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चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्रों में फिर से संगठित हो रहे नार्थ ईस्ट के विद्रोही गुट, मणिपुर चुनावों में करना चाहेंगे गड़बड़ी

सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नार्थ ईस्ट के उग्रवादी गुट म्यांमार और चीन के सीमावर्ती इलाकों में फिर से संगठित हो रहे हैं। मणिपुर के चुनाव और नागालैंड की गर्म स्थिति को देखते हुए ये एक बड़ी चिंता की बात है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Deepak Kumar
Published on: 11 Jan 2022 7:41 PM IST
चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्रों में फिर से संगठित हो रहे नार्थ ईस्ट के विद्रोही गुट, मणिपुर चुनावों में करना चाहेंगे गड़बड़ी
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चीन-म्यांमार सीमा क्षेत्रों में फिर से संगठित हो रहे नार्थ ईस्ट के विद्रोही गुट। 

New Delhi: सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नार्थ ईस्ट के उग्रवादी गुट (North East militant groups) म्यांमार और चीन के सीमावर्ती इलाकों में फिर से संगठित हो रहे हैं। मणिपुर के चुनाव (Manipur elections) और नागालैंड की गर्म स्थिति को देखते हुए ये एक बड़ी चिंता की बात है। हाल के महीनों में नार्थ ईस्ट (North East militant groups) के राज्यों में उग्रवादियों के हमले बढ़े हैं और आशंका है कि आने वाले दिनों में और ऐसी हरकतें हो सकती हैं।

दरअसल, नागा शांति वार्ता के लटके रहने से कुछ नागा विद्रोही गुट अपनी गतिविधियाँ बढ़ने की फिराक में हो सकते हैं जबकि मणिपुरी उग्रवादी गुट (Manipuri Militant Group) विधानसभा चुनावों (Manipur elections) में गड़बड़ी फैलाने का मौक़ा ढूंढ सकते हैं। ऐसे ग्रुप चीन के सीमावर्ती युन्नान प्रान्त और म्यांमार के सीमान्त इलाकों में संगठित होने के लिए म्यांमार की अशांत स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। वे इस इलाके को ट्रांजिट कॉरिडोर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

उग्रवादी फिर से बढ़ने में चीन का एंगल

एक मीडिया रिपोर्ट में असम राइफल्स (Assam Rifles) के रिटायर्ड आईजी मेजर भबानी एस. दास (Retired IG Major Bhabani S. slave) के हवाले से कहा गया है कि उग्रवादी फिर से बढ़ने में चीन का एंगल है क्योंकि कई ग्रुपों के सदस्य चीन में हैं। माना जाता है कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (आई), मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (Manipur People's Liberation Army) जैसे ग्रुप और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (के) (National Socialist Council of Nagaland) से अलग हुए गुट सीमावर्ती इलाकों में फिर से संगठित हो रहे हैं।

चीन के एंगल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता

बीएसएफ (BSF) के रिटायर्ड अतिरिक्त महानिदेशक संजीव कृष्ण सूद (Retired Additional Director General Sanjeev Krishna Sood) ने कहा है कि चीन के एंगल को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है लेकिन हमें इस तथ्य को समझना होगा कि शांति वार्ता में अनसुलझे मुद्दों के कारण कई नागा गुट बेचैन हो गए हैं। दूसरी और मणिपुरी विद्रोही आगामी विधानसभा चुनावों में गड़बड़ी करना चाहेंगे। मणिपुर में हालिया आतंकी हमले की घटनाओं को इसी कड़ी में देखा जा रहा है जो चुनावी प्रक्रिया में और ज्यादा बढ़ सकता है।

समझा जाता है कि एक स्वतंत्र मणिपुर की मांग करने वाले पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट ने बीते साल मणिपुर में असम राइफल्स के एक काफिले पर संगठित हमला किया था। मणिपुर नागा पीपुल्स फ्रंट मणिपुर में नागाओं के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। जबकि पीएलइ मेइती लोगों का ग्रुप है। आमतौर पर मेईती और नागों में शत्रुतापूर्ण मतभेद रहे हैं और वे एक साथ नहीं आते हैं। सुरक्षा एक्सपर्ट्स का कहना है कि दोनों ग्रुपों का कॉमन लिंक ये है कि वे चीन के कुनमिंग में शरण लेते हैं और वहन से हथियार खरीदते हैं।

उग्रवादियों का कुनमिंग से रिश्ता

उल्फा (आई) का स्वयंभू नेता परेश बरुआ के बारे में माना जाता था कि वह म्यांमार की सीमा से लगे चीनी शहर रुइली में छिपा है। लेकिन अब माना जाता है कि वह चीन के कुनमिंग प्रांत के काफी अंदर स्थानांतरित हो गया है। पूर्वोत्तर के अधिकांश विद्रोही समूहों के कुनमिंग के साथ लंबे समय से संबंध रहे हैं। 1950 के दशक में शुरू हुए नागा विद्रोह को 1967-1976 तक प्रशिक्षण और मोर्टार और मशीनगन सहित आधुनिक हथियारों के रूप में चीनी सहायता मिलती थी। ये सहयोग चीन के सुप्रीमो माओत्से तुंग की मृत्यु के साथ समाप्त हुआ। चीन से प्रशिक्षित प्राप्त अधिकांश उग्रवादी अब या अपने ग्रुपों में वरिष्ठ पदों पर हैं या रिटायर हो चुके हैं।

नार्थ ईस्ट के अन्य विद्रोही समूहों ने विदेशी ट्रेनिंग के उसी रास्ते का अनुसरण किया और पहले वे पूर्वी पाकिस्तान गए और बाद में बांग्लादेश। उनको वहां पाकिस्तान की आईएसआई का सपोर्ट मिलता था।

बांग्लादेश का रास्ता बंद

बांग्लादेश में जब शेख हसीना सरकार आई तो उसने नार्थ ईस्ट के उग्रवादी गुटों के प्रति जीरो टोलरेंस का रवैया अपनाया और ऐसे गुटों के बांग्लादेश आने का रास्ता बंद कर दिया। ऐसे में उग्रवादी गुटों की निगाहें म्यांमार पर टिक गईं और उन्होंने म्यांमार के रास्ते चीन के रूट का भरपूर इस्तेमाल किया। बताया जाता है कि विद्रोही समूह कई वर्षों से कुनमिंग में हथियार खरीदने के अलावा चीन, म्यांमार और थाईलैंड के सीमावर्ती इलाकों में नशीले पदार्थों का व्यापार करते चले आ रहे हैं। भले ही चीन उग्रवादियों की ट्रेनिंग और हथियार सीधे शामिल नहीं हो हो लेकिन कुनमिंग में खरीदारी, वहां रिहाइश बिना चीनी खुफिया एजेंसियों की जानकारी के बगैर नहीं हो सकती।

म्यांमार में कैंप

अधिकांश विद्रोही समूहों के म्यांमार स्थित शिविरों को 2019 में एक संयुक्त अभियान में नेस्तनाबूद कर दिया गया था। म्यांमार सेना ने उत्तर पश्चिम म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में उग्रवादियों के गढ़ पर धा…

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Deepak Kumar

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