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पाबंदियां रोक पाएंगी कोरोना को, लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू कितना असरदार
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर सरकार से नाइट कर्फ्यू लगाने सहित अन्य उपायों
नई दिल्ली: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर सरकार से नाइट कर्फ्यू लगाने सहित अन्य उपायों पर गौर करने को कहा है। आम आदमी लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू को बेकार की चीज मानता है। लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है। लेकिन असली बात ये है कि सरकार ये अप्रिय फैसले लेने पर मजबूर क्यों होती है। लॉकडाउन हो या नाइट कर्फ्यू या कंटेनमेंट जोन को सील किया जाना हो। सरकार को ये अप्रिय कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ती है।
हजारों मरीज प्रतिदिन
वास्तविकता में जब कोई महामारी बहुत तीव्र गति से फैल रही होती है उस समय महामारी अधिनियम के तहत इस तरह के कदम उठाए जाते हैं। लोग तर्क देते हैं जब देश में कुल सौ मरीज भी नहीं थे तब लॉकडाउन कर दिया गया था लेकिन अब जबकि हजारों मरीज प्रतिदिन निकल रहे हैं तब लॉकडाउन नहीं हो रहा है।
इसकी वजह जानने और समझने की जरूरत है। पिछले साल जब कोरोना फैलना शुरू हुआ था उस समय लॉकडाउन और जनता कर्फ्यू जैसे कदम उठाए गए थे। ये कदम इसलिए नहीं उठाए गए थे कि इससे कोरोना वायरस का प्रसार रुक जाएगा बल्कि ये कदम इसलिए उठाए गए थे ताकि इस नई महामारी से निपटने की तैयारी के लिए वक्त मिल सके और सरकारी मशीनरी इससे मुकाबले को मजबूत हो सके।
मास्क लगवाना सरकार की ड्यूटी नहीं
अलबता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब भी यही कहा था और समय समय पर कहते भी रहे हैं कि दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी। यह बात भी समझने की जरूरत है कि सोशल डिस्टेंसिंग या मास्क लगवाना सरकार की ड्यूटी नहीं है इसे लगाना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। यदि मास्क नहीं लगाएंगे तो संक्रमित होंगे। क्या किसी भी बीमारी से बचाने के लिए किसी भी देश में सरकार जिम्मेदार है। सरकार का काम उपचार की सुविधाएं मुहैया कराना है।
इसके अलावा नाइट कर्फ्यू का महत्व इसलिए भी होता है कि ओपेन एयर में कोरोना का वायरस अधिक देर तक जिंदा नहीं रहता इससे लोगों का बचाव भी होता है और इतनी देर लोग घरों में रहते हैं तो संक्रमण फैलने की गति में भी अवरोध होता है।
कोरोना संक्रमण नहीं फैलेगा यदि लोग चुटकलेबाजी में इसे उड़ाना बंद कर देंगे। लोग अक्सर गली चौराहों पर कहते हैं कि कोरोना सरकार लाती है जब चाहती है केस बढ़ा देती है जब चाहती है घटा देती है।
यह तर्क गलत है। इस संबंध में एपिडिमोयोलॉजिस्ट डा. अमित सिंह का कहना है कि कोरोना की पिछली वेव में लोगों ने एहतियात बरती लोग बड़ी तादाद में संक्रमित हुए जिससे बाकी लोगों में इम्युनिटी डेवलप हुई। कोरोना वायरस कमजोर पड़ा केस घटते चले गए, लेकिन लोगों ने इस पर लापरवाही बरतनी शुरू कर दी और दूसरी लहर में संक्रमण काफी तेज गति से फैला।
उन्होंने कहा कि इम्युनिटी लगातार बढ़ेगी नहीं। टीकाकरण से भी इम्युनिटी कुछ समय के लिए बढ़ेगी। इसलिए सावधानी सभी से अपेक्षित है। खुद उनके लिए उनके परिवार के लिए और समाज के लिए।