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कोविड-19: सिर्फ डेल्टा प्लस ही नहीं कप्पा वेरिएंट भी खतरनाक, पूरी दुनिया में है इनका खौफ
डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus variant) के खतरे के बीच दुनिया में अब कप्पा (Kappa) का खौफ भी मंडराने लगा है। वहीं इसके अलावा भी तीन वेरिएंट हैं जो देश के लिए खतरा बन सकते हैं।
देश में कोविडा 19 (Covid 19) की दूसरी लहर का प्रकोप अभी भी जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पीछले 24 घंटे में कोविड के 45000 से भी अधिक नए मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कोरोना के मिल रह अलग-अलग वैरिएंट ने भी स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। इससे देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना बढ़ गई है।
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पहली बार कोरोना का कप्पा वैरिएंट मिला है। यह कोरोना के बी.1.617 वंश के म्यूटेशन से पैदा हुआ है। ये कोविड डेल्टा वैरिएंट के लिए भी जिम्मेदार है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कोरोना के बी.1.617.2 वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट (Delta variant) के नाम से जाना जाता है, जबकि बी.1.617.1 को कप्पा वैरिएंट कहा जाता है। बीते दिनों WHO ने इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (घातक) घोषित किया है। ऐसे में हमारे लिए कोविड के अन्य वैरिएंट्स को जानना बेहद जरूरी है-
कितना खतरनाक है डेल्टा प्लस वैरिएंट
डेल्टा वैरिएंट को ही भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। देश के कई राज्यों में इसके मामले सामने आ चुके हैं। यूपी में अब तक जिन दो मरीजों में कोरोना के डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि हुई है, उनमें से एक देवरिया निवासी 66 वर्षीय बुजुर्ग भी शामिल थे। इनकी बीती 29 मई को मौत भी हो चुकी है। अब जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट आने पर डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि हुई है। फिलहाल इनके घर के सभी छह सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। इनमें डेल्टा प्लस नहीं मिला है। कोरोना वायरस कोमोरबिडिटी वाले लोगों में ज्यादा असर करता है और उनमें मृत्यु दर भी ज्यादा होती है। ऐसे में डेल्टा प्लस वैरिएंट में भी माना जा रहा है कि यह ऐसे लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है।
B.1.1.28.2 वैरिएंट क्या है
बीती माह ही पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ने जिनोम सीक्वेंसिंग के जरिये कोरोना के एक नए वैरिएंट (B.1.1.28.2) का पता चला। यह नया वैरिएंट ब्रिटेन और ब्राजील से भारत आए लोगों में पाया गया था। इससे संबंधित अध्ययन को ऑनलाइन पत्रिका बायोरिक्सिव (bioRxiv) में प्रकाशित भी किया गया था। अध्ययन के मपताबिक, यह वैरिएंट लोगों को गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। इससे संक्रमित मरीजों में गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। अचानक से वजन कम होना इसका प्रमुख लक्षण है। यह फेफड़ों में घाव भी कर देता है और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाता है।
B.1.1.28.2 वैरिएंट पर वैक्सीन का असर
एनआईवी के अध्ययन के मुताबिक, स्वदेशी कोरोना वैक्सीन कोवाक्सिन कोरोना के B.1.1.28.2 वैरिएंट पर भी असरदार है। वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद शरीर में जो एंटीबॉडीज बनती हैं, उससे इस नए वैरिएंट को निष्क्रिय किया जा सकता है।