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Coronavirus: नोबेल पुरस्कार विजेता का बड़ा दावा: टीकाकरण के कारण पैदा हो रहे कोरोना के नए वेरिएंट
Coronavirus: दुनिया के कई देशों में वायरस के नए वेरिएंट्स ने तहलका मचा रखा है। वायरस के नए वेरिएंट्स से कई लोगों की मौत हो गई।
Coronavirus: कोरोना वायरस से जंग लड़ने के लिए पूरी दुनिया में तेजी से वैक्सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है मगर यह बहरूपिया वायरस लोगों को अपना शिकार बनाने से बाज नहीं आ रहा। दुनिया के कई देशों में वायरस के नए वेरिएंट्स ने तहलका मचा रखा है। वायरस के नए वेरिएंट्स की वजह से काफी संख्या में लोग मौत का शिकार हुए हैं। अब दुनियाभर में चर्चित फ्रांस के वायरोलॉजिस्ट और 2008 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स को लेकर बड़ी बात कही है।
प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर मे दावा किया कि टीकाकरण के कारण ही वायरस के नए वेरिएंट्स पैदा हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि महामारी वैज्ञानिकों को इस बारे में पूरी जानकारी है मगर वे फिर भी चुप्पी साधे हुए हैं। प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर ने पिछले साल अप्रैल में ही इस वायरस के लैब में पैदा किए जाने का दावा किया था।
चर्चा का विषय बना प्रोफेसर का साक्षात्कार
दुनिया भर में प्रसिद्ध फ्रांस के वायरोलॉजिस्ट ने कहा कि विभिन्न देशों में टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है मगर टीकाकरण के कारण ही कोरोना वायरस के नए वेरिएंट पैदा हो रहे हैं। प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर ने यह सनसनीखेज खुलासा एक मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में किया है।
अमेरिका के आरएआईआर फाउंडेशन ने प्रोफेसर के इस साक्षात्कार के वीडियो को ट्रांसलेट किया है। प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा का विषय बन गया है और उनके बयान पर लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
इतनी बड़ी गलती स्वीकार नहीं
इस साक्षात्कार के दौरान प्रोफ़ेसर मॉन्टैग्नियर से सवाल पूछा गया कि टीकाकरण शुरू होने के बाद जनवरी से कोरोना से संक्रमित होने वाले नए मामलों और मौतों के आंकड़े में तेजी से क्यों बढ़ोतरी हो रही है? इसके जवाब में प्रोफ़ेसर ने इसे वैज्ञानिक और मेडिकल गलती बताया। उन्होंने कहा कि इस गलती को स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इतिहास में भी इस बात का जिक्र होगा क्योंकि टीकाकरण के कारण ही वायरस के नए वेरिएंट्स पैदा हो रहे हैं।
नए वेरिएंट्स पर वैक्सीन प्रभावी नहीं
नोबेल पुरस्कार विजेता चर्चित वैज्ञानिक ने कहा कि विभिन्न देशों में वैक्सीनेशन का ग्राफ मौत के ग्राफ के साथ ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि मैं इस पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और विभिन्न संस्थानों में मरीजों के साथ प्रयोग करने में जुटा हुआ हूं। मैं खासकर ऐसे मरीजों पर नजर रख रहा हूं जो वैक्सीन लगवाने के बाद कोरोना वायरस का शिकार हुए हैं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि टीकाकरण के कारण ही वायरस के नए वेरिएंट्स उत्पन्न होते हैं और इन वेरिएंट्स पर वैक्सीन उतनी प्रभावी नहीं है।
भारत में भी वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके कई लोग मौत के शिकार हो चुके हैं। पिछले दिनों प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर केके अग्रवाल की भी कोरोना से मौत हुई थी। डॉक्टर के के अग्रवाल भी वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे। उनके अलावा भी कई ऐसे लोगों की मौत हो चुकी है जो वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके थे।
वुहान की लैब में ही तैयार हुआ वायरस
प्रोफ़ेसर मॉन्टैग्नियर ने पिछले साल अप्रैल महीने के दौरान अपने दावे से बड़ा धमाका कर किया था। उनका कहना था कि वुहान की लैब में एड्स की रोकथाम के लिए बनाई जाने वाली दवा को तैयार करते समय कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई है। उन्होंने इस वायरस के मानव के द्वारा पैदा किए जाने की बात कहकर हर किसी को चौंका दिया था। एक फ्रांसीसी समाचार चैनल को दिए इंटरव्यू में उनका कहना था कि वायरस के जीनोम में एचआईवी और मलेरिया के कीटाणुओं के तत्वों की मौजूदगी इस बात की ओर इशारा करती है। उनका यह भी कहना था कि वायरस प्राकृतिक नहीं है और इससे चीन की वुहान नेशनल बायोसेफ्टी लैब में पैदा किया गया है।
बयान के बाद झेलना पड़ा भारी विरोध
हालांकि इस बयान के बाद प्रोफ़ेसर मॉन्टैग्नियर को विरोध भी झेलना पड़ा था। खासतौर पर वामपंथियों ने उनके दावे का विरोध किया था। बाद में तमाम लोग प्रोफेसर के समर्थन में भी उतार आए। उनका कहना था कि उन्हें बदनाम करने की साजिश की जा रही है। वैसे बाद में कई अन्य वैज्ञानिकों ने भी चीन की वुहान लैब में ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति होने की बात कही। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तो इस वायरस को चीनी वायरस तक की संज्ञा दे डाली थी।
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