 47.4 प्रतिशत हो गया। वृद्धि का अंतर हिंदुओं की तुलना में अधिक था।

मुसलमानों ने गर्भनिरोधक के आधुनिक तरीकों को भी तेजी से अपनाया है - एनएफएचएस 4 में 17 प्रतिशत से एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) में 25.5 तक, जो सिखों (27.3 प्रतिशत) और जैन (26.3 प्रतिशत) के बाद तीसरा सबसे अधिक है।

स्पेसिंग से तात्पर्य है कि गर्भावस्था के बाद कितनी जल्दी एक महिला फिर से जन्म देती है। लगभग 32 प्रतिशत मुस्लिम पुरुषों को लगता है कि गर्भनिरोधक महिलाओं का विषय है, जिसके बारे में पुरुषों को चिंता नहीं करनी चाहिए। हिंदुओं के लिए यह संख्या थी लगभग 36 प्रतिशत।

एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) के अनुसार, गर्भनिरोधक गोलियों का उपयोग मुसलमानों में सबसे अधिक है, जबकि कंडोम का उपयोग मुसलमानों में सिखों और जैनियों के बाद तीसरा सबसे अधिक है। जानकारों के मुताबिक, इंडोनेशिया और बांग्लादेश में मुस्लिम आबादी ने भी कम प्रजनन क्षमता देखी है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन दर

ग्रामीण क्षेत्रों में कुल प्रजनन दर 1992-93 में प्रति महिला 3.7 बच्चों से घटकर 2019-21 में 2.1 बच्चे रह गई है। शहरी क्षेत्रों में महिलाओं में इसी गिरावट 1992-93 में 2.7 बच्चों से 2019-21 में 1.6 बच्चों की थी।

बिहार और मेघालय में प्रजनन दर देश में सबसे अधिक है, जबकि सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सबसे कम है।एनएफएचएस 5(NFHS-5 Data) में, देश की कुल प्रजनन क्षमता प्रति महिला दो बच्चों के प्रतिस्थापन स्तर से नीचे गिर गई, जो एनएफएचएस 4(NFHS-4 Data) में 2.2 से गिर रही है।



Vidushi Mishra

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