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पेगासस पर नीतीश के रुख से बैकफुट पर भाजपा, विपक्ष की मांग का समर्थन करके बढ़ाई सरकार की मुसीबत
Nitish Kumar Support Opposition: नीतीश की ओर से पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग का समर्थन करना बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है।
Nitish Kumar Support Opposition: जदयू (JDU) की ओर से पीएम मैटेरियल (PM Material) बताए जाने के दूसरे दिन ही नीतीश कुमार ने पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Jasoosi Case) पर बड़ा बयान देकर भाजपा और मोदी सरकार को बैकफुट (BJP Back Foot) पर धकेल दिया। पेगासस कांड की जांच कराने की मांग को लेकर नीतीश ने विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाकर भाजपा के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है। इसके पहले उन्होंने मोदी सरकार के रुख के विपरीत जातीय जनगणना की मांग का भी समर्थन किया था। बिहार में नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से ही मुख्यमंत्री बने हैं और उनकी ओर से विपक्ष की मांग का समर्थन किया जाना सियासी हलकों में हैरानी का विषय बन गया है।
जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार को ही बयान दिया था कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल है और उनमें देश का प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण हैं। इस बयान के दूसरे दिन ही नीतीश की ओर से पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग का समर्थन करना बड़ा सियासी दांव माना जा रहा है। इसके पहले अपनी हाल की दिल्ली यात्रा के दौरान नीतीश ने तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में जुटे ओमप्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की थी। जानकारों का कहना है कि चौटाला इस मोर्चे की अगुवाई नीतीश कुमार को सौंपना चाहते हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि यदि हाल के सभी घटनाक्रमों को जोड़कर देखा जाए तो नीतीश के किसी बड़े सियासी खेल की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
जांच के साथ पेगासस पर बहस भी जरूरी (Pegasus Probe)
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को जनता दरबार समाप्त होने के बाद मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि हम कई दिनों से टेलीफोन टैपिंग के मामले की गूंज सुन रहे हैं। पेगासस मामले की निश्चित तौर पर जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए सही तरीके से पूरे मामले की जांच करके सच को सामने लाया जाना चाहिए। जांच के बाद इस दिशा में उचित कदम उठाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पेगासस जासूसी केस एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस मामले की जांच के साथ ही इस पर संसद में बहस भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कई दिनों से संसद में यह मुद्दा उठाया जा रहा है। इसलिए इस मामले में जांच कर सच्चाई को उजागर किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई किसी को परेशान करने की कोशिश कर रहा है तो इस मामले की पड़ताल काफी जरूरी हो जाती है।
जातीय जनगणना का भी किया समर्थन (Caste Based Census)
इसके साथ ही नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना कराने की भी मांग की। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना का फायदा लोगों को भी होगा और इसके साथ ही गवर्नेंस में भी सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना सबके हित में है और हम 1990 से ही इसकी वकालत कर रहे हैं। यह तर्क देना बिल्कुल गलत है कि जातीय जनगणना कराने से समाज में तनाव पैदा होगा।
उन्होंने कहा कि अब यह सबकी इच्छा है और इससे समाज में खुशी का ही माहौल बनेगा। सब जाति के लोग अपनी जाति का वास्तविक आंकड़ा जानना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर अपनी बात रखने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि सभी दलों से बातचीत हो चुकी है और अब इस बाबत प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जाएगा।
नीतीश के रुख से भाजपा असहज स्थिति में
पेगासस जासूसी कांड और जातीय मतगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार का यह रुख भाजपा को असहज स्थिति में डालने वाला है। संसद के मानसून सत्र के दौरान विपक्ष ने पेगासस मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग को लेकर सदन की कार्रवाई ठप कर रखी है। विपक्ष के तीखे तेवर के कारण अभी तक संसद में गतिरोध नहीं समाप्त हो चुका है।
सरकार ने इस मामले की जांच की दिशा में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। ऐसे में एनडीए में भाजपा के सहयोगी दल जदयू की ओर से मामले की जांच की मांग को मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। नीतीश कुमार की जांच की मांग ने भाजपा को बैकफुट पर ढकेल दिया है जबकि विपक्ष के दावों को और बल मिल गया है।
सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं (Jatiya Gadna)
इसके साथ ही सरकार की ओर से साफ किया जा चुका है कि वह जातीय जनगणना कराने के लिए तैयार नहीं है। सरकार की ओर से जातीय जनगणना की मांग ठुकराए जाने के बावजूद नीतीश कुमार ने बिहार के अन्य विपक्षी दलों की मांग का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर मिलने की बात कही है। पिछले दिनों और राजद नेता तेजस्वी यादव सहित अन्य सियासी दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और उसी दौरान प्रधानमंत्री से इस मुद्दे पर बातचीत करने का फैसला किया गया था। अब देखने वाली बात यह होगी कि मोदी सरकार की ओर से नीतीश की इन दोनों मांगों पर क्या रुख अपनाया जाता है।
कुशवाहा के बयान पर शुरू हुई बहस
अभी एक दिन पहले जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बता कर एक नई सियासी बहस को जन्म दे दिया है। कुशवाहा का कहना है कि प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी भी नेता में जो गुण होने चाहिए, वे सभी गुण नीतीश कुमार में मौजूद हैं। कुशवाहा ने कहा कि देश में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा जिन नेताओं में पीएम बनने की काबिलियत है, उनमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी शामिल हैं।
कुशवाहा के इस बयान ने बिहार की सियासत में खलबली मचा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री और हम के मुखिया जीतन राम मांझी ने भी हाल में बयान दिया था कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की योग्यता है। मांझी के बाद अब कुशवाहा की ओर से इस तरह का बयान दिए जाने के बाद अब इसके सियासी मायने तलाशी जा रहे हैं।
हालांकि पीएम सीरियल बताए जाने के कुशवाहा के बयान पर नीतीश कुमार का कहना है कि मेरी कोई इच्छा-आकांक्षा नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी के साथी और वरिष्ठ नेता कुछ भी बोल देते हैं मगर मेरे बारे में उन्हें इस तरह की बात नहीं बोलनी चाहिए। हम तो केवल जनता की सेवा करने में लगे हुए हैं।
चौटाला से मुलाकात के सियासी मायने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में इंडियन नेशनल लोकदल के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात की थी। चौटाला इन दिनों तीसरे मोर्चे के गठन की पैरवी कर रहे हैं और उन्होंने केंद्र सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है। नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के नेता केसी त्यागी के साथ चौटाला के आवास पर जाकर उनसे मुलाकात की। चौटाला का कहना है कि वे 25 सितंबर को देवीलाल की जयंती से पहले विपक्ष के नेताओं से मिलकर उन्हें एक मंच पर लाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में नीतीश कुमार से चौटाला की मुलाकात को अलग नजरिए से देखा जा रहा है।
सियासत के माहिर खिलाड़ी हैं नीतीश
नीतीश कुमार सियासत के माहिर खिलाड़ी रहे हैं। अपने सियासी हुनर का कमाल वे एक बार लालू प्रसाद यादव को झटका देकर दिखा चुके हैं। लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के साथ मिलकर चुनाव जीतने के बाद उन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की थी।
इस मामले में लालू और तेजस्वी चाह कर भी नीतीश के सामने पूरी तरह असहाय साबित हुए थे। सियासी जानकारों का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश की ओर से कोई बड़ा सियासी खेल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।